गणित शिक्षण के उद्देश्य (NCF 2005 के अनुसार) | CTET MATH PEDAGOGY

दोस्तों अगर आप CTET परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो CTET में 50% प्रश्न तो सम्मिलित विषय के शिक्षणशास्त्र से ही पूछे जाते हैं। आज हमारी वेबसाइट hindiamrit.com आपके लिए गणित विषय के शिक्षणशास्त्र से सम्बंधित प्रमुख टॉपिक की श्रृंखला लेकर आई है। हमारा आज का टॉपिक गणित शिक्षण के उद्देश्य (NCF 2005 के अनुसार) | CTET MATH PEDAGOGY है।

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गणित शिक्षण के उद्देश्य (NCF 2005 के अनुसार) | CTET MATH PEDAGOGY

गणित शिक्षण के उद्देश्य (NCF 2005 के अनुसार) | CTET MATH PEDAGOGY
गणित शिक्षण के उद्देश्य (NCF 2005 के अनुसार) | CTET MATH PEDAGOGY

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विभिन्न स्तरों पर गणित शिक्षण के उद्देश्य

एन.सी.एफ.-2005 के अनुसार विभिन्न स्तरों पर गणित शिक्षण के उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

(1) प्राथमिक स्तर पर गणित शिक्षण के उद्देश्य

(i) इस स्तर पर गणित शिक्षण मूर्त से अमूर्त की ओर होना चाहिए ताकि बच्चा अपने दैनिक जीवन की तार्किक क्रियाओं एवं गणितीय चिंतन के बीच संबंधों को समझने लायक बन सके।
(ii) अनुपदेशात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देना जिसमें शिक्षण का बहुत कम हस्तक्षेप हो।
(iii) इस स्तर पर बच्चे खाली पात्र नहीं होते। वे अंकों तथा साधारण संक्रियाओं के अंतर्ज्ञानीय व सांस्कृतिक विचारों से सुसज्जित होते हैं। अत: उनके इस ज्ञान का उपयोग अंकों के प्रति समझ उत्पन्न करने के लिए किया जाना चाहिए।
(iv) सीमित राशियों व छोटे अंकों के द्वारा बच्चों में तार्किक कौशलों का विकास करना।

(v) गणित के अंकहीन क्षेत्रों, जैसे- आकार, दिक् संबंधी समझ, पैटर्न (प्रतिरूप/प्रारूप), मापन एवं आँकड़ों की हैंडलिंग को बढ़ावा देना।
(vi) बच्चों में संकल्पनात्मक आधार को बढ़ावा देना ताकि शाब्दिक समस्याएं हल करते समय बच्चे को पता चले कि जोड़ना है, घटाना है, गुणा करना है या फिर भाग देना है।
(vii) संक्रियाओं के प्रसंगानुसार परिचय पश्चात् भाषा और प्रतीकात्मक संकेतनों का विकास करना।
(viii) भिन्नों की संक्रियाओं पर कम जोर देना ताकि बच्चे में भय उत्पन्न न हो।
(ix) संख्या बोध से संख्या पैटर्न की ओर बढ़ना, संख्याओं के मध्य संबंध देखना एवं सम्बन्धों में पैटर्न खोजना ताकि बच्चों में जीवनोपयोगी कौशल विकसित हो।

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(2) उच्चतर प्राथमिक स्तर पर गणित शिक्षण के उद्देश्य

(i) अंकगणित व बीजगणित के उपयोग पर जोर देना जिससे बच्चे दैनिक जीवन की समस्याओं को हल कर सकें।
(ii) चरों के उपयोग, रैखिक समीकरणों को बनाने एवं हल करने, सर्वसमिकाएँ व गुणनखंड करने को बढ़ावा देना ताकि बच्चे नयी भाषा के धाराप्रवाह उपयोग को सीख सकें।
(iii) बच्चों को विभिन्न प्रकार के नियमित आकार, जैसे- त्रिभुज, वृत्त और चतुर्भुज पढ़ाना।
(iv) क्षेत्रफल, परिमाप आदि के विषय में समझाना।
(v) ज्यामिति के अनौपचारिक परिचय देने के लिए कागज मोड़ना और काटना, सममिति व रूपांतरण के विचारों से अवगत कराना।

(vi) “जीवन कौशलों”, जैसे- आँकड़ों का प्रहस्तन (डाटा हैंडलिंग), निरूपण और दृष्टिकरणए को सीखाना।
(vii) आँकड़ों के प्रहस्तन की प्रक्रिया को समझने, निरूपित करने और दिन-प्रतिदिन के आँकड़ों के ग्राफीय निरूपण को बढ़ावा देना।
(viii) रैखिक ग्राफ बनाने की औपचारिक तकनीकें पढ़ाना।
(ix) समझ, संगठन और कल्पनाशीलता को प्रोत्साहित करने के लिए दृश्य अधिगम को बढ़ावा देना।
(x) बच्चों को कम अनौपचारिक परन्तु सहमतकारी तकों के द्वारा अपने निष्कर्षों को सही साबित करने का अवसर देना।
(xi) गणितीय अवधारणाओं के अनुप्रयोग से संबंधित समस्याओं को तर्कसंगत रूप से हल करना।

(3) माध्यमिक स्तर पर गणित शिक्षण के उद्देश्य

(i) गणित की संरचना को समझाना।
(ii) गणित के तथ्यों, शब्दों, संकेतों आदि का ज्ञान प्रदान करना।
(iii) गणित की संकल्पनाओं, प्रतिक्रियाओं, सूत्रों आदि का ज्ञान प्रदान करना।
(iv) गणित की विभिन्न शाखाओं से अवगत कराना।
(v) गणितीय संप्रेषण की विशेषताओं को समझाना।
(vi) गणितीय समस्याओं को हल करने के लिए विभिन्न यंत्रों व सारणी के प्रयोग में दक्षता प्रदान करना।
(vii) बीजगणित और त्रिकोणमिति, ज्यामिति और क्षेत्रमिति आदि विषय क्षेत्रों की समस्याओं से अवगत कराना
(viii) गणित का संबंध भौतिक एवं सामाजिक विज्ञान से स्पष्ट करना ।
(ix) गणितीय प्रतिमानीकरण, आँकड़ों का विश्लेषण और उनकी व्याख्याओं से अवगत कराना।
(x) प्रायोगीकरण एवं अन्वेषण पर बल देना।
(xi) बच्चों को किसी नियम, सूत्र या सिद्धांत को तर्क के आधार पर स्वीकार करने के लिए प्रेरित करना।
(xii) बच्चों में क्रियात्मकता, नियमितता, एकाग्रता, सत्यता, धैर्यता, स्पष्टता एवं शुद्धता जैसे गुणों का विकास करना।

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बहुविकल्पीय प्रश्न (खुद को जांचिए )

1. निम्नलिखित में से कौन-सा संख्या की समझ का महत्वपूर्ण पहलू नहीं है ? 

(a) पंक्तिबद्धता
(b) गणना
(c) अंक लिखना
(d) संरक्षण

2. निम्नलिखित में से कौन-सा प्राथमिक स्तर पर गणित शिक्षण की पाठ्यचर्या अपेक्षाओं के साथ मेल नहीं खाता है ?

(a) मानक परिकलन प्रणाली से संख्या सम्बन्धी संक्रियाओं के करने में भाषा और प्रतीक चिन्हों का विकास
(b) भिन्न को पूर्ण के अंश के रूप में प्रदर्शित करना तथा सरल भिन्नों को व्यवस्थित करना
(c) वर्गीकृत आँकड़ों के निरूपण का विश्लेषण करना तथा निष्कर्ष निकालना
(d) दैनिक जीवन की तार्किक कार्यप्रणाली तथा गणितीय सोच के बीच संयोजन का विकास

3. गणित की शिक्षा का मुख्य ध्येय है:

(a) बच्चों की गणितीय प्रतिभाओं का विकास करना
(b) ज्यामिति के प्रमेयों और उनके प्रमाणों का स्वतंत्र रूप से सृजन करना
(c) विद्यार्थियों को गणित समझने में सहायता करना ।
(d) उपयोगी क्षमताओं को विकसित करना।

4. एक शिक्षिका गणित के संप्रत्ययों को सिखाते हुए खोजपरक उपागम का उपयोग करती है, विद्यार्थियों की व्यवहारिक क्षमताओं का उपयोग करती है और उन्हें चर्चा में शामिल करती हैं। वह इस युक्ति का प्रयोग किस लिए करती है ?

(a) गणित शिक्षण के संकीर्ण उद्देश्य की प्राप्ति के लिए
(b) गणित शिक्षण के उच्चतर उद्देश्य की प्राप्ति के लिए
(c) विद्यार्थियों में व्यवहारिक क्षमताओं के विकास के लिए
(d) एक निश्चित प्रकार की सोच व तार्किकता विकसित करने के लिए

5. एक शिक्षिका कक्षा V की शैलजा से एक आकृति के परिमाप के बारे में पूछती है। वह शैलजा से उसके हल को अपने शब्दों में बताने को भी कहती है। शैलजा समस्या का सही हल करने में सक्षम थी परन्तु उसकी व्याख्या करने में सक्षम नहीं थी। यह शैलजा की निम्न विशेषता प्रदर्शित करता है:

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(a) निम्न स्तरीय भाषा प्रवीणता और उच्च स्तरीय गणितीय प्रवीणता
(b) कम आत्मविश्वास स्तर तथा कम गणितीय कौशल
(c) परिमाप के संप्रत्यय की कम समझ परन्तु अच्छी मौखिक योग्यता
(d) निम्न स्तरीय भाषा प्रवीणता और निम्न स्तरीय गणितीय प्रवीणता

6. गणित और शिक्षण शास्त्र “गणित ज्ञान का निश्चित तथा ठोस आधार होता है।” यह कथन गणित की किस प्रकृति की ओर इंगित करता है?

(a) कठिन
(b) अलंकारिक
(c) तार्किक
(d) आलोचनात्मक

7. गणित शिक्षण का मुख्य उद्देश्य है:

(a) सवाल हल करने की क्षमता का विकास करना
(b) सूत्र याद करने की क्षमता का विकास करना
(c) तार्किक ढंग से सोचने की क्षमता का विकास करना
(d) समस्याओं को हल करने की क्षमता का विकास करना

8. सामान्यतः गणित सीखना कठिन है क्योंकिः

(a) इसकी प्रकृति मूलतः अमूर्त है।
(b) बच्चे इसे पढ़ना नहीं चाहते
(c) शिक्षण पद्धति त्रुटिपूर्ण है.
(d) गणित के अच्छे शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं

उत्तरमाला – 1. (d)      2. (c)       3. (a)      4. (d)        5.(d)
6.(c)       7.(c)         8. (a)

                              ◆◆◆ निवेदन ◆◆◆

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