कुण्डलिया छंद की परिभाषा और उदाहरण | kundaliya chhand in hindi | कुण्डलिया छंद के उदाहरण

दोस्तों हमारा आज का टॉपिक कुण्डलिया छंद की परिभाषा और उदाहरण | kundaliya chhand in hindi | कुण्डलिया छंद के उदाहरण है। हमे अनेक परीक्षाओं में छंदों से संबंधित प्रश्न आते हैं,जिनमे छंद के उदाहरण या उदाहरण देकर छंद का नाम पूछा जाता है। इसलिए hindiamrit.com आज आपको इस टॉपिक की विधिवत जानकारी देगा।

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कुण्डलिया छंद की परिभाषा और उदाहरण | kundaliya chhand in hindi | कुण्डलिया छंद के उदाहरण

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कुण्डलिया छंद की परिभाषा और उदाहरण | kundaliya chhand in hindi | कुण्डलिया छंद के उदाहरण

हमने आपको इस टॉपिक में क्या क्या पढ़ाया है?

(1) कुण्डलिया छंद की परिभाषा
(2) कुण्डलिया छंद के नियम | कुण्डलिया छंद पहचानने का तरीका
(3) कुण्डलिया छंद के उदाहरण स्पष्टीकरण सहित
(4) कुण्डलिया छंद के अन्य उदाहरण

कुण्डलिया छंद की परिभाषा और उदाहरण | kundaliya chhand in hindi | कुण्डलिया छंद के उदाहरण
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कुण्डलिया छंद की परिभाषा | कुण्डलिया छंद किसे कहते हैं

छंद का सूत्र- दोहा रोला कुण्डलित, कर कुण्डलिया हो।

दोहा और रोला जोड़कर कुण्डलिया छन्द बनता है । कुण्डलिया के प्रथम दो चरणों में दोहा का लक्षण और बाद के चार चरणों में ‘रोला’ का लक्षण घटित होता है।

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अतः प्रथम दो चरण – 13 + 11 मात्राएं = 24 मात्राएँ।
बाद के चार चरण – 11 + 13 = 24 मात्राएँ।

कुण्डलिया छंद के नियम | कुण्डलिया छंद पहचानने का तरीका

(1) कुल 6 चरण होते है।

(2) प्रथम दो चरण में दोहा छंद पाया जाता है। और अंतिम 4 चरण में रोल छंद पाया जाता है।





कुण्डलिया छंद के उदाहरण स्पष्टीकरण सहित

(1) रहिये लट पट काटि दिन, बरु घामें माँ सोय।
      छाँह न वाकी बैठिये, जो तरु पतरो होय ॥
      जो तरु पतरो होय, एक दिन धोखा दै है।
     जा दिन चले बयारि, टूटि तब जर ते जैहे ॥
     कह ‘गिरधर’ कविराय, छाँह मोटे की गहिये।
      पातो सब झरिजाय, तऊ छाया में रहिये॥

स्पष्टीकरण –

रहिये  लट  पट  काटि  दिन,  बरु  घामें  माँ  सोय।
I I S   I I    I I    S I    I I      I I   S S  S    S I  = 13 + 11 =24

छाँह  न  वाकी  बैठिये,  जो  तरु  पतरो  होय ॥
S I   I     S S   S I S    S   I I  I I S   S I  = 13 + 11 = 24

जो  तरु  पतरो  होय,  एक  दिन  धोखा  दै  है।
S   I I    I I S    S I    S I    I I   S S   S   S = 11 + 13 = 24

जा  दिन  चले  बयारि, टूटि  तब  जर  ते  जैहे ॥
S    I I    I S   I S I    S I   I I   I I    S  S S  = 11 +13 = 24

कह  ‘गिरधर’  कविराय,  छाँह  मोटे  की  गहिये।
I I     I I I I     I I S I      S I   S S   S    I I S  = 11 + 13 = 24

पातो  सब  झरिजाय , तऊ  छाया  में  रहिये॥
S S   I I    I I S I      I S    S S   S  I I S  = 11 + 13 = 24

अतः उपर्युक्त स्पष्टीकरण से यह साफ स्पष्ट होता है कि प्रथम दो पंक्तियों में दोहा छंद तथा अंतिम 4 पंक्तियों में रोला छंद है अतः यहां पर कुंडलिया छंद है।




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कुण्डलिया छंद के अन्य उदाहरण

(1) कोलाहल सुनि खगन के,सरवर जनि अनुरागि।
      ये सब स्वारथ के सखा, दुरदिन दैहैं त्यागि।
      दुरहिन दैहैं त्यागि, तोय तेरो जब जैहैं।
      दूरहि ते तज आसि, पास कोऊ नहिं ऐहै।
      बरनै ‘दीनदयाल’ तोहि मथि करि है काहल
      ये चल-छल के मूल, भूल मत सुनि कोलाहल।

(2)  रम्भा झूमत हौ कहा थोरे ही दिन हेत।
       तुमसे केते है गये अरु है हैं इति खेत।।
       अरु ह्वै है इति खेत मूल लघु खाता हीने।
       ताहू पै गज रहे दीठि तुम पै अति दीने।।
       बरनै दीन दयाल’ हमें लखि होत अचम्भा ।
       एक जन्म के लागि कहा झुकि झूमत रम्भा।।



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2 thoughts on “कुण्डलिया छंद की परिभाषा और उदाहरण | kundaliya chhand in hindi | कुण्डलिया छंद के उदाहरण”

  1. महोदय जी,
    सादर अभिवादन।
    आपके द्वारा कुण्डलिया छंद से सम्बंधित दी गई जानकारी बहुत ही महत्वपूर्ण, मार्गदर्शी एवं संग्रहणीय है। जानकारी से छात्रों, प्रतियोगियों एवं साहित्य साधकों को बहुत ही लाभ हुआ है। आपको साधुवाद।
    नरेन्द्र नाथ ‘चट्टान’, सिवनी (मध्य प्रदेश )

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