नेटवर्क टोपोलॉजी के प्रकार / types of network topology in hindi

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नेटवर्क टोपोलॉजी के प्रकार / types of network topology in hindi

नेटवर्क टोपोलॉजी के प्रकार / types of network topology in hindi
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नेटवर्क टोपोलॉजी
(NETWORK TOPOLOGY)

एक नेटवर्क में विभिन्न कम्प्यूटर जिस विधि से केबिलों द्वारा जोडे जाते हैं उसे नेटवर्क टोपोलॉजी कहा जाता है । सामान्यतः नेटवर्क टोपोलॉजी चार प्रकार की होती हैं-
(1) बस टोपोलॉजी (Bus Topology),
(2) रिंग टोपोलॉजी (Ring Topology),
(3) स्टार टोपोलॉर्जी (Star Topology),
(4) जाल टोपोलॉजी (Net Topology) ।

उपर्युक्त सभी प्रकार की नेटवर्क टोपोलॉजी के अपने अलग-अलग लाभ व हानियाँ हैं। इन टोपोलॉजी को आवश्यकता के अनुसार संयुक्त रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है जैसे स्टार बस टोपोलॉजी या स्टार रिंग टोपोलॉजी इत्यादि।

1. बस टोपोलॉजी (Bus Topology)

बस टोपोलॉजी में नेटवर्क के अन्तर्गत आने वाले सभी कम्प्यूटरों को एक सामान्य ताँबे के तार (मुख्यतः कोएक्सियल) केबिल से जोड़ा जाता है। जिसे ‘बस’ (Bus) कहते हैं। इसमें सभी कम्प्यूटर एक सीध में तार से जुड़े होते हैं। तार को नेटवर्क कार्ड में संलग्न एक “टी” (Tee) द्वारा कनेक्टरों के माध्यम से कम्प्यूटर से जोड़ा जाता है तथा नेटवर्क के दोनों अन्तिम छोर पर केबिल से एक टर्मिनेटर (Terminator) जुड़ा होता है जोकि केबिल पर प्रवाहित सिग्नल को अन्तिम छोर पर पहुँचने पर रोक देता है ताकि सिग्नल को पीछे की तरफ प्रवाहित होने (Bouncing Back) या वलयन (Ringing) से बचाया जा सके।

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बस टोपोलॉजी से लाभ / Advantages of Bus Topology

(1) इसमें स्थापित मानकों का प्रयोग किया जा सकता है।
(2) इसे स्थापित करना सरल है।
(3) इसमें बहुत कम केबिल की आवश्यकता होती है।
(4) कम लम्बे केबिल की आवश्यकता के कारण इसमें उत्तम गुणवत्ता वाले महँगे केबिल का उपयोग किया जा सकता है।

बस टोपोलॉजी से हानि / Disadvantages of Bus Topology

(1) इसमें त्रुटि ढूँढ़ना कठिन है।
(2) दो कम्प्यूटरों के बीच दूरी बढ़ने या नेटवर्क की लम्बाई बढ़ने पर संचार गति धीमी हो जाती है।
(3) किसी भी कम्प्यूटर या वर्क स्टेशन के खराब हो जाने पर पूरी नेटवर्क प्रणाली ठप्प हो जाती है।

2.रिंग टोपोलॉजी (Ring Topology)

रिंग टोपोलॉजी में भी कम्प्यूटरों को बस टोपोलॉजी के समान ही जोड़ा जाता है किन्तु इसमें केबिल के अन्तिम छोरों को टर्मिनेटर से बन्द नहीं किया जाता है अपितु अन्तिम सिरों को भी आपस में जोड़ दिया जाता है जिससे एक छल्ले या रिंग के समान आकृति बनती है। नेटवर्क में प्रेषित सिग्नल केबिल पर इस रिंग में घूमता हुआ गन्तव्य कम्प्यूटर तक पहुँचता है। रिंग टोपोलॉजी में सभी कम्प्यूटर एक चक्र अथवा रिंग में एक-दूसरे से सम्बद्ध होते हैं।

सन्देश सिग्नल प्रेषण व प्राप्ति के लिए दो चरण होते हैं। पहले चरण में प्रत्येक कम्प्यूटर सिग्नल प्राप्त करता है व उसे पुनः संचरित करता है तथा जिस कम्प्यूटर हेतु सन्देश भेजा गया हो,वह उसे स्वीकार करके उस पर कार्य करता है। दूसरे चरण में टोकन नामक लघु संदेश सिग्नल का सृजन किया जाता है और रिंग के चारों तरफ उसे भेज दिया जाता है। जो कम्प्यूटर संदेश सिग्नल भेजना चाहता है वह टोकन को पकड़कर प्रेषित करने हेतु डाटा, प्रेषक और प्राप्तकर्ता के पते जोड़कर टोकन को पुनः भेजता है। टोन जिस कम्प्यूटर हेतु भेजा जाता है वह कम्प्यूटर उसे प्राप्त करके वापस प्राप्ति की सूचना प्रेषित कर देता है।

रिंग टोपोलॉजी से लाभ / Advantages of Ring Topology

(1) केबिल में व्यवधान सरलता से खोजा सकता है।
(2) इसके अन्तर्गत दोहरी रिंग का प्रयोग करने से एक रिंग खराब होने पर भी प्रणाली सुचारु रूप से कार्य कर सकती है।
(3) इसमें संचरण की गति बस टोपोलॉजी की तुलना में अधिक होती है।
(4) यह अधिक विश्वसनीय है।

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कमियाँ (Disadvantages)—

(1) बस टोपोलॉजी की अपेक्षा इसको स्थापित करना अधिक कठिन है।
(2) दो रिंग व्यवस्था में भी दोनों रिंग खराब होने पर प्रणाली बन्द हो सकती है।
(3) किसी एक भी कम्प्यूटर के समस्याग्रस्त होने पर समूचा नेटवर्क प्रभावित होता है।

3. स्टार टोपोलॉजी (Star Topology)

इसके अन्तर्गत एक सर्वर कम्प्यूटर होता है तथा प्रत्येक वर्क स्टेशन या टर्मिनल कम्प्यूटर इस सर्वर कम्प्यूटर से सीधा जुड़ा होता है । यह विधि अत्यधिक प्रचलित है । कम्प्यूटरों के सर्वर से सीधे जुड़े होने के कारण इसकी रचना सितारे या स्टार के समान होने के कारण इसे स्टार टोपोलॉजी कहते हैं। इसमें कम्प्यूटरों को सर्वर से जोड़ने हेतु सर्वर के साथ हब (HUB) नामक
यन्त्र का प्रयोग किया जाता है।

स्टार टोपोलॉजी से लाभ / Advantages of Star Topology

(1) इस प्रकार के नेटवर्क में त्रुटि दूंढना सरल है।
(2) संचार सम्बन्धी व्यवधान स्वतः दूर हो जाते हैं।
(3) संचार की गति तीव्र होती है।
(4) एक वर्क स्टेशन या टर्मिनल कम्प्यूटर समस्याग्रस्त होने पर भी समस्त नेटवर्क प्रणाली सुचारू रूप से चलती रहती है।

स्टार टोपोलॉजी से हानि / Disadvantages of Star Topology

(1) इसमें बस व रिंग टोपोलॉजी की तुलना में अधिक लम्बी केबिल की आवश्यकता होती है जिससे लागत बढ़ जाती है।
(2) यह सम्पूर्ण प्रणाली एक हब पर निर्भर करती है अत: हब के खराब हो जाने पर सम्पूर्ण नेटवर्क फेल हो जायेगा।

4. जाल टोपोलोजी (Mesh Topology)

जाल टोपोलॉजी में प्रत्येक कम्प्यूटर अन्य सभी कम्प्यूटरों से जुड़ा रहता है। इसी कारण इसे Point of Point नेटवर्क अथवा जाल नेटवर्क (Mesh Network) कहते हैं। सम्पूर्ण जाल नेटवर्क में n डिवाइसेज को जोड़ने के लिए n (n – 1)/2 भौतिक चैनलों की आवश्यकता होती है।

जाल टोपोलोजी से लाभ / Advantages of Mesh Topology

(1) आँकड़ों के आदान-प्रदान का निर्णय प्रत्येक कम्प्यूटर स्वयं लेता है।
(2) यह अधिक विश्वसनीय है। एक लिंग के कार्य न करने पर सम्पूर्ण प्रणाली प्रभावित नहीं होती।
(3) इसकी भौतिक सीमाएँ दूसरे प्रयोगकर्ताओं को सन्देश प्राप्त करने से रोकती हैं।
(4) इसमें त्रुटियों का पता आसानी से लगाया जा सकता है।

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जाल टोपोलोजी से हानि / Disadvantages of Mesh Topology –

इसमें मुख्य हानि यह है कि इसकी लाइन बिछाने के लिए अधिक इनपुट/आउटपुट पोर्ट की आवश्यकता होती है। इससे केबलिंग का खर्चा बढ़ जाता है।

टोयोलॉजियों का संयुक्त प्रयोग

किन्हीं भी दो अथवा तीन टोपोलॉजियों को जोड़कर उन्हें संयुक्त रूप में भी प्रयोग किया’ जा सकता है । जैसे-स्टार-बस टोपोलॉजी, स्टार रिंग-टोपोलॉजी आदि।

1. स्टार-बस टोपोलॉजी (Star-Bus Topology)


यह नेटवर्क स्टार टोपोलॉजी तथा बस टोपोलॉजी का संयुक्त रूप है । इसके अन्तर्गत एक से अधिक स्टार हब को बस केबिल से एक साथ जोड़ दिया जाता है। कोई कम्प्यूटर खराब होने पर हब उस नोड की खराबी का पता लगाकर उसे कम्प्यूटर नेटवर्क से अलग कर देता है।

2. स्टार-रिंग टोपोलॉजी (Star-Ring Topology)


यह नेटवर्क स्टार टोपोलॉजी तथा रिंग टोपोलॉजी का संयुक्त रूप है। इसके अन्तर्गत नेटवर्क केबिल स्टार टोपोलॉजी की तरह लगी होती है, परन्तु रिंग को एक केन्द्रीय हब से जोड़ा जाता है।


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