दोस्तों आज हम आपको अधिगम के वक्र ,सीखने के वक्र टॉपिक को विधिवत पढ़ाएंगे।
तो इस श्रृंखला में आज hindiamrit.com आपको यह महत्वपूर्ण टॉपिक विधिवत पढ़ाने का प्रयास करेगा।
Contents
अधिगम के वक्र || सीखने के वक्र || learning curve
अधिगम के वक्र का अर्थ(meaning of learning curves)
हम अपने जीवन में अनेक नई बातें नए कार्य एवं नए विषय सीखते हैं।
जैसे– कार चलाना, अंग्रेजी पढ़ना तथा चित्र बनाना। किंतु हमारी सबकी सीखने की गति आरंभ से अंत तक एक सी नहीं होती। वह कभी तेज तो कभी धीमे होती है।
यदि हम अपने सीखने की गति को ग्राफ पेपर पर अंकित करें तो एक वक्र रेखा बन जाएगी। इसी को सीखने का वक्र या अधिगम वक्र कहते हैं।
अधिगम वक्र एक पद्धति है जिसके द्वारा सीखने के रूप, आकार मात्रा को प्रकट किया जाता है।
दूसरे शब्दों में कहें तो अधिगम वक्र सीखने में होने वाली उन्नति या अवनति को व्यक्त करता है।
अधिगम वक्र की परिभाषाएँ || सीखने के वक्र की परिभाषाएं(definition of learning curves)
स्किनर के अनुसार
“अधिगम का वक्र किसी दी हुई क्रिया में उन्नति या अवनति का वर्ग अंकित कागज पर विवरण है |”
एलेक्जेंडर के अनुसार
“जब आंकड़ों को वर्ग अंकित कागज पर अंकित किया जाता है तो वक्र बन जाता है।”
गेट्स के अनुसार
“अधिगम वक्र सीखने की क्रिया में होने वाली गति और प्रगति को व्यक्त करता है।”
रैमर्स के अनुसार
“सीखने का वक्र किसी दी हुई क्रिया की आंशिक रूप से सीखने की पद्धति है।”
प्रयुक्त परिभाषा के आधार पर हम कह सकते हैं कि व्यक्ति अधिगम की क्रिया में जो कुछ करता है। और तीव्र या धीमी गति होती है। उसे हम अधिगम के वक्र से प्रकट करते हैं।
अधिगम के वक्र ग्राफ पेपर पर प्रस्तुत किए जाते हैं।
सीखने के वक्र का अर्थ, सीखने के वक्र की परिभाषा, अधिगम के वक्र की परिभाषा, सीखने के वक्र के प्रकार, सीखने के वक्र की विशेषताये,
अधिगम के वक्र अर्थ और परिभाषा,अधिगम वक्र में पठार कब बनता है,उन्नतोदर वक्र ,नतोदर अधिगम वक्र,अधिगम वक्र के प्रकार,
सीखने का वक्र की परिभाषा,अधिगम वक्र का अर्थ और परिभाषा, Adhigam ke vakra, Learning Curve in Hindi, Convex Learning Curve in Hindi, Concave Learning Curve in Hindi, S Type Curve in Hindi
अधिगम वक्र की विशेषताएं(properties of learning curves)
(1) अधिगम वक्र के द्वारा अधिगम की अनियमित उन्नति प्रकट होती है।
(2) अधिगम वक्र से ये पता चलता है कि सीखने की क्रिया और उससे प्रेरित करने वाले साधन और कारकों से क्या संबन्ध है।
(3) इनके द्वारा सीखने वाले की शारीरिक और मानसिक क्षमता का विकास होता है।
(4) सीखने में उन्नति का ज्ञान होता है।
(5) यह ग्राफ पेपर में ही अंकित किये जाते है।
हमारे चैनल को सब्सक्राइब करके हमसे जुड़िये और पढ़िये नीचे दी गयी लिंक को टच करके विजिट कीजिये ।
https://www.youtube.com/channel/UCybBX_v6s9-o8-3CItfA7Vg
सीखने के वक्र के कारण(reason of learning curves)
सीखने के वक्र के उतार-चढ़ाव के प्रमुख कारण निम्न है
(1) उत्तेजना
(2) संतुलन
(3) थकान
(4) अभ्यास
(5) प्रोत्साहन
अधिगम वक्र के प्रकार types of learning curves
(1) सरल रेखीय वक्र (straight line curve)
(2) उन्नतोदर वक्र (convex curve) / ऋणात्मक उन्नति सूचक वक्र (negative accelerated curve)
(3) नतोदर वक्र (concave curve) / धनात्मक उन्नति सूचक वक्र (positive accelerated curve)
(4) मिश्रित वक्र (mixed curve or combination type curve) / अवग्रहास वक्र (sigmoid curve)
(1) सरल रेखीय वक्र (straight line curve)
यह वक्र सीखने की प्रगति को लगातार बढ़ते हुए व्यक्त करता है। यह वक्र बहुत कम दशाओं में पाया जाता है।
(2) उन्नतोदर वक्र (convex curve) / ऋणात्मक उन्नति सूचक वक्र (negative accelerated curve)
इस प्रकार के वक्र में अधिगम की क्रिया में आरंभ में गति अधिक दिखाई पड़ती है।
अभ्यास के बढ़ने के साथ-साथ उन्नति की गति शिथिल पड़ती जाती है।
अर्थात शुरू में सीखने की गति तेज तथा बाद में धीरे धीरे बंद हो जाती है।
और अंत में वक्र एक सीधी रेखा या पठार के रूप में हो जाता है। जो यह बताता है कि अब अभ्यास के फलस्वरुप अधिक उन्नति संभव नहीं है।
(3) नतोदर वक्र (concave curve) / धनात्मक उन्नति सूचक वक्र (positive accelerated curve)
इस प्रकार के वक्र में उन्नति धीरे-धीरे होती है।
जब सीखने की गति प्रारंभिक काल में धीमी होती है।
और बाद में सीखने की गति में उन्नति होती है। तो जो वक्र बनता है उसको धनात्मक उन्नति सूचक वक्र या नतोदर वक्र कहते हैं।
प्रारंभ में सीखने की गति धीमी इसलिए है कि सीखने वाला कार्य से भली-भांति परिचित नहीं हो पाया था। फिर धीरे-धीरे कार्य को जानकर सीखने की गति में वृद्धि होती है।
(4) मिश्रित वक्र (mixed curve or combination type curve) / अवग्रहास वक्र (sigmoid curve)
यह पृथक रूप से कोई वक्र नहीं है। वास्तव में यह न तो उन्नतोदर न ही नतोदर वक्र होते है। बल्कि यह इन दोनो का मिश्रण मात्र है।
इस प्रकार के वक्र में प्रारंभिक घंटों में गति धीमी रहती फिर तीव्र हो जाती है। इसके बाद फिर धीमी और फिर तीव्र हो जाती है।
उपयोगी लिंक
सीखने (अधिगम) के सिद्धान्त के उपनाम
सीखने / अधिगम के वक्र को प्रभावित करने वाले कारक या तत्व
(1) पूर्व अनुभव (preexperience)
वक्र में बालक द्वारा पूर्व ज्ञान का लाभ उठाने, नवीन ज्ञान प्राप्त करने की क्रिया और उसका परिणाम स्पष्ट हो जाता है।
(2) आभास (feeling)
अधिगम की जाने वाली क्रिया का यदि आभास मात्र भी हो जाए तो उसका भी प्रभाव वक्र में देखा जा सकता है।
जैसे कि परीक्षा के समय सूत्र का आभास होने से ही छात्र सवाल को लगा लेता है और अंक प्राप्त कर लेता है।
(3) सरल से कठिन की ओर (from easy to complex)
अधिगम की क्रिया यदि “सरल से कठिन की ओर” सिद्धांत पर आधारित है तो वक्र पर उसका अंकन उन्नति सूचक होगा।
(4) कौशल (skill)
अधिगम प्रक्रिया में कौशल का आयोजन होने पर मापन के समय इसका प्रभाव स्पष्ट प्रकट होता है।
(5) उत्साह (excitement)
सीखने की क्रिया के लिए यदि सीखने वाले में क्रिया के प्रति यदि अपूर्व उत्साह है। तो इसका दर्शन भी वक्र में हो जाएगा।
अधिगम के पठार – अर्थ,परिभाषा,कारण,निवारण
दोस्तों आपको यह टॉपिक पढ़कर कैसा लगा हमे जरूर बताये तथा आप इसे शेयर करके अपने दोस्तों को भी पढ़ा सकते है।
tages– सीखने के वक्र का अर्थ, सीखने के वक्र की परिभाषा, अधिगम के वक्र की परिभाषा, सीखने के वक्र के प्रकार, सीखने के वक्र की विशेषताये,
अधिगम के वक्र अर्थ और परिभाषा,सीखने के वक्र अभ्यास द्वारा सीखने की मात्रा गति,अधिगम वक्र में पठार कब बनता है,उन्नतोदर वक्र ,नतोदर अधिगम वक्र,अधिगम वक्र के प्रकार,
सीखने का वक्र की परिभाषा,अधिगम वक्र का अर्थ और परिभाषा, Adhigam ke vakra, Learning Curve in Hindi, Convex Learning Curve in Hindi, Concave Learning Curve in Hindi, S Type Curve in Hindi