बहुस्तरीय (बहुश्रेणी) शिक्षण विधि का अर्थ | बहुस्तरीय शिक्षण का उद्देश्य | Multi Step Teaching in hindi

बहुस्तरीय (बहुश्रेणी) शिक्षण विधि का अर्थ | बहुस्तरीय शिक्षण का उद्देश्य | Multi Step Teaching in hindi  – दोस्तों सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में शिक्षण कौशल 10 अंक का पूछा जाता है। शिक्षण कौशल के अंतर्गत ही एक विषय शामिल है जिसका नाम शिक्षण अधिगम के सिद्धांत है। यह विषय बीटीसी बीएड में भी शामिल है। आज हम इसी विषय के समस्त टॉपिक को पढ़ेगे।  बीटीसी, बीएड,यूपीटेट, सुपरटेट की परीक्षाओं में इस टॉपिक से जरूर प्रश्न आता है।

अतः इसकी महत्ता को देखते हुए hindiamrit.com आपके लिए बहुस्तरीय (बहुश्रेणी) शिक्षण विधि का अर्थ | बहुस्तरीय शिक्षण का उद्देश्य | Multi Step Teaching in hindi  लेकर आया है।

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बहुस्तरीय (बहुश्रेणी) शिक्षण विधि का अर्थ | बहुस्तरीय शिक्षण का उद्देश्य | Multi Step Teaching in hindi

बहुस्तरीय (बहुश्रेणी) शिक्षण विधि का अर्थ | बहुस्तरीय शिक्षण का उद्देश्य | Multi Step Teaching in hindi
बहुस्तरीय (बहुश्रेणी) शिक्षण विधि का अर्थ | बहुस्तरीय शिक्षण का उद्देश्य | Multi Step Teaching in hindi


Multi Step Teaching in hindi | बहुस्तरीय (बहुश्रेणी) शिक्षण विधि का अर्थ | बहुस्तरीय शिक्षण का उद्देश्य

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शिक्षण की नवीन विधाएं | शिक्षण के नवीन उपागम

शिक्षण की नवीन विधाएं या उपागम कुल 6 हैं जो निम्न हैं

(1) क्रियापरक शिक्षण (Activity Teaching)
(2) बाल-केन्द्रित शिक्षण उपागम (Child-centred Teaching Approach)
(3) रुचिपूर्ण शिक्षण (Interesting Teaching)
(4) सहभाग शिक्षण (Participation Teaching)
(5) बहुस्तरीय (बहुश्रेणी) शिक्षण विधि (Multi Step Teaching)
(6) बहुकक्षा शिक्षण (Multiclass Teaching)


बहुस्तरीय (बहुश्रेणी) शिक्षण विधि (Multi Step Teaching)

प्रत्येक क्षेत्र में विकास की प्रक्रिया प्रशस्त हो रही है। लेकिन
जितना विकास हो रहा है। उतनी ही नवीन समस्याएँ जन्म ले रही हैं। चाहे वह सामाजिक क्षेत्र हो, राजनीतिक या फिर शिक्षण का क्षेत्र हो । वर्तमान समय में शिक्षण के क्षेत्र में भी अनेकों समस्याएँ पैदा हो रही हैं जिससे छात्रों की शिक्षण व्यवस्था उपयुक्त ढंग से नहीं हो पा रही है। इसी प्रकार की एक समस्या है—विद्यालयों में बढ़ते छात्र तथा अध्यापकों की घटती संख्या । अधिकतर प्राथमिक विद्यालयों में यह देखा जाता है कि एक से पाँच तक कक्षाएँ चल रही हैं लेकिन वहाँ अध्यापकों की संख्या एक या दो से अधिक नहीं होती है। ऐसी स्थिति में शिक्षण हो पाना सम्भव नहीं है। इस समस्या के समाधान के लिए बहुश्रेणी शिक्षण विधा का जन्म हुआ है।

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बहुस्तरीय शिक्षण विधि का अर्थ (Meaning of Multi-step Teaching)

बहुश्रेणी शिक्षण विधि का अभिप्राय एक ऐसे शिक्षण से है जिसमें शिक्षक दो या दो से अधिक कक्षाओं के छात्राओं को एक साथ बैठाकर उनकी वैयक्तिक रुचियों (Individual Interests), भिन्नता, उपलब्धि, अभिरुचि, मानसिक परिपक्वता को ध्यान में रखकर शिक्षण कार्य करता है । जिसके परिणामस्वरूप सभी छात्र अध्ययनरत रहते हैं तथा अनुशासन बना रहता है।


बहुस्तरीय शिक्षण विधि का उद्देश्य (Aims of Multistep Method)

बहुश्रेणी शिक्षण विधि के निम्नलिखित उद्देश्य हैं

(1) छात्रों के समय का सदुपयोग करना ।

(2) छात्रों को उपयुक्त विधि से शिक्षण कार्य करना।

(3) शिक्षकों के अभाव में उत्पन्न समस्याओं का समाधान करना ।

(4) विद्यालय परिसर में अनुशासन बनाना ।

(5) छात्रों का विकास रुचि एवं भिन्नताओं के आधार पर करना।

(6) छात्रों में सृजनात्मक शक्ति का विकास करना ।

(7) शिक्षा-शिक्षण-प्रक्रिया को सुचारु रूप से चलाना ।

(8) छात्रों को लोक संस्कृति—गीत, नाटक, लोकगीत, कविता पाठ आदि से परिचित करना।

(9) छात्रों का मानसिक विकास स्वाभाविक रूप से करना ।

(10) छात्रों को पाठ्यक्रम में निर्देशित दक्षताओं में प्रवीण करना ।

बहुश्रेणी या बहुस्तरीय शिक्षण का प्रयोग करते समय सावधानियां

बहुस्तरीय शिक्षण विधि में ध्यान रखने योग्य बातें बहुश्रेणी शिक्षण
विधि का प्रयोग बड़ी सावधानी व सूझ-बूझ से करना चाहिए । इसका प्रयोग करते समय निम्न बातों को ध्यान रखना परम आवश्यक है –

(1) बहुस्तरीय शिक्षण व्यवस्था में सबसे पहला प्रयोग छात्रों के बैठने की उचित व्यवस्था से है। क्योंकि प्राथमिक स्तर पर विद्यालयों में एक या दो कमरे होते हैं। तथा इनके सामने बरामदा भी पाया जाता है । इसी में एक से पाँच तक की कक्षाओं को लगाया जाता है । छात्रों को इस प्रकार बैठाना चाहिए कि वे एक दूसरी कक्षा को परेशान न करें । तथा अध्यापक भी उन सभी छात्रों को आसानी से देख सके।

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(2) समय सारिणी बनाते समय कमरे तथा शिक्षकों की संख्या को ध्यान में रखकर ही संरचना करनी चाहिए। क्योंकि इन पर ध्यान न देने पर हास्यपरक समय सारिणी बनेगी । इसमें शिक्षक को चाहिए कि वह छात्रों की पाठ्यवस्तु एवं सहायक क्रियाओं के अतिरित्त पर्यावरण आदि का भी दे । जिससे छात्रों को आसानी से पढ़ाया जा सके।

(3) बहुस्तरीय शिक्षण विधि में अध्यापक छात्रों की रुचियों, भिन्नताओं को ध्यान में रखकर ही शिक्षण करे।

(4) यदि विद्यालय प्रांगण में वृक्ष है। तो वहाँ पर शिक्षण कार्य किया जा सकता है । लेकिन ध्यान रहे कि वहाँ ऐसी वस्तु या वातावरण न हो जिससे छात्रों के शिक्षण में बाधा उत्पन्न हो।

(5) बहुस्तरीय शिक्षण विधि में सबसे बड़ी ध्यान में रखने योग्य बात है – मॉनीटर का चुनाव । उपयुक्त एवं कर्मठ कार्यकर्ता को ही चुनना चाहिए, जिससे शिक्षण उपयुक्त हो।

बहुस्तरीय शिक्षण विधि की नीतियाँ

इस शिक्षण विधि की नीतियों को बनाना इसलिए आवश्यक है जिससे छात्रों में शिक्षा उद्देश्य, पाठ्य-वस्तु तथा पूर्व कक्षा-स्तर के अनुरूप निर्धारित गुणों का विकास आसानी से हो सके । इन नीतियों के निर्माण करते समय तथा इनका व्यावहारिक रूप में प्रयोग के समय छात्रों की मनोवैज्ञानिक भिन्नताओं, परिस्थितियों, रुचियों आदि को ध्यान रखना आवश्यक होता है।

बहुस्तरीय शिक्षण विधि की नीतियाँ निम्नलिखित हैं-

(1) उपयुक्त समय सारिणी का निर्माण करना ।

(2) प्रत्येक कक्षा से कर्मठ एवं उपयुक्त मॉनीटर का चुनाव ।

(3) छात्रों के द्वारा निर्मित अधिगम सहायक सामग्री का उचित रख-रखाव, ।

(4) विद्यालय में छात्रों के स्तर के अनुरूप पुस्तकालय की व्यवस्था ।

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(5) छात्रों के खेलकूद, व्यायाम आदि की व्यवस्था करना ।

(6) छात्रों और शिक्षक की मिली-जुली प्रक्रिया का निरीक्षण एवं पर्यवेक्षण करना ।

(7) छात्रों को संज्ञानात्मक एवं संज्ञानोत्तर ज्ञान की उपेक्षा न करना ।

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