लैंगिक और अलैंगिक जनन में अंतर || difference between sexual and asexual reproduction

दोस्तों हम आज आपको जीव विज्ञान का सबसे महत्वपूर्ण टॉपिक लैंगिक और अलैंगिक जनन में अंतर बताएंगे। साथ ही साथ Hindiamrit पौधे एवं उनकी क्रियाये के अन्तर्गत आपको लैंगिक जनन किसे कहते हैं,अलैंगिक जनन किसे कहते हैं,अलैंगिक जनन की विधियां,कायिक जनन,कायिक जनन की विधियां,अलैंगिक जनन के प्रकार,पादपों में जनन,पादपों में लैंगिक जनन,पादपों में अलैंगिक जनन,आदि सारी बातों की जानकारी उपलब्ध कराएंगे।

हम लैंगिक और अलैंगिक जनन में अंतर 2 तरीके से समझ सकते हैं। पहला तरीका है कि हम इनकी परिभाषाएं वाइन के बारे में जानकर इन में अंतर स्पष्ट कर पाए तथा दूसरा तरीका है कि हम टेबल के माध्यम से अंतर देख सकें हम आपको दोनों तरीकों से समझाने का पूर्ण प्रयास करेंगे।

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Contents

लैंगिक और अलैंगिक जनन में अंतर

पौधों में जनन की विधियों को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है-

(1) लैंगिक जनन (sexual reproduction)

(2) अलैंगिक जनन (asexual reproduction)

पादपों में लैंगिक व अलैंगिक जनन || sexual and asexual reproduction in plants

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पादपों में अलैंगिक जनन की विधियाँ || asexual reproduction in plants

पौधों में अलैंगिक जनन की निम्न विधियां पाई जाती हैं-

(1) विखंडन (fission)

यह एक कोशिकीय जीवों में पाया जाता है। जीवाणुओं व प्रोटोजोआ (अमीबा, यूग्लीना) में विखंडन द्वारा जनन होता है।

(2) बीजाणु निर्माण (spore formation)

कवक और शैवाल में बीजाणु निर्माण द्वारा जनन होता है।

(3) कलिकोत्पादन (budding)

यीस्ट में कलिकोत्पादन द्वारा जनन होता है।

(4) खंडन (fragmentation)

स्पाइरोगाइरा में खंडन द्वारा जनन होता है।

(5) कायिक जनन /वर्धी जनन (vegetative propagation)

कायिक जनन की निम्न विधियां हैं-

(a) जड़ो द्वारा –डहेलिया,सतावर और शकरकंद में

(b) तनों द्वारा- अदरक,हल्दी,आलू,अरबी,प्याज,लहसुन के भूमिगत तनों,दूबघास,पुदीना आदि के अर्धवाहवीय तनों द्वारा,गन्ना,अमरबेल के वायवीय तनों द्वारा नए पौधे बनाये जाते है।

(c) पत्तियों द्वारा-बिगनोनिया में

(d) पत्र प्रकालिकाओं द्वारा

(6) कृत्रिम कायिक जनन

कृत्रिम कायिक जनन एक ऐसी तकनीक है जिसमें पौधों का जनन (प्रजनन) मनुष्य द्वारा कृत्रिम तरीकों से किया जाता है, बिना बीजों के उपयोग के। इसमें पौधों के कायिक (शारीरिक) भागों जैसे तना, जड़, पत्ती आदि से नए पौधे विकसित किए जाते हैं।

कृत्रिम कायिक जनन के प्रमुख तरीके:

  1. कलम (Cutting)
    • किसी पौधे की तना, जड़, या पत्ती का एक भाग काटकर मिट्टी में रोपा जाता है, जिससे नया पौधा विकसित होता है।
    • उदाहरण: गुलाब, गन्ना, मनी प्लांट
  2. कलिकायन (Grafting)
    • इसमें दो अलग-अलग पौधों के भागों को जोड़कर एक नया पौधा बनाया जाता है।
    • एक पौधे की जड़ वाला भाग (स्टॉक) और दूसरे का उपरी भाग (सियॉन) जोड़ा जाता है।
    • उदाहरण: आम, नींबू, अंगूर
  3. कली बांधना (Budding)
    • इसमें एक पौधे की एक कली को दूसरे पौधे के तने में प्रत्यारोपित किया जाता है।
    • उदाहरण: गुलाब, साइट्रस फल
  4. कंद (Tubers), प्रकंद (Rhizome), रोम (Runners), बल्ब (Bulbs) से जनन
    • कुछ पौधे अपने भूमिगत भागों से नए पौधे उत्पन्न करते हैं।
    • उदाहरण: आलू (कंद), अदरक (प्रकंद), प्याज (बल्ब)
  5. ऊतक संवर्धन (Tissue Culture)
    • किसी पौधे के ऊतक (Tissue) को एक पोषक माध्यम में विकसित करके नए पौधे बनाए जाते हैं।
    • यह विधि अधिक उत्पादन के लिए प्रयोग की जाती है।
    • उदाहरण: केले, ऑर्किड, बांस
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कृत्रिम कायिक जनन के लाभ:

  • तेज़ी से नए पौधों का उत्पादन
  • एक समान गुणों वाले पौधे प्राप्त करना
  • कम समय में अधिक पौधों की प्राप्ति
  • दुर्लभ और वांछनीय पौधों का संरक्षण

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पौधों में लैंगिक जनन || asexual reproduction in plants

लैंगिक जनन में अर्धसूत्री कोशिका विभाजन द्वारा हैप्लॉयड जनन कोशिकाएं या युग्मक बनते हैं। जो दो प्रकार के होते हैं– नर युग्मक मादा युग्मक। एक नर युग्मक व एक मादा युग्मक के मिलने से डिप्लॉयड युग्मनज बनता है। जो बारंबार विभाजित होकर बीज बनाता है।बीज नए पौधे को जन्म देता है।

अलैंगिक जनन को निम्न चार चरणों में बाँटा जा सकता है-

(1) युग्मक जनन – अर्धसूत्री विभाजन द्वारा अगुणित युग्मक कोशिका का निर्माण युग्मक जनन कहलाता है। यह दो प्रकार का होता है-नर युग्मक जनन तथा मादा युग्मक जनन

(2) परागण – परागकणों का परागकोषों से निकलकर स्त्रीकेसर के वर्तिकाग्र तक पहुँचने की क्रिया

(3) निषेचन – नर तथा मादा युग्मक केंद्रको के मिलने से द्विगुणित युग्मनज जाइगोट का निर्माण

(4) बीज व फलों का निर्माण



लैंगिक जनन की प्रक्रिया:

(i) पुष्प संरचना (Flower Structure)

पुष्प पौधों का जनन अंग होता है, जिसमें मुख्यतः चार भाग होते हैं –

  1. दलपुंज (Calyx) – बाहरी हरित भाग, जो फूल की सुरक्षा करता है।
  2. पुष्पमंडल (Corolla) – पंखुड़ियाँ, जो कीट-परागण को आकर्षित करती हैं।
  3. पुंकेसर (Androecium) – नर जनन अंग, जिसमें परागकोष (Anther) और तंतु (Filament) होते हैं।
  4. स्त्रीकेसर (Gynoecium) – मादा जनन अंग, जिसमें अंडाशय (Ovary), वर्तिकाग्र (Stigma), और वर्तिका (Style) होते हैं।

(ii) परागण (Pollination)

परागण वह प्रक्रिया है जिसमें परागकण (pollen grains) पुंकेसर से स्त्रीकेसर के वर्तिकाग्र पर स्थानांतरित होते हैं। यह दो प्रकार का होता है –

  1. स्वपरागण (Self-Pollination) – जब परागकण उसी फूल या उसी जाति के दूसरे फूल के वर्तिकाग्र पर गिरते हैं।
    • उदाहरण: मटर, टमाटर
  2. परपरागण (Cross-Pollination) – जब परागकण एक फूल से दूसरे फूल के वर्तिकाग्र पर स्थानांतरित होते हैं।
    • यह हवा, जल, कीट या पक्षियों द्वारा होता है।
    • उदाहरण: सूरजमुखी, आम, सेब
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(iii) निषेचन (Fertilization)

  • परागकण जब वर्तिकाग्र पर गिरते हैं, तो वे परागनली (Pollen Tube) बनाकर अंडाशय तक पहुँचते हैं।
  • नर युग्मक (Male Gamete) और मादा युग्मक (Egg Cell) का संलयन होता है, जिससे जाइगोट (Zygote) बनता है।
  • यह प्रक्रिया निषेचन (Fertilization) कहलाती है।

(iv) बीज और फल निर्माण (Seed and Fruit Formation)

  • निषेचन के बाद जाइगोट विभाजन करके भ्रूण (Embryo) में विकसित होता है।
  • अंडाशय बीज (Seed) और फल (Fruit) में परिवर्तित हो जाता है।
  • जब यह बीज उपयुक्त परिस्थितियों में अंकुरित होता है, तो एक नया पौधा बनता है।

लैंगिक जनन के लाभ और हानि

लाभ:

  • अनुवांशिक विविधता को बढ़ावा देता है, जिससे नई प्रजातियाँ विकसित हो सकती हैं।
  • बाहरी वातावरण में अनुकूलन करने की क्षमता बढ़ती है।
  • रोग प्रतिरोधकता बढ़ती है।

हानि:

  • बीज से पौधा विकसित होने में अधिक समय लगता है।
  • परागण और निषेचन पर बाहरी कारकों (कीट, हवा, पानी) की निर्भरता होती है।
  • कई बीजों में अंकुरण की संभावना कम होती है।

लैंगिक और अलैंगिक जनन में अंतर || difference between sexual and asexual reproduction

लैंगिक जनन (Sexual Reproduction)अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction)
इसमें दो माता-पिता (नर और मादा) की आवश्यकता होती है।इसमें केवल एक माता-पिता से नए जीव का निर्माण होता है।
इसमें नर और मादा युग्मकों (Gametes) का संलयन होता है।इसमें युग्मकों की आवश्यकता नहीं होती।
यह आनुवंशिक विविधता (Genetic Variation) उत्पन्न करता है।इसमें उत्पन्न संतान माता-पिता के समान (क्लोन) होती है।
यह प्रक्रिया धीमी होती है।यह प्रक्रिया तेज होती है।
नए जीवों की उत्तरजीविता (Survival) अधिक होती है।नए जीवों की उत्तरजीविता कम हो सकती है, क्योंकि वे आनुवंशिक रूप से समान होते हैं।
इसमें निषेचन (Fertilization) की प्रक्रिया होती है।इसमें निषेचन की कोई आवश्यकता नहीं होती।
इसमें संतान माता-पिता से भिन्न होती है।इसमें संतान पूरी तरह माता-पिता के समान होती है।
लैंगिक जनन से उत्पन्न जीव अधिक अनुकूलनशील होते हैं।अलैंगिक जनन से उत्पन्न जीव पर्यावरण में बदलाव के प्रति संवेदनशील होते हैं।
यह पौधों और जंतुओं दोनों में पाया जाता है।यह मुख्य रूप से सूक्ष्मजीवों, कुछ पौधों और निम्न श्रेणी के जंतुओं में पाया जाता है।
उदाहरण: मनुष्य, कुत्ता, पक्षी, फूलदार पौधे।उदाहरण: अमीबा (Amoeba), बैक्टीरिया, हाइड्रा, फर्न, आलू।

अलैंगिक और लैंगिक जनन में अंतर (टेबल 2)

लैंगिक जनन
(sexual reproduction)
अलैंगिक जनन
(Asexual reproduction)
इसमें दो जनक भाग लेते है।केवल एक ही जनक भाग लेता है।
इस जनन में अर्धसूत्री विभाजन द्वारा अगुणित युग्मक बनते है।यह जनन केवल असूत्री या समसूत्री विभाजन द्वारा होता है।अगुणित युग्मक नहीं बनते ।
अगुणित युग्मको के मिलन से द्विगुणित युग्मनज बनता है।युग्मनज नहीं बनता।
युग्मनज से नए जीव का विकास होता है।पैतृक कोशिकाओं से नया जीव बनता है।
केवल बीज वाले पौधों में ही लैंगिक जनन हो सकता है।बिना बीज वाले पौधों में भी यह सम्भव है।
जनन में अधिक समय लगता है।कम समय या तेजी से होता है।
संतति जीवो में माता व पिता दोनो जीवो के लक्षण पाए जाते है।माता का प्रभाव रहता है।

उपयोगी लिंक

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स्वपरागण और परपरागण में अंतर

परागण और निषेचन में अंतर

आवृतबीजी और अनावृतबीजी में अंतर

एकबीजपत्री और द्विबीजपत्री में अंतर

लैंगिक (Sexual) और अलैंगिक (Asexual) जनन में अंतर से जुड़े 20 अति लघु उत्तरीय प्रश्न-उत्तर

  1. लैंगिक जनन क्या है?
    उत्तर: जब नर और मादा युग्मकों के संलयन से नए जीव का निर्माण होता है।
  2. अलैंगिक जनन क्या है?
    उत्तर: जब बिना युग्मकों के संलयन के एक ही माता-पिता से नए जीव का निर्माण होता है।
  3. लैंगिक जनन में कितने माता-पिता शामिल होते हैं?
    उत्तर: दो (नर और मादा)।
  4. अलैंगिक जनन में कितने माता-पिता शामिल होते हैं?
    उत्तर: केवल एक।
  5. लैंगिक जनन में कौन से युग्मक शामिल होते हैं?
    उत्तर: नर युग्मक (Sperm) और मादा युग्मक (Egg)।
  6. अलैंगिक जनन में युग्मकों की आवश्यकता होती है?
    उत्तर: नहीं।
  7. लैंगिक जनन के उदाहरण कौन-कौन से हैं?
    उत्तर: मनुष्य, स्तनधारी, पक्षी, फूलदार पौधे।
  8. अलैंगिक जनन के उदाहरण कौन-कौन से हैं?
    उत्तर: अमीबा, हाइड्रा, बैक्टीरिया, फर्न, आलू।
  9. लैंगिक जनन किस प्रकार की संतान उत्पन्न करता है?
    उत्तर: आनुवंशिक रूप से भिन्न।
  10. अलैंगिक जनन किस प्रकार की संतान उत्पन्न करता है?
    उत्तर: माता-पिता के समान (क्लोन)।
  11. लैंगिक जनन में आनुवंशिक विविधता होती है?
    उत्तर: हां।
  12. अलैंगिक जनन में आनुवंशिक विविधता होती है?
    उत्तर: नहीं।
  13. लैंगिक जनन में कौन-कौन से मुख्य चरण होते हैं?
    उत्तर: युग्मक निर्माण, निषेचन और भ्रूण विकास।
  14. अलैंगिक जनन के कितने प्रकार होते हैं?
    उत्तर: कई प्रकार – द्विभाजन, बहु-भाजन, कलिका उत्पादन, स्पोर गठन, आदि।
  15. द्विभाजन (Binary Fission) किस प्रकार का जनन है?
    उत्तर: अलैंगिक जनन।
  16. निषेचन किस प्रकार के जनन में आवश्यक होता है?
    उत्तर: लैंगिक जनन।
  17. अलैंगिक जनन तेज गति से होता है या धीमा?
    उत्तर: तेज।
  18. लैंगिक जनन तेज होता है या धीमा?
    उत्तर: धीमा।
  19. लैंगिक जनन में संतान की उत्तरजीविता अधिक होती है या कम?
    उत्तर: अधिक, क्योंकि वे अनुकूलनशील होते हैं।
  20. अलैंगिक जनन का एक लाभ क्या है?
    उत्तर: यह तेजी से जनसंख्या वृद्धि करता है।

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