दोस्तों हमारा आज का टॉपिक वीर रस की परिभाषा और उदाहरण | veer ras in hindi | वीर रस के उदाहरण है। हमे अनेक परीक्षाओं में रसों से संबंधित प्रश्न आते हैं,जिनमे रस के उदाहरण या उदाहरण देकर रस का नाम पूछा जाता है। इसलिए hindiamrit.com आज आपको इस टॉपिक की विधिवत जानकारी देगा।
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वीर रस की परिभाषा और उदाहरण | veer ras in hindi | वीर रस के उदाहरण
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वीर रस की परिभाषा और उदाहरण | veer ras in hindi | वीर रस के उदाहरण
हमने आपको इस टॉपिक में क्या क्या पढ़ाया है?
(1) वीर रस की परिभाषा
(2) वीर रस के उदाहरण स्पष्टीकरण सहित
(3) वीर रस के अन्य उदाहरण
(4) वीर रस के परीक्षा उपयोगी प्रश्न
वीर रस की परिभाषा | वीर रस किसे कहते हैं
शत्रु का उत्कर्ष, दीनों की दुर्दशा, धर्म की हानि आदि को देखकर इनको मिटाने के लिए किसी के हदय में उत्साह नामक भाव जागृत हो और वही विभाव, अनुभाव तथा व्यभिचारी भावों के संयोग, से रस रूप में परिणत हो तब ‘वीर रस होता है।
उत्साह के प्रकार
आलम्बन भेद के आधार पर उत्साह चार प्रकार का होता है-
1. शत्रु के उत्कर्ष को मिटाकर आत्मोद्वार का उत्साह ।
2. दीन के दुःख को दूर करने का उत्साह।
3. अधर्म को मिटाकर धर्म का उद्धार करने का उत्साह।
4. सुपात्र को दान देकर उसके कष्ट दूर करने का उत्साह।
वीर-रस के भेद | वीर रस के प्रकार
उपर्युक्त उत्साह के भेद के आधार पर वीर-रस के भी 4 भेद हो जाते हैं। इनके नाम क्रमशः इस प्रकार हैं-
(1) युद्धवीर, (2) दयावीर, (3) धर्मवीर, तथा (4) दानवीर।
वीर रस का उदाहरण | वीर रस के आसान उदाहरण
(1) सौमित्रि से घननाद का रव अल्प भी न सहा गया।
निज शत्रु को देखे विना, उनसे तनिक न रहा गया।
रघुवीर से आदेश ले युद्धार्थ वे सजने लगे ।
रणवाद्य भी निर्घाष करके धूम से बजने लगे ।
स्पष्टीकरण-
इस पद्य में वीर रस है । रस सामग्री इस प्रकार है –
आश्रय – सौमित्रि
आलम्बन – मेघनांद
स्थायी भाव – उत्साह
उद्दीपन विभाव – घननाद का रव
अनुभाव – युद्धार्थ सजना
संचारी भाव – उग्रता एवं औत्सुक्य,
रस – वीर (युद्धवीर)
(2) फहरी ध्वजा, फड़की भुजा, बलिदान की ज्वाला उठी।
निज जन्मभू के मान में, चढ़ मुण्ड की माला उठी।
स्पष्टीकरण-
इस पद्य में वीर रस है । रस सामग्री इस प्रकार है –
आश्रय – निज जन्म भू
आलम्बन – मुण्डमाल
स्थायी भाव – उत्साह
उद्दीपन विभाव – बलिदान की ज्वाला उठना
अनुभाव – ध्वजा फहराना, भुजाएँ फड़कना
संचारी भाव – उग्रता
रस – वीर
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(A) श्रृंगार रस (B) शांत रस ( c) हास्य रस
(D) करुण रस (E) रौद्र रस (F) भयानक रस
(G) वीभत्स रस (H) वीर रस (i) अद्भुत रस
( J) भक्त्ति रस
वीर रस के अन्य उदाहरण | वीर रस के आसान उदाहरण
(1) निकसत म्यान तें मयूखैं प्रलैभानु कैसी,
फारैं तमतोम से गयंदन के जाल कों।
(2) लागति लपटि कंठ बैरिन के नागिनी सी,
रुद्रहिं रिझावै दै दै मुंडन के माल कों।
(3) लाल छितिपाल छत्रसाल महाबाहु बली,
कहाँ लौं बखान करों तेरी कलवार कों।
(4) प्रतिभट कटक कटीले केते काटि काटि,
कालिका सी किलकि कलेऊ देति काल कों।
वीर रस के परीक्षा उपयोगी प्रश्न
(1) बुंदेलों हरबोलों के मुह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।।
(2) भुज भुजगेस की वै संगिनी भुजंगिनी – सी,
खेदि खेदि खाती दीह दारुन दलन के।
(3) बखतर पाखरन बीच धँसि जाति मीन,
पैरि पार जात परवाह ज्यों जलन के।
(4) रैयाराव चम्पति के छत्रसाल महाराज,
भूषन सकै करि बखान को बलन के।
(5) पच्छी पर छीने ऐसे परे पर छीने वीर,
तेरी बरछी ने बर छीने हैं खलन के।
★ रस के अंग – विभाव,अनुभाव,संचारी भाव,स्थायी भाव आदि पढ़िये इसे टच करके।।
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