आज का युग कम्प्यूटर का युग है। आज के जीवन मे सभी को कम्प्यूटर की बेसिक जानकारी होनी चाहिए। बहुत सी प्रतियोगी परीक्षाओं में भी कम्प्यूटर से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। इसीलिए हमारी साइट hindiamrit.com कम्प्यूटर से जुड़ी समस्त महत्वपूर्ण टॉपिक की श्रृंखला पेश करती है,जो आपके लिए अति महत्वपूर्ण साबित होगी,ऐसी हमारी आशा है। अतः आज का हमारा टॉपिक प्रिंटर के प्रकार / इम्पैक्ट और नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर / इंकजेट और लेजर प्रिन्टर की जानकारी प्रदान करना है।
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प्रिंटर के प्रकार / इम्पैक्ट और नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर / इंकजेट और लेजर प्रिन्टर
इम्पैक्ट और नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर / इंकजेट और लेजर प्रिन्टर / प्रिंटर के प्रकार
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प्रिन्टर क्या है / what is Printer in hindi
प्रिन्टर एक प्रकार की इलेक्ट्रो मैकेनिकल युक्ति है जो बाइनरी कोड में आँकड़े प्राप्त करती है तथा इसको कागज पर छापती (Print) है। नई-नई खोजों ने प्रिण्टर के रूप ही बदल दिया है। इलेक्ट्रॉनिक तथा मशीनी तकनीक में नई खोजों के कारण बड़े बड़े प्रिण्टरों का स्थान डेस्कटॉप प्रिन्टरों ने ले लिया प्रिन्टर मुख्यत: दो किस्म के होते हैं।
प्रिंटर के प्रकार / types of printer in hindi
(क ) इम्पैक्ट प्रिन्टर (Impact Printer)
इम्पैक्ट प्रिन्टर वे प्रिन्टर होते हैं जो कि मशीन के सम्पर्क तथा स्याही लगे रिबन के माध्यम से कागज पर आकृति तैयार करते हैं। विभिन्न प्रकार के इम्पैक्ट प्रिन्टर प्रयोग किये जाते हैं। इनमें मुख्य हैं-
(i) डॉट मैट्रिक्स प्रिन्टर (Dot Materis Pinter)
इन प्रिण्टरों के प्रिन्ट हैड में पिन होती है। यह 9 अथवा 24 पिनों द्वारा निर्मित होते हैं। ये पिन कागज पर दबाव के माध्यम से डॉ. चत्रित करती हैं। कम्प्यूटर द्वारा निर्देश मिलने पर उक्त डॉट मिलकर एक अक्षर का रूप ले लेते हैं। कम्प्यूटर द्वारा प्रिन्ट आदेश प्रिन्टर को मैमोरी में प्राप्त हो जाते हैं। जिसको प्रिन्टर का हैड पेपर पर उतार देता है।
(ii) डेजी ह्वील प्रिन्टर (Daisy Wheel Printer)
इसके प्रिंट हैड की आकृति एक पुष्प डेजी (Daisy-गुलबहार) से मिलती है। इसके प्रिंट हैड में एक चक्र या ह्वील (Wheel) होता है जिसकी प्रत्येक तान (Spoke) में एक करेक्टर का ठोस फॉन्ट उभरा रहता है। ह्वील, कागज की क्षैतिज दिशा में गति करता है और छपने योग्य करेक्टर का स्पोक (Spoke), ह्वील के घूमने से प्रिंट पोजीशन (Position) पर आता है। एक छोटा हैमर (hammer) स्पोक, कागज और रिबन (Ribbon) पर टकराता है जिससे अक्षर कागज पर छप जाता है।
(ii) लाइन प्रिन्टर (Line Printer)
ये प्रिन्टर एक बार में पूरी लाइन छापते हैं। ये इनकी स्पीड 300 लाइन प्रति सेकण्ड तक होती है परन्तु ये काफी आवाज करते हैं तथा प्रिन्टिंग भी उतनी आकर्षक नहीं होती है, साथ ही लाइन प्रिन्टर काफी महँगे भी होते हैं। इनका प्रयोग बड़े संस्थानों द्वारा बड़ी मात्रा में प्रिन्टिंग हेतु किया जाता है। लाइन प्रिन्टर के निम्न तीन उदाहरण हैं-
(अ) ड्रम प्रिन्टर (Drum Printer), (ब) चेन प्रिन्टर (Chain Printer),(स) बैण्ड प्रिन्टर (Band Printer)।
(अ) ड्रम प्रिन्टर (Druin Printer)
ड्रम प्रिन्टर में तेज घूमने वाला बेलनाकार ड्रम लगा होता है। इस ड्रम की सतह पर अक्षर उभरे रहते हैं। एक बैण्ड पर सभी अक्षरों का एक समूह होता है तथा सम्पूर्ण ड्रम पर ऐसे अनेक बैण्ड होते हैं जिससे कागज पर लाइन की प्रत्येक स्थिति में अक्षर छापे जा सकते हैं। ड्रम तेजी से घूमता है और एक तेज गति का हैमर प्रत्येक बैण्ड के उचित अक्षर पर कागज के विरुद्ध टकराकर दबाव बनाता है और एक घूर्णन पूरा होने पर एक लाइन छप जाती है।
(ब) चेन प्रिन्टर (Chain Printer)
इस प्रिन्टर में तेज घूमने वाली एक चेन होती है। जिसे प्रिंट चेन (Print Chain) कहते हैं। चेन में करेक्टर होते हैं। प्रत्येक कड़ी में एक करेक्टर का फॉन्ट (Font) होता है। प्रत्येक प्रिन्ट पोजीशन पर हैमर्स (Hammers) लगे रहते हैं। प्रिन्टर, कम्प्यूटर लाइन के सभी छपने वाले करेक्टर प्राप्त कर लेता है। हैमर कागज और उचित करेक्टर से टकराता है और एक बार में एक लाइन छप जाती हैं।
(स) बैण्ड प्रिन्टर (Band Printer)
यह प्रिन्टर, चेन प्रिन्टर के समान कार्य करता है। इसमें चेन के स्थान पर स्टील का एक प्रिण्ट बैण्ड (Print Band) होता है। हैमर के दबाव से उचित करेक्टर्स एक लाइन के रूप में छप जाते हैं।
(ख) नॉन इम्पैक्ट प्रिन्टर (Non Impact Printer)
ये प्रिन्टर एक प्रकार के इलेक्ट्रोस्टेट की तरह के होते हैं तथा इसी तरह कार्य करते हैं। इसमें कागज पर मशीन अथवा रिबन का कोई सम्पर्क नहीं होता है, अपितु मशीन द्वारा इस पर किरणें डालकर आकृति बनायी जाती है। इस प्रकार के प्रिन्टर के उदाहरण निम्न हैं-
(i) इंकजेट प्रिन्टर (Ink Jet Printer)
इंकजेट प्रिन्टर की मुद्रण प्रणाली भी डॉट मैट्रिक्स प्रिन्टर की तरह होती है। इसमें कागज पर छपने वाले बिन्दु स्याही की बहुत छोटी-छोटी बूंदों के द्वारा बनाये जाते हैं। ये बिन्दु डॉट मैट्रिक्स की तुलना में छोटे तथा नजदीक होते हैं इसलिए अक्षर सुन्दर व स्पष्ट आते हैं। इंकजेट प्रिन्टरों में स्याही नोजल में से पम्प करके पेपर पर स्प्रे की जाती है।
जैसे-जैसे प्रिन्ट हैड चलता है ये बूंदें अक्षर बनाती जाती हैं। स्याही की बूंदें ठीक स्थान पर गिरें, इसके लिए कई तकनीकें अपनायी जाती हैं। इसमें कम्प्यूटर से प्राप्त सिग्नल को प्रेशर में परिवर्तित करके उसे स्याही के बर्तन पर डाला जाता है इसे स्याही की बूंदें दबाव से प्रिन्ट हैड से कागज पर गिरती हैं तथा अक्षर या आकृति बन जाती है। इनसे छपे अक्षर बहुत सुन्दर होते हैं, परन्तु प्रिन्ट की गति काफी धीमी होती है। ये प्रिन्टर इंक भी अधिक व्यय करते हैं इसलिए अधिक खर्चीले होते हैं।
(ii) लेजर प्रिण्टर (Laser Printer)
लेजर प्रिण्टर प्रिण्ट की अत्याधुनिक प्रणाली है। ये कीमत में अधिक होते हैं। परन्तु गुणवत्ता स्तर अधिक होने के कारण इनका प्रचलन तेजी से बढ़ा है। ये बिना किसी आवाज के कागज पर छापते हैं। ये प्रिण्टर भी बिन्दु छापते हैं परन्तु बिन्दु इतने पास-पास होते हैं कि मालूम ही नहीं पड़ता है। सामान्य लेजर प्रिण्टर एक वर्ग इंच में 300 300 बिन्दु छापता है। लेजर प्रिण्टर की कार्यविधि फोटोस्टेट मशीन की तरह होती है। इसमें लेजर किरणों का प्रयोग होता है।
किरणों को आठ समतल दर्पण वाले प्रिज्म पर डाला जाता है। प्रिज्म घूमता रहता है। लेजर किरण परावर्तित होकर बेलन पर पड़ती है तथा बेलन पर एक चार्ज बिन्दु उत्पन्न हो जाता है। इस तरह बेलन पर अक्षर उकेर (उभार) लिए जाते हैं फिर उस पर सूखा स्याही पाउडर डाला जाता है जिसे टोनर (Toner) कहते हैं। पाउडर केवल उन्हीं स्थानों पर लगता है जहाँ प्रकाश बिन्दु होते हैं। तब इस बेलन को कागज पर घुमाकर ये अक्षर कागज पर उतर जाते हैं। ये अक्षर अभी स्थायी नहीं होते हैं। कागज को थोड़ी गर्मी मिलते ही ये पिघलकर कागज पर स्थायी रूप से छप (चिपक) जाते हैं। पाउडर (Toner) जितना महीन और उच्च क्वालिटी का होता है अक्षर उतने ही आकर्षक आते हैं।
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