ताप एवं ताप के पैमाने / सेंटीग्रेड केल्विन और फारेनहाइट में सम्बन्ध

दोस्तों विज्ञान की श्रृंखला में आज हमारी वेबसाइट hindiamrit.com का टॉपिक ताप एवं ताप के पैमाने / सेंटीग्रेड केल्विन और फारेनहाइट में सम्बन्ध है। हम आशा करते हैं कि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपकी इस टॉपिक से जुड़ी सभी समस्याएं खत्म हो जाएगी ।

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ताप एवं ताप के पैमाने / सेंटीग्रेड केल्विन और फारेनहाइट में सम्बन्ध

ताप एवं ताप के पैमाने / सेंटीग्रेड केल्विन और फारेनहाइट में सम्बन्ध
ताप एवं ताप के पैमाने / सेंटीग्रेड केल्विन और फारेनहाइट में सम्बन्ध

सेंटीग्रेड केल्विन और फारेनहाइट में सम्बन्ध / ताप एवं ताप के पैमाने /

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ताप की परिभाषा,ताप किसे कहते हैं

किसी वस्तु की गर्माहट अथवा ठण्डेपन की माप को वस्तु का ताप कहते हैं। अत: ताप वह कारक है जो दो वस्तुओं को सम्पर्क में रखने पर उनके मध्य ऊष्मा के संचरण की दिशा का निर्धारण करता है। SI प्रणाली में ताप का मात्रक केल्विन (K) होता है।
उदाहरण- यदि गर्म चम्मच को ठण्डे पानी से भरे डिब्बे में डुबोया जाता है, तो चम्मच की ऊष्मा जल में प्रवाहित हो जाती है।

ताप की अभिधारणा Concept of Temperature

यदि दो भिन्न ताप की वस्तुओं को एक-दूसरे के सम्पर्क में रख दिया जाए, तो ऊष्मा उच्च ताप वाली वस्तु से निम्न ताप वाली वस्तु की ओर प्रवाहित होती है। ऊष्मा का यह प्रवाह तब तक चलता है जब तक कि दोनों वस्तुओं का ताप समान नहीं हो जाता है। इसके पश्चात् ऊष्मा का प्रवाह बन्द हो जाता है। यह स्थिति तापीय साम्य (Thermal equilibrium) की स्थिति कहलाती है। तापीय साम्य ही ताप की अभिधारणा को व्यक्त करता है अर्थात् ‘ताप किसी वस्तु का वह गुण है जो यह व्यक्त करता है कि वस्तु किसी अन्य वस्तु के सम्पर्क में रखने पर तापीय साम्य में है अथवा नहीं।
नोट – किसी पदार्थ का ताप बढ़ाने पर पदार्थ के अणु अथवा परमाणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है तथा घनत्व कम हो जाता है।

ताप मापन Temperature Measurement

किसी वस्तु के ताप को किसी उपकरण अथवा यन्त्र द्वारा डिग्री में मापने को ताप मापन कहते हैं तथा वह उपकरण अथवा यन्त्र जिसकी सहायता से किसी वस्तु के ताप का यथार्थ मापन किया जा सकता है, तापमापी अथवा थर्मामीटर (Thermometer) कहलाता है। थर्मामीटर में न्यूनतम तथा उच्चतम बिन्दुओं को सामान्यतया हिमांक (Ice point) (गलती हुई बर्फ का ताप) तथा भाप बिन्दु (Steam point) (उबलते जल की भाप का ताप) कहते हैं। इन तापों के अन्तर को बराबर भागों में बाँट दिया जाता है। प्रत्येक भाग एक डिग्री (Degree) को व्यक्त करता है। साधारणतया तापमापियों में द्रवों के ऊष्मीय प्रसार का उपयोग किया जाता है। ठण्डे देशों में जहाँ न्यूनतम तापमान 40°C तक चला जाता है, पारा युक्त तापमापी का प्रयोग नहीं किया जाता है, क्योंकि पारा – 39°C पर ही जमने लगता है। वहाँ ऐल्कोहॉल युक्त तापमापी का प्रयोग किया जाता है, क्योंकि वह -115°C पर जमता है।

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ताप मापन के विभिन्न पैमाने
Different Scales of Temperature Measurement

मुख्यतः ताप मापन के लिए तीन पैमाने उपयोग में लिए जाते हैं।

1. सेल्सियस अथवा सेण्टीग्रेड पैमाना
Celsius or Centigrade Scale

इसका निर्माण वर्ष 1742 में स्वीडन के वैज्ञानिक सेल्सियस ने किया था। इसमें हिमांक 0°C तथा वाष्प बिन्दु 100°C होता है। इनके मध्य की दूरी को 100 बराबर भागों में विभाजित कर दिया जाता है। प्रत्येक भाग 1°C को व्यक्त करता है।  मानव शरीर का ताप 310.5K (37°C = 98.4°F) होता है।

2. फारेनहाइट पैमाना Fahrenheit Scale

यह तापमापी जर्मनी के वैज्ञानिक फारेनहाइट ने वर्ष 1710 में बनाया था। इस तापमापी में हिमांक अथवा अघोबिन्दु 32°F तथा वाष्प अथवा ऊर्ध्वबिन्दु 212°F होता है तथा इन तापों के मध्य की दूरी को (212°F – 32° F = 180°F) 180 बराबर भागों में विभक्त कर दिया जाता है। प्रत्येक भाग 1°F (डिग्री फारेनहाइट) को व्यक्त करता है।

3. केल्विन अथवा परमताप पैमाना
Kelvin or Absolute Scales

इस पैमाने को लॉर्ड केल्विन ने वर्ष 1862 में प्रचलित किया था। इस पैमाने में हिमांक बिन्दु 273 K तथा वाष्प बिन्दु 373K होता है। इनके मध्य की दूरी को 100 बराबर भागों में विभाजित कर दिया जाता है। प्रत्येक भाग को 1K (केल्विन) कहते हैं। यदि किसी वस्तु का ताप सेल्सियस पैमाने पर C हो, तो केल्विन पैमाने पर उसका मान
K = 273 + C
C = K – 273

केल्विन पैमाने पर मापा गया ताप परमताप (Absolute temperature) कहलाता है। अतः यह पैमाना परमताप पैमाना भी कहलाता है। यदि K = 0, तब C=-273°C
यह ताप परमशून्य ताप कहलाता है, यह न्यूनतम सम्भव ताप है। अत: परमताप पैमाने पर ऋणात्मक ताप नहीं हो सकता।

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विभिन्न पैमानों पर कुछ तापमान

तापमान                सेल्सियस(℃)        फारेनहाइट (°F)            केल्विन(K)
जल का जमना          0 ℃                 32                                  273
कमरे का सामान्य ताप  27                    80.6                             300  
मानव शरीर का सामान्य ताप  37            98.6                            310
जल का उबलना                100             212                              373         

सेल्सियस, फारेनहाइट तथा केल्विन पैमानों में सम्बन्ध
Relation between Celsius, Fahrenheit and Kelvin Scales

(1) सेल्सियस व केल्विन तापों में सम्बन्ध
(Relation between Celsius and Kelvin Temperature)

यदि किसी वस्तु का ताप सेल्सियस मापक्रम में C हो, तो केल्विन मापक्रम में
उसका मान
K= 273 + C
C = K-273

(ii) सेल्सियस व फारेनहाइट तापों में सम्बन्ध
(Relation between Celsius and Fahrenheit Temperature)

सेल्सियस के 100 भाग = फारेनहाइट के 180 भाग

(F- 32) / 9 = C/ 5
C/ 5 = (F- 32) / 9 = (K-273) / 9

पारे का तापमापी Mercury Thermometer

पारे को ऊष्मा देने पर, पारे के आयतन में एकसमान रूप से वृद्धि होती है। आयतन में वृद्धि के इस गुण का उपयोग ताप मापन में किया जाता है।

पारेमापी की रचना (Construction of Mercury Thermometer)

पारे का तापमापी बनाने के लिए एकसमान सूक्ष्म व्यास की काँच की नली,जिसकी दीवारें मोटी होती हैं, उपयोग में ली जाती है। नली के नीचे का सिरा बल्ब के आकार में लिया जाता है तथा इसमें पारा भरकर ऊपरी सिरे को भी गोलाई देकर बन्द कर देते हैं। ताप मापन के लिए तापमापी को आशांकित किया जाता है। सर्वप्रथम तापमापी के बल्ब को गलती हुई बर्फ में रखकर केशनली में पारे के तल पर एक निशान लगा देते हैं।

यह निशान अधोबिन्दु अथवा हिमांक बिन्दु (Ice point) कहलाता है। पुनः तापमापी के बल्ब को शुद्ध जल की वाष्प में रखकर, पारे के तल के स्थिर होने पर, निशान लगाकर ऊर्ध्वबिन्दु अथवा वाष्पबिन्दु (Steam point) का निर्धारण कर देते है। इन दोनों बिन्दुओं के मध्य की दूरी को समान भागों में विभाजित करके निशान लगा देते हैं। प्रत्येक भाग एक डिग्री अथवा अंश कहलाता है तथा अधोबिन्दु तथा ऊर्ध्वबिन्दु स्थिर बिन्दु कहलाते हैं। पारे का तापमापी -39°C से 357°C के मध्य ताप का मापन कर सकता है।

तापमापी में पारा मापन के लाभ
Merits of using Mercury in Thermometer

तापमापी में पारा मापन के लाभ निम्नलिखित हैं

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(i) पारा एक चमकीला, अपारदर्शी द्रव है, जिसे केशनली में सरलता से देखा जा सकता है।
(ii) पारा केशनली की दीवारों से नहीं चिपकता।
(iii) पारे के आयतन में प्रसार लगभग समान रूप से होता है।
(iv) पारा उच्च कोटि का ऊष्मीय सुचालक है जो अति अल्प समय में ऊष्मा ग्रहण करके प्रसारित हो जाता है।
(v) इसकी विशिष्ट ऊष्मा कम होती है। अतः यह वस्तु से अति अल्प ऊष्मा ग्रहण करता है।
(vi) यह सरलता से शुद्ध अवस्था में उपलब्ध है।

डॉक्टरी तापमापी Clinical Thermometer

यह थर्मामीटर डॉक्टरों द्वारा मनुष्यों के ताप मापन में प्रयुक्त होता है। इसे ज्वरमापी भी कहते हैं।

डॉक्टरी तापमापी की विशेषताएँ
Characteristics of Clinical Thermometer

इस थर्मामीटर में निम्न विशेषताएँ हैं
(i) इसका आकार छोटा होता है, जिसे सरलता से उपयोग में लिया जा सकता है।
(ii) इसमें 95°F से 110°F तक चिन्ह अंकित होते हैं। मनुष्य के शरीर का ताप 95°F से कम व 110°F से अधिक नहीं हो सकता है।
(iii) स्वस्थ मनुष्य का ताप 98.4°F अथवा 37°C एक निशान द्वारा थर्मामीटर पर अंकित होता है। थर्मामीटर को मनुष्य के मुँह अथवा बगल में एक मिनट के लिए लगाया जाता है तथा ताप बढ़ने पर पारा संकीर्ण नली में ऊपर चढ़ जाता है जिससे उस बिन्दु के ताप को पढ़ लिया जाता है। तापमापी को झटका देने पर पारा नीचे उतर आता है।

नोट – वह तापमापी जिसमें मनुष्य का ताप अंको में लिखा हुआ आ जाता है, आधुनिक डिजिटल तापमापी (Modern Digital Thermometer) कहलाती है।



                           ◆◆◆ निवेदन ◆◆◆

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