पर्यावरण शिक्षण का अर्थ,महत्व एवं उद्देश्य | CTET ENVIRONMENT PEDAGOGY

दोस्तों अगर आप CTET परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो CTET में 50% प्रश्न तो सम्मिलित विषय के शिक्षणशास्त्र से ही पूछे जाते हैं। आज हमारी वेबसाइट hindiamrit.com आपके लिए पर्यावरण विषय के शिक्षणशास्त्र से सम्बंधित प्रमुख टॉपिक की श्रृंखला लेकर आई है। हमारा आज का टॉपिक पर्यावरण शिक्षण का अर्थ,महत्व एवं उद्देश्य | CTET ENVIRONMENT PEDAGOGY है।

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पर्यावरण शिक्षण का महत्व एवं उद्देश्य | CTET ENVIRONMENT PEDAGOGY

पर्यावरण शिक्षण का अर्थ,महत्व एवं उद्देश्य | CTET ENVIRONMENT PEDAGOGY
पर्यावरण शिक्षण का अर्थ,महत्व एवं उद्देश्य | CTET ENVIRONMENT PEDAGOGY

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पर्यावरण विषय का परिचय

Environment या पर्यावरण के लिए हम ‘आस-पास’ शब्द का भी प्रयोग कर सकते हैं। कक्षा तीन से पाँच तक की एन.सी.आर.टी. की हिन्दी में पर्यावरण अध्ययन की पुस्तकों का शीर्षक भी ‘आस-पास’ है और अंग्रेजी में ‘Looking Around’ है। पर्यावरण अध्ययन का अंग्रेजी में संक्षिप्त रूप ई.वी.एस (EVS) है जिसका विस्तृत रूप होता है-एनवारमेन्टल स्टडीज (Environmental Studies)

पर्यावरण शिक्षण का अर्थ

पर्यावरण प्राकृतिक वातावरण एवं मानव क्रियाओं के बीच के संबंध को दर्शाता है। पर्यावरण ज्ञान के बिना हम विश्व की वर्तमान समस्याओं को सही तरीके से नहीं समझ सकते हैं। पर्यावरण शिक्षण से ही हम विश्व की वर्तमान समस्याओं, उनके निदान/हल के विषय में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और अपने भविष्य को सुरक्षित एवं स्वस्थ रख सकते हैं।
थॉम्पसन के अनुसार, “पर्यावरण ही शिक्षक है, और शिक्षा का कार्य छात्र को उसके अनुकूल बनाना है।”

अतः पर्यावरण शिक्षण वह शिक्षण है जो पर्यावरण के माध्यम से पर्यावरण के विषय में और पर्यावरण के लिए की जाती है। पर्यावरण शिक्षण किसी व्यक्ति को पर्यावरण से उचित सम्बन्ध रखना ही नहीं सिखाती बल्कि पर्यावरण को अपने अनुकूल करना भी सिखाती है। पर्यावरण शिक्षण और पर्यावरण का अध्ययन की अवधारणायें एवं उद्देश्य भिन्न है। पर्यावरण शिक्षण एवं पर्यावरण अध्ययन दोनों अक्षरशः समानार्थी नहीं है। जहाँ पर्यावरण अध्ययन में किसी छात्र के परिवेश (प्राकृतिक, सामाजिक और आर्थिक) के विषय में समझ को विकसित करना है वहीं पर्यावरण शिक्षण, पर्यावरण संबंधित समस्याएँ, उनका निवारण एवं पर्यावरण को संरक्षित रखने से संबंधित है।

पर्यावरण शिक्षण का महत्व

हमारे पर्यावरण में सभी चीजें उपस्थिति हैं और सभी चीजें सभी के लिए है और इन सभी चीजों को सभी के लिए बचाए रखने के लिए, पर्यावरण शिक्षण अति आवश्यक है। पर्यावरण शिक्षण के महत्व निम्नलिखित हैं:

(1) पर्यावरण शिक्षण हमें पर्यावरण की समस्याओं, उनके निदान और पर्यावरण का संरक्षण करना सिखाता है।
(2) पर्यावरण शिक्षण के द्वारा हम पर्यावरण को संतुलित रख सकते हैं।
(3) पर्यावरण शिक्षण नागरिक चेतना को बढ़ाती है।
(4) पर्यावरण शिक्षण हमें पर्यावरण और मनुष्य की क्रियाओं के बीच के संबंध को दर्शाता है।
(5) पर्यावरण शिक्षण से हमें ज्ञात होता है कि पर्यावरण के घटक-जैविक (पेड़-पौधे, जानवर) और अजैविक (प्रकाश, वायु, जल इत्यादि) हमारे लिए क्यों आवश्यक हैं।
(6) पर्यावरण शिक्षण हमें प्रदूषण एवं उससे जनित दुष्प्रभावों के विषय में बताता है।

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पर्यावरण शिक्षण के उद्देश्य

पर्यावरण शिक्षण का प्रमुख उद्देश्य विद्यार्थियों में निम्न कौशलों का विकास करना है। ये कौशल निम्नलिखित हैं –

(i) अवलोकन करना, पहचानना, जानकारी इकट्ठा करना,रिकॉर्डिंग करना – उपरोक्त कौशलों से विद्यार्थी पेड़-पौधों, जानवरों या अन्य चीजों को गौर से देखता है, उनकी पहचान कर के, उनके विषय में जानकारी एकत्रित करता है और तत्पश्चात् उनके बारे में लिखता है (रिकॉर्ड करता है)। जैसे: परिवहन के साधनों का अवलोकन करके कोई बच्चा यह पहचान लेता है कि कोई वाहन तेल (पेट्रोल, डीजल) से चलता है या फिर बिना तेल के। उसके बाद तेल से चलने वाले और बिना तेल के चलने वाले वाहनों के नाम वह लिखता है।

(ii) वस्तुओं का विभेदीकरण करना – उपरोक्त उदाहरण में बच्चे ने यह पता लगाया कि वाहन तेल और बिना तेल के चलते हैं। यही विभेदीकरण है।

(iii) वस्तुओं की तुलना एवं वर्गीकरण करना – इन कौशलों से कोई बच्चा/विद्यार्थी दो वस्तुओं के बीच में समानता एवं असमानता (अंतर) को प्रकट करता है और वस्तुओं को एक विशेष समूह में रखता है। जैसे बच्चे ने देखा कि साईकिल और मोटर साईकिल/स्कूटर के दो-दो पहिए होते हैं परन्तु दोनों की बनावट/संरचना अलग-अलग होती है। इनमें से एक बिना तेल के चलती है और दूसरी तेल से। अतः उसने साईकिल को बिना तेल वाले वाहनों में और मोटर साईकिल/स्कूटर को तेल वाले वाहनों के समूह में लिखा।

(iv) वस्तुओं के बीच सहसबंद्धता स्थापित करना – बच्चे ने यह देखा कि साईकिल, मोटर साइकिल/स्कूटर की अपेक्षा धीरे चलती है परन्तु साईकिल से धुआँ नहीं निकलता पर मोटर साईकिल/स्कूटर से धुआँ निकलता है। इस तरफ उसने वस्तुओं के साथ एक नई संकल्पना को जोड़ दिया।

(v) कल्पनापरक (कल्पनाशील) बनना या पूर्वानुमान लगाना –
बच्चे ने यह सोचा कि अगर किसी दिन तेल खत्म हो जाएगा तो साईकिल तो चलती रहेगी परन्तु मोटर साईकिल/स्कूटर नहीं चलेंगे। इस तरह उसके अन्दर एक नई सोच विकसित हुई और उसका कारण दिया गया।

(vi) समस्या को पहचानना एवं उसका हल सुझाना – बच्चे ने देखा कि जब भी वह तेल चलित (चलते हुए) वाहनों के आस-पास होता है तब उनके धुएँ से उसको खाँसी हो जाती है या फिर उसकी तबियत खराब हो जाती है। इस तरह उसने निष्कर्ष निकाला कि तेल चलित वाहन प्रदूषण फैलाते हैं। उसने इसका हल सुझाया कि हमें ज्यादा-से-ज्यादा तेल रहित वाहनों का प्रयोग करना चाहिए।

(vii) किसी तथ्य की जाँच (सर्वेक्षण) करना, निष्कर्ष निकालना –
बच्चे ने अपनी कल्पना की पुष्टि के लिए सभी तेल चलित वाहनों के विषय में खोजबीन की और यह निष्कर्ष निकाला कि सभी तेल चलित वाहन प्रदूषण फैलाते हैं।

(viii) संवेदनशील बनना – बच्चा पर्यावरण के प्रति संवेदनशील हो गया है और उसने सोचा कि अगर इस तरह पर्यावरण में प्रदूषण फैलता रहा तो एक दिन पर्यावरण जीवों के लिए सुरक्षित नहीं रहेगा।

(ix) चित्र, चार्ट, मानचित्र, रेखाचित्र, आरेख, लेखाचित्र आदि को पढ़ना एवं बनाना – बच्चे ने चित्रों, चार्टी आदि के माध्यम से भी यह जाना कि तेल चलित वाहन कितना प्रदूषण फैलाते हैं और पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। यदि पर्यावरण को प्रदूषण रहित और स्वस्थ रखना है तो हमें तेल रहित वाहनों या सार्वजनिक वाहनों का अत्यधिक उपयोग करना चाहिए। अगर किसी बच्चे/विद्यार्थी में उपरोक्त कौशलों का विकास होता है तब अधिगम (सीखना) सार्थक होता है।

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पर्यावरण शिक्षण के अन्य उद्देश्य इस प्रकार हैं –

(1) पर्यावरण के प्रति विद्यार्थियों में जिज्ञासा, रुचि, कल्पना एवं स्मरण शक्ति का विकास करना।
(2) आस-पास के पर्यावरण से विद्यार्थियों को परिचित कराना।
(3) विद्यार्थियों में पर्यावरण के प्रति सम्पूर्ण (साकल्यवादी) दृष्टिकोण का विकास करना।
(4) प्राकृतिक भिन्नता एवं इसके कारणों को बताना।
(5) विद्यार्थियों को यह बताना कि पर्यावरण हमारा धरोहर है और हम उसके पालक हैं अतः भौतिक परिवेश के प्रति जागरूकता एवं संवेदनशीलता का विकास करना।
(6) विद्यार्थियों में सामाजिक परिवेश के प्रति जागरूकता एवं संवेदनशीलता का विकास करना। उनमें सामाजिक मूल्यों एवं भावनाओं का विकास करना ताकि वे स्वस्थ स्पर्धा के लिए तैयार हो सकें।

(7) मनुष्य के जीवन पर पड़ने वाले पर्यावरण के विभिन्न प्रभावों को बताना।
(8)  विद्यार्थियों में एक अच्छे नागरिक के गुणों का विकास करना।
(9) विद्यार्थियों में जनतान्त्रिक एवं विश्व बंधुत्व की भावना का विकास करना।
(10) सार्थक अधिगम हेतु कक्षा-कक्ष की गतिविधियों को विद्यालय के बाहर के परिवेश से जोड़ना एवं उनको प्रश्न पूछने के लिए अभिप्रेरित करना।
(11) पर्यावरण प्रदूषण एवं पर्यावरण संरक्षण के विषय में जानकारी देना।
(12) विद्यार्थियों को सामाजिक समस्याओं से अवगत कराना अर्थात् वास्तविक जीवन की चिन्ताओं के विषय में समझ उत्पन्न करना।

महत्वपूर्ण प्रश्न ( खुद को जाँचिए )

1. निम्न कथन किसका है? “पर्यावरण ही शिक्षक है और शिक्षा का कार्य छात्र को उसके अनुकूल बनाना है।”
(a) थॉम्पसन
(b) पियाजे
(c) स्किनर
(d) जॉन डीवी

2. निम्न में से कौन-सा कथन पर्यावरण शिक्षण के महत्व को नहीं दर्शाता है? (a) पर्यावरण शिक्षण नागरिक चेतना को बढ़ाती है।
(b) पर्यावरण शिक्षण हमें पर्यावरण और मनुष्य की क्रियाओं के अंतःसंबंध को दर्शाता है।
(c) यह शिक्षार्थियों में उनके परिवेश के विषय में समझ को विकसित करता है।
(d) यह पर्यावरण की समस्याओं, उनके निदान और पर्यावरण का संरक्षण करना सिखाता है।

3. प्राथमिक कक्षाओं में पर्यावरण अध्ययन पढ़ाने के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा उद्देश्य संबंधित है?
(a) शिक्षार्थियों में वास्तविक जीवन की चिन्ताओं के विषय में समझ उत्पन्न करना
(b) शिक्षार्थियों में सामाजिक मूल्यों एवं भावनाओं का विकास करना ताकि वे स्वस्थ स्पर्धा के लिए तैयार हो सकें।
(c) शिक्षार्थियों को प्रश्न पूछने के लिए प्रेरित करना
(d) उपरोक्त सभी

4. पर्यावरण अध्ययन के शिक्षक को निम्नलिखित में से कौन-से पर्यावरण शिक्षण के उद्देश्य का अनुसरण नहीं करना चाहिए?
(a) शिक्षार्थियों में पर्यावरण के प्रति साकल्यवादी दृष्टिकोण का विकास करना।
(b) मनुष्य के जीवन पर पड़ने वाले पर्यावरण के विभिन्न प्रभावों से अवगत कराना।
(c) विज्ञान के आधारभूत प्रत्ययों और सिद्धान्तों को रटकर याद कराना।
(d) प्राकृतिक भिन्नता एवं उसके कारणों को बताना।

5. कक्षा IV की पर्यावरण अध्ययन की शिक्षिका सुनैना अपने शिक्षार्थियों से तेल (पेट्रोल, डीजल) से और बिना तेल से चलने वाले वाहनों के नाम लिखने को कहती है। इस गतिविधि के द्वारा वह शिक्षार्थियों में निम्न में से कौन-से कौशल/कौशलों का विकास करना चाहती है?
(i) अवलोकन करना (ii) पहचानना
(iii) जानकारी इकठ्ठा करना (iv) रिकॉर्ड करना ( लिखना)

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कूट:
(a) i, ii
(b) केवल i
(c) ii, iii, i
(d) i, ii, iii, iv

6. कक्षा IV के पर्यावरण अध्ययन की छात्रा प्रीति बगीचा भ्रमण के बाद अपनी नोट बुक में यह लिखती है कि सभी पौधों की पत्तियाँ एक जैसी नहीं होतीं परन्तु उनका कार्य एक ही होता है। इस गतिविधि से प्रीति में निम्न में से किस कौशल का विकास होगा?

(a) अवलोकन करने का
(b) वस्तुओं के विभेदीकरण करने का
(c) वस्तुओं की तुलना एवं वर्गीकरण करने का
(d) पूर्वानुमान लगाने का

7. कक्षा V की पर्यावरण अध्ययन की शिक्षिका संघमित्रा ने शिक्षार्थियों को बताया कि अब भारत में भी महिलाएँ वायुसेना में पाइलट बन सकती हैं। इस सन्देश के द्वारा वह शिक्षार्थियों को क्या बताना चाहती है?
(a) महिलाएं अब ज्यादा बहादुर हो गई हैं
(b) लैंगिक रूढ़िवादिता के भ्रम को तोड़ना चाहती है।
(c) सरकार अब उदार हो गई है
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं

8. जानवरों के विषय में पढ़ाते हुए रविकान्त शिक्षार्थियों से निम्न प्रश्न पूछता है: (i) क्या जानवर साँस लेते हैं?
(ii) क्या जानवर भोजन करते हैं?
(iii) क्या जानवर हमारे काम आते हैं?

उपरोक्त प्रश्नों के द्वारा रविकान्त शिक्षार्थियों में कौन-सा कौशल विकसित करने का प्रयास कर रहा है?

(a) संवेगात्मक                  (b) वर्गीकरण
(c) अवलोकन                   (d) चिन्तन

9. शिक्षार्थियों को यह बताया जाता है कि पर्यावरण हमारी धरोहर है और हम उसके पालक हैं। इससे

(a) शिक्षार्थियों में भौतिक परिवेश के प्रति जागरूकता एवं संवेदनशीलता का विकास होता है।
(b) शिक्षार्थियों में सामाजिक परिवेश के प्रति जागरूकता एवं संवेदनशीलता का विकास होता है।
(c) शिक्षार्थियों में सामाजिक मूल्यों एवं भावनाओं का विकास होता है।
(d) शिक्षार्थी पर्यावरण से परिचित होते हैं।

10. कल्पनापरक बनने या पूर्वानुमान लगाने से शिक्षार्थी:

(a) वास्तविक जीवन की चिन्ताओं को समझने योग्य बनते हैं।
(b) विषय की आधारभूत अवधारणाओं को सोखने योग्य बनते है।
(c) के व्यावहारिक कौशलों का विकास होता है।
(d) अगले स्तर के अध्ययन के लिए तैयार होते हैं।

उत्तरमाला – 1(a)   2(c)   3(d)   4(c)    5(d)    6(c)   7(b)    8(d)   9(a)  10(a)

                               ◆◆◆ निवेदन ◆◆◆

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