समय समय पर हमें छोटी कक्षाओं में या बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में निबंध लिखने को दिए जाते हैं। निबंध हमारे जीवन के विचारों एवं क्रियाकलापों से जुड़े होते है। आज hindiamrit.com आपको निबंध की श्रृंखला में जनसंख्या वृद्धि पर निबंध | जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | essay on population problem in hindi प्रस्तुत करता है।
Contents
जनसंख्या वृद्धि पर निबंध | जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | essay on population problem in hindi
इस निबंध के अन्य शीर्षक / नाम
(1) जनसंख्या वृद्धि एक विकट समस्या पर निबंध
(2) जनसंख्या वृद्धि की समस्या और निदान पर निबंध
(3) बढ़ती जनसंख्या एवं घटते साधन पर निबंध
(4) जनसंख्या वृद्धि के कारण एवं निवारण पर निबंध
(5) परिवार नियोजन की अनिवार्यता पर निबंध
(6) निरंतर बढ़ती हुई जनसंख्या समस्या एवं समाधान पर निबंध
(7) जनसंख्या समस्या पर निबंध
(8) जनसंख्या की समस्या पर निबंध
(9) जनसंख्या का नियंत्रण क्यों जरूरी है पर निबंध
जनसंख्या वृद्धि पर निबंध | जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | essay on population problem in hindi
पहले जान लेते है जनसंख्या वृद्धि पर निबंध | जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | essay on population problem in hindi की रूपरेखा ।
निबंध की रूपरेखा
(1) प्रस्तावना
(2) भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण
(3) जनसंख्या वृद्धि से होने वाली हानियां
(4) जनसंख्या नियंत्रण से लाभ
(5) हमारे देश में जनसंख्या वृद्धि नियंत्रण विषयक प्रगति
(6) जनसंख्या नियंत्रण के उपाय
(7) उपसंहार
जनसंख्या वृद्धि पर निबंध | जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | essay on population problem in hindi
प्रस्तावना
रेलवे के टिकटघर की खिड़की हो अथवा बस स्टैण्ड का टिकटपर, राणन की दुकान है अथवा नाई की दुकान, विद्यालय में प्रवेश हेतु बच्चों के आवेदन पत्र हो अथवा नौकरी के लिए साक्षात्कार
की पंक्ति, सर्वत्र ‘एक बुलाया सत्तर आए की कहावत चरितार्थ होती है।
इने सबका एकमात्र कारण हैं जनसंख्या की अतिशय वृद्धि होना, जनसंख्या का विस्फोटन।
हमारे देश में संसार की आबादी का छठवाँ भाग निवास करता है।
जनसंख्या दिनों दिन बढ़ रही है, यह हमारे लिए अति कष्टदायिनी स्थिति है।
भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण
भारत में जनसंख्या विस्फोट के अनेक कारण हैं जिनमें से यहाँ
कुछ का उल्लेख किया जा रहा है।
इनमें प्रमुख कारण है-बाल विवाह, बह विवाह, मनोरंजन के साधनां का अभाव, दरिद्रता, गर्म जलवायु, अशिक्षा, संतति निरोध के विषय में जागरूकता का अभाव, परिवार नियाजन के नवीनतम साधनों से अनभिज्ञता तथा पुत्र-प्राप्ति की बलवती इच्छाएँ आदि।
हमारी अशिक्षा और अंधविश्वास जनसंख्या वृद्धि में प्रति वर्ष एक आस्ट्रेलिया जोड़ देते हैं ।
जनसंख्या वृद्धि से होने वाली हानियाँ
जहाँ जनसंख्या बढ़ेगी वहाँ यह निश्चित है कि महँगाई बढेगी
तथा अनेक दरिद्रता विषयक व्याधियाँ पैदा हो जायेंगी। भूमि सीमित है।
यदि जनसंख्या अधिक बढ़ गयी तो खाद्यान्न संकट पेदा होगा, लोग भूखों मरने लगेंगे।
कृषि भूमि की कमी, मारपीट, छीना डाफ्टी चोरी-
डुकैतियाँ बढ़ेंगी। जीवन-स्तर में बुरी तरह से गिरावट आयेगी ।
अधिक जनसंख्या के कारण स्वास्थ्य, शिक्षा, रोटी, कपड़ा और मकान की सही व्यवस्थाएँ नहीं हो सकेंगी।
हमारे देश के लिए तो जनसंख्या वृद्धि अभिशाप बन चुकी है।
इसीलिए तो भूतपूर्व प्रधानमन्त्री स्व० श्रीमती इन्दिरा गांधी ने जनसंख्या विस्फोट विषयक हानियों को दृष्टिगत रखते हुए कहा था-
“जनसंख्या के तीव्र गति से बढ़ते रहने पर योजनाबद्ध विकास करना बहुत कुछ ऐसी भूमि पर मकान खड़ा करने के समान है, जिसे बाढ़ का पानी बराबर बहाए ले जा रहा है।”
जनसंख्या नियन्त्रण से लाभ
इस जनसंख्या वृद्धि से जो हानियाँ हैं, वे ही जनसंख्या के नियन्त्रित करने पर लाभों में परिवर्तित हो जायेंगी।
सभी मनुष्य सुखी एवं व्यवस्थित रहेंगे, पारिवारिक व्यय नियन्त्रित होगा, सीमित पारिवारिक आय के साधनों से सीमित परिवार की प्रगति होगी छोटा परिवार सुखी परिवार होता है।
शिक्षा, यातायात, भोजन, वस्त्र एवं मकान सभी को सुलभ होंगे। अस्पतालो की समुचित व्यवस्था हो सकेगी।
जनसंख्या नियन्त्रित होने पर सुख, शान्ति, समृद्धि एवं शालीनता का विकास होगा
मानवता के सकारात्मक गुण-ब्रह्मचर्य, दया, क्षमत करुणा, सेवा, मैत्री तथा वृद्ध जन सम्मान आदि स्वतः विकसित होंगे।
भाई-चारा, सद्भाव बढ़ेगा, आतंकवाद एवं अलगाववाद से भी मुक्ति मिल जायेगी।
नियन्त्रित जनसंख्या होगी तो आरक्षण की भी आवश्यकता नहीं होगी।
सभी को नौकरियाँ सर्वसुलभ होंगी, कोई भूखा नही मरेगा। देश का जीवन स्तर उन्नत होगा।
महँगाई किसी का कुछ नहीं बिगाड़ सकती।
माता-पिता का सभी सम्मान करेगे। कम बच्चे होने पर परिवार का मुखिया उन पर बिशेष ध्यान देगा समाज शान्त रहेगा। चोरी-डकैतियों से मूक्ति मिल जायेगी।
इसलिए इस प्रकार के बेष्ठ सर्वसम्मत एवं कारगर उपाय किये जाएँ जिनसे जनसंख्या की अनियन्त्रित वृद्धि रुक सके।
जनसंख्या वृद्धि तो होगी ही अतः गणितीय आधार पर हो, रेखागणितीय आधार पर नहीं। उसका विस्फोट नहीं होना चाहिए, इसे रोकने के उपाय किये जाएँ।
हमारे देश में जनसंख्या वृद्धि नियन्त्रण विषयक प्रगति
हमारे देश में जनसंख्या वृद्धि नियन्त्रण विषयक क्रिया-कलाप सरकार द्वारा किये गये। यह कार्य प्रथम पंचवर्षीय योजना से ही परिवार नियोजन कार्यक्रम के अन्तर्गत रखा गया।
प्रथम पंचवर्षीय योजना में यह कार्यक्रम नगर एवं उपनगरों तक ही सीमित रह गया। केन्द्र सरकार ने 146 तथा राज्य सरकारों ने 205 परिवार नियोजन केन्द्र स्थापित किये।
द्वितीय पंचवर्षीय योजना मे इस कार्य को ग्रामों तक बढ़ाया गया।
तृतीय पंचवर्षीय योजना में सरकार ने ग्रामीणों को परिवार नियोजन की आवश्यकता एवं उसके महत्त्व का ज्ञान कराया साथ ही ग्रामों में ग्रामीणों से इसे अपनाने के लिए कहा गया। पुराने केन्द्रों पर ही सुविधाएँ प्रदान की गयीं ।
पाँचवीं पंचवर्षीय योजना में परिवार नियोजन को राष्ट्रीय स्तर का महत्त्व प्रदान किया गया तथा परिवार नियोजन कार्यक्रम अपनाने वाले दम्पत्ति को पुरस्कृत एवं प्रोत्साहित भी किया गया।
जनसंख्या विस्फोट नियन्त्रण हेतु सरकार ने गर्भपात अधिनियम बनाया, अनचाहे गर्भ से मुक्ति प्राप्त करने हेतु वैधानिक, समर्थन दिया।
छठी, सातवीं एवं आठवीं पंचवर्षीय योजनाओं में सरकार ने इस ओर विशेष ध्यान दिया लेकिन अशिक्षा एवं अन्धविश्वास सर्वत्र आड़े आये।
गाँव-गाँव में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोलने तथा सम्बन्धित नर-नारियो को पूर्ण सुविधाएँ प्रदान करने के आश्वासन दिये।
जगह-जगह शिविर लगाकर नवीनतम पद्धतियों के विषय में समझाकर जनसंख्या वृद्धि नियन्त्रण कार्यक्रम को गति दी गयी।
आज बर्तन, रुपये तथा भूमिरहित व्यक्ति को भूमि का पट्टा आदि देकर इस कार्यक्रम को सफल बनाने की चेष्टा हो रही है।
जनसंख्या नियन्त्रण के उपाय
जनसंख्या वृद्धि नियन्त्रण हेतु निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं-
1. बाल विवाह पर रोक लगाई जाये तथा सभी जाति एवं वर्ग हेतु बहुपत्नी प्रथा पूर्णरूपेण समाप्त की जाय।
2. परिवार नियोजन कार्यक्रमों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाये।
3. विवाह की आयु का सम्यक् निर्धारण होना चाहिए। लड़की का विवाह 20-21 से ऊपर तथा लड़के का विवाह 25 वर्ष पूर्ण करने के बाद ही किया जाये।
4. सभी को शिक्षित बनाया जाये, शिक्षितो को परिवार नियोजन कार्यक्रम के प्रति जागरूकता प्रदान की
5. ‘बच्चे एक या दो ही अच्छे’ और उनके मध्य कम-से-कम पाँच वर्ष का अन्तराल होना चाहिए।
6. एक पुत्र अथवा पुत्री वाले माता-पिता को सम्मानित किया जाये तथा उसे निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जाये और अन्य सुविधाएँ रक्षण पालन विषयक दी जायें।
7. अधिक संततियों वाले माता-पिताओं को हतीत्साहित करने के नियम बनाये जायें। उन्हें शासकीय सुविधाओं से वंचित रखा जाये।
8. जनता को परिवार नियोजन साधन अपनाने हेद्र प्रोत्साहित किया जाये।
उपसंहार
हमारे देश में अशिक्षा एवं अन्धविश्वास ही जनसंख्या वृद्धि का मूल है। हमें कुरीतिरयाँ मिटानी होंगी तथा शिक्षा प्रसार करना होगा।
सरकार तो प्रयत्नशील दिखाई देती है लेकिन इस भावनाओं एव अन्धविश्वास से जुड़े मामले में उसे उतनी सफलता नहीं मिल रही है जितनी मिलनी चाहिए।
असल में हमें देशवासियों को जागृत करना होगा जिससे जनसंख्या विस्फोट का सामना कर उससे मुक्ति प्राप्त कर सकें।
हम देशवासियों का भी दायित्व है कि हम इस विषय में कभी लापरवाह न हो तथा लघु सीमित परिवार रखें।
“कभी न हों हम लापरवाह, रखें लघु परिवार सुंचाह।
चमके सूरज एक अपार, बढ़े नहीं परिवार-कुमार ॥”
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