डाटा सुरक्षा : वायरस और एंटीवायरस / कंप्यूटर वायरस के प्रकार

आज का युग कम्प्यूटर का युग है। आज के जीवन मे सभी को कम्प्यूटर की बेसिक जानकारी होनी चाहिए। बहुत सी प्रतियोगी परीक्षाओं में भी कम्प्यूटर से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। इसीलिए हमारी साइट hindiamrit.com कम्प्यूटर से जुड़ी समस्त महत्वपूर्ण टॉपिक की श्रृंखला पेश करती है,जो आपके लिए अति महत्वपूर्ण साबित होगी,ऐसी हमारी आशा है। अतः आज का हमारा टॉपिक डाटा सुरक्षा : वायरस और एंटीवायरस / कंप्यूटर वायरस के प्रकार / एंटीवायरस के नाम और इंस्टालेशन  की जानकारी प्रदान करना है।

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डाटा सुरक्षा : वायरस और एंटीवायरस / कंप्यूटर वायरस के प्रकार

डाटा सुरक्षा : वायरस और एंटीवायरस / कंप्यूटर वायरस के प्रकार / एंटीवायरस के नाम और इंस्टालेशन
डाटा सुरक्षा : वायरस और एंटीवायरस / कंप्यूटर वायरस के प्रकार / एंटीवायरस के नाम और इंस्टालेशन

Data Security : Viruses and Antiviruses / Types of Computer Viruses

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डाटा सुरक्षा किसे कहते हैं / WHAT IS DATA SECURITY

किसी भी व्यक्ति द्वारा अपने कम्प्यूटर सिस्टम को प्राकृतिक दुर्घटनाओं, धूल- मिट्टी आदि से सुरक्षित रखना तथा कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क में मौजूद प्रोग्राम्स, फाइलों आदि की सुरक्षा करना “डाटा सुरक्षा” कहलाता है। जहाँ तक कि अपने सिस्टम के डाटा को रिकवर करना भी डाटा सुरक्षा का ही चरण कहलाता है।

ऑनलाइन संसार में धोखे तथा बेईमानी का अर्थ

वर्तमान समय में ऑनलाइन सेवा संसार के अन्तर्गत कई प्रकार से
उपयोगकर्ताओं के साथ जालसाजी की जाती है। यह जालसाजियाँ तथा अवैध धोखे निम्न प्रकार के हो सकते हैं-

(1) हैकिंग से सम्बन्धित हैकिंग एक ऐसी समस्या है जिसे रोकने के लिए कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग निर्माण कम्पनियाँ युद्धस्तर से कार्य कर रही हैं। हैकिंग के माध्यम से हैकर एक सिस्टम से किसी भी अन्य व्यक्ति के सिस्टम को हैक कर लेते हैं।

(2) क्रैकिंग से सम्बन्धित-क्रैकिंग भी ऑनलाइन के क्षेत्र विस्तार में एक मुख्य समस्या बनकर सामने आयी है। क्योंकि इसमें क्रैकर व्यक्ति द्वारा आपके किसी.प्रोग्राम पर लगे सेफ्टी प्रोग्राम के कोड को तोड़ दिया जाता है। तत्पश्चात् आपकी उपयोगी सूचना या प्रपत्र सम्बन्धी डेटा को आसानी से चुरा लिया जाता है।

(3) लुभावने ऑफरों से सम्बन्धित—यह ऑनलाइन संसार के संचालन की सबसे बड़ी जालसाजी तथा धोखे का प्रारूप है। जब व्यक्ति द्वारा अपनी फेसबुक आई डी या जीमेल या याहू मेल आई-डी रन की जा रही होती है तब बीच बीच में ऐसे कई अवैधानिक तथा बेईमानीपूर्ण लुभावने ऑफरों की पॉप अप विंडो शो होती रहती है। व्यक्तियों को इनसे बचने की परम आवश्यकता है।

डाटा की सुरक्षा की रूपरेखा (Overview of Data Security)

डाटा की सुरक्षा हेतु चरणों पर विचार करने से पहले यह जानना बहुत आवश्यक है कि डाटा की सुरक्षा किन तत्वों की वजह से करना जरूरी है। क्योंकि इनको समझे बिना डाटा की सुरक्षा के महत्व को समझना अनुचित है। डाटा की सुरक्षा की उत्पत्ति में सबसे बड़ा हाथ कम्प्यूटर वायरस का है।

कम्प्यूटर वायरस (Computer Virus)

Computer virus कम्प्यूटर वायरस कुछ निर्देशों का एक ऐसा शक्तिशाली प्रोग्राम है, जो कम्प्यूटर को अपने तरीके से नियन्त्रित करने लगता है। ये वायरस प्रोग्राम्स किसी भी उस सामान्य कम्प्यूटर प्रोग्राम के साथ जुड़ जाते हैं, जिसका कि उपयोग कम्प्यूटर पर किया जा रहा होता है और उनके माध्यम से कम्प्यूटर में प्रवेश करके अपने उद्देश्य, अर्थात् आँकडों को क्षतिग्रस्त करना, की पूर्ति करते हैं। अपने संक्रमणकारी प्रभाव से ये सम्पर्क में आने वाले सभी प्रोग्राम्स को प्रभावित करके उन्हें क्षतिग्रस्त अथवा नष्ट कर देते हैं।

कम्प्यूटर वायरस प्रोग्राम्स का प्रमुख उद्देश्य केवल कम्प्यूटर की मेमोरी से संचित डेटा तथा सम्पर्क में आने वाले सभी प्रोग्राम्स को अपने संक्रमण से प्रभावित करना है। जिस प्रकार वायरल इंफेक्शन अथवा वायरल बुखार, मानव शरीर की कार्य प्रणाली को लगभग ठप्प-सा कर देता है. ठीक उसी प्रकार कम्प्यूटर की आन्तरिक कार्य प्रणाली को ठप्प-सा कर देता है। किसी अतिसूक्ष्म कीटाणु की भाँति यह वायरस प्रोग्राम अपनी संख्या को स्वगुणन प्रक्रिया से अति तीव्र गति से निरन्तर बढ़ाते रहते हैं।

वायरस प्रोग्राम्स के लक्षण (Symptoms of Virus Phagramme)

वायरस से प्रभावित कोई भी कम्प्यूटर प्रोग्राम अपनी सामान्य कार्य शैली में अनजानी तथा अनेक अन्य समस्याएँ उत्पन्न कर देता है। इनसे कम्प्यूटर की स्मृति में एकत्रित किये गये आँकड़े भी नष्ट हो सकते हैं। यह उस वायरस प्रोग्राम के निर्माता पर निर्भर करता है कि उसने अपने वायरस प्रोग्राम में क्या निर्देश दिये हैं। प्रत्येक वायरस प्रोग्राम विशेष निर्देशों का एक समूह होता है, जिसमें उसके अस्तित्व को बनाए रखने का तरीका, संक्रमण फैलाने का तरीका तथा हानि का प्रकार, निर्दिष्ट होता है। सभी कम्प्यूटर वायरस प्रोग्राम मुख्यतः असेम्बली भाषा या किसी उच्च स्तरीय (High-Level) भाषा; जैसे–पास्कल या सी में लिखे जाते हैं।


सभी वायरस प्रोग्राम्स में निम्न अभिलक्षण पाये जाते हैं-
(i) यह एक अत्यन्त सूक्ष्म प्रोग्राम होता है, जिससे इनको ज्ञात करना कठिन होता है।

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(ii) किसी भी अन्य प्रोग्राम से जुड़ जाना अथवा अन्य प्रोग्राम्स
को प्रतिस्थापित कर उसका स्थान ले लेना, उदाहरणार्थ-सी अशर नामक वायरस डिस्क में बूट-स्ट्रेप प्रोग्राम को शून्य सेक्टर से उठाकर अन्यत्र कहीं प्रतिस्थापित कर देता है और स्वयं उसके स्थान पर शून्य सेक्टर स्थापित हो जाता है।

(iii) संक्रमण – यही वह प्रक्रिया है जिससे वायरस गुणात्मक प्रक्रिया में निरन्तर बढ़ते हुए फैलता रहता है।

(iv) अन्य कार्यकारी प्रोग्रामों के क्रियान्वयन में कठिनाईयाँ उत्पन्न करना,उदाहरणार्थ-किसी विशेष समय पर कोई विशेष संदेश प्रदर्शित करना, किसी विशिष्ट समय अथवा दिनांक पर डिस्क में उपस्थित समस्त प्रोग्राम तथा डेटा नष्ट अथवा क्षतिग्रस्त कर देना आदि।

कंप्यूटर वायरस संक्रमण के लक्षण
(Computer Symptoms of Virus Infection)

वायरस के आक्रमण से कम्प्यूटर ग्रसित हो चुका है, इसकी चेतावनी निम्न संकेतों से प्राप्त होती है-

(i) कार्यकारी प्रोग्राम को स्मृति में लोड किये बगैर ही उपलब्ध स्मृति (RAM) का कम हो जाना।
(ii) बिना किसी कारण किसी कार्यकारी फाइल के आकार में परिवर्तन हो जाना।
(iii) फाइलों की संख्या में अपने आप ही परिवर्तन हो जाना।
(iv) ‘की’ बोर्ड का अचानक अवांछित रूप से कार्य करने लगना।
(v) कम्प्यूटर का हैंग हो (अटक) जाना।
(vi) कम्प्यूटर का अनेक प्रकार के अनिर्धारित व अवांछित अशुद्धि संदेश देने लगना।
(vii) कम्प्यूटर अथवा आँकड़ों में परिवर्तन या उनका नष्ट हो जाना।

कम्प्यूटर वायरस के प्रकार
(Types of computer Virus)

सामान्यतः वायरस प्रोग्राम दो प्रकार के पाये जाते हैं –
(i) बूट सेक्टर वायरस,
(ii) फाइल वायरस ।

(i) बूट सेक्टर वायरस (Boot Sector Virus)

इस प्रकार के वायरस हार्ड डिस्क अथवा डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (Disk Operating System) की बूट डिस्क के शून्य सेक्टर में अपना संक्रमण फैलाते हैं। यह वायरस हार्ड डिस्क में मौजूद पार्टीशन टेबल (Partition Table) को भी बदल देते हैं। इस प्रकार के वायरस कम्प्यूटर के चालू (Start) होते ही, सबसे पहले ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रोग्राम के स्थान पर स्वयं मेमोरी में स्थापित हो जाते हैं। बूट वायरस कम्प्यूटर की मेमोरी में तब भी स्थापित हो सकता है, जब किसी भी अन्य डिस्क से (जो बूट डिस्क न हो) कम्प्यूटर को बूट करने का प्रयास किया जाए, क्योंकि ऐसी स्थिति में कम्प्यूटर डिस्क का शून्य सेक्टर डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम को पढ़ने का प्रयास करते समय वायरस प्रोग्राम को पढ़कर No System Disk, त्रुटि सन्देश प्रदर्शित करेगा, परन्तु, तब तक वायरस मेमोरी में स्थापित हो चुका होगा।

अब यदि बूट डिस्क Write Protected नहीं है, तो उसे कम्प्यूटर लगाने पर कम्प्यूटर स्मृति में स्थित वायरस डिस्क में प्रवेश कर जाता है।

प्रमुख बूट सेक्टर वायरस निम्नलिखित हैं-
(i) सी-जेन, (ii) स्टोन, (iii) पिंगपांग, (iv) जैरुसलम, (v) फूमान्चू,
(vi) पैंटागन, (vii) वेक्सीना, (viii) 1701, (ix) 1704, (x) 1168, (xi) इजराइली, (xii) वियेना, (xiii) अप्रिल फर्स्ट, (xiv) आइरनलैंडिक, (xv) टाइपो बूट वायरस।

(ii) फाइल वायरस (File Virus)

जैसाकि नाम से ही स्पष्ट है, इस प्रकार के वायरस कम्प्यूटर की प्रोग्राम्स फाइल्स में प्रवेश कर जाते हैं। या वायरस COM, EXE, STS, OVL, BIN, फाइन्स को ही अपना शिकार बनाते हैं। सामान्यतः EXE तथा COM फाइल्स पर इनका प्रभाव देखा जाता है। यह वायरस फाइल्स से स्वयं को जोड़ लेता है। इसके प्रभाव से पहले यह वायरस स्वयं क्रियान्वित होता है, बाद में उस फाइल को क्रियान्वित होने देता है। ये इन फाइल्स के आकार को भी प्रभावित करता है।

कुछ फाइल वायरसों के विवरण निम्नलिखित हैं-
(i) 1701, 1704 वायरस, (ii) FRIDAY13, (iii) 648 वायरस, (iv) रेनड्राप वायरस, (v) ली-लार्ड वायरस, (vi) अप्रैल फर्स्ट, (vii) डेटा क्राइम 1208,1168, (viii) 8290 वायरस, (ix) ट्रोजन, (x) वर्म, आदि।

उल्लिखित वायरसों की वजह से डाटा सुरक्षा बहुत ही आवश्यक हो गयी है क्योंकि यह डाटा को करप्ट कर देते हैं।

सुरक्षा के चरण (Steps of Security)

(1) डाटा कॉपियाँ रखना-किसी डाटा प्रोसेसिंग वातावरण में डाटाबेस की कम-से-कम पीढ़ियों को सुरक्षित रखना एक अच्छी परम्परा है। इनका उपयोग निम्नलिखित दुर्घटनाओं की स्थिति में डाटा को रिकवर करने में किया जाता है-

(i) ट्रांसेक्शन प्रोसेसिंग के समय डाटा क्रैश होने पर।
(ii) डाटाबेस का एक ही समय कई लोगों द्वारा उपयोग किये जाने की स्थिति में गलतियाँ होने पर।
(iii) डाटा की किसी गलती के कारण कोई खराबी आ जाने पर।

(2) डाटा का नियमित उम्प लेना-निश्चित समय अन्तरालों पर डाटा का इम्प या बैकअप किसी विश्वसनीय माध्यम में लेते रहना एक अच्छा सुरक्षात्मक उपाय है। किसी सुरक्षा उपाय के असफल होने पर वह डम्प समस्त डाटा को रिकवर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

(3) कन्ट्रोल योग रखना—यह एक अच्छी परम्परा है कि डाटा के महत्वपूर्ण भागों का कन्ट्रोल या हैश (Hash) योग रखा जाए। जैसे किसी खाते के संख्यात्मक मानों का योग, किसी स्टॉर फाइल के पार्ट नम्बरों (Part Numbers) का योग आदि। ऐसे योगों से तत्काल यह पता चल जाता है कि डाटा को बदला या भ्रष्ट तो नहीं किया गया है।

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(4) लॉग रखना—किसी डाटाबेस में फाइलों पर किये जाने वाले सभी लेन-देनों का लॉग रखना अति आवश्यक है। ऐसा लॉग नवीनतम डाटा डम्प के साथ समस्त डाटा को फिर से बनाने में बहुत सहायक होता है। संकट समाधान वह कार्यवाही है जो डाटा नष्ट हो जाने पर या खो जाने की स्थिति में उसे फिर से प्राप्त करने के लिए की जाती है।

डाटा की सुरक्षा में एंटी वायरस की भूमिका (The Role of Antivirus in Data Security)

कम्प्यूटर में वायरस की उपस्थिति की जानकारी करने को उनसे मुक्त करने वाले विशेष सॉफ्टवेयर्स आज बाजार में उपलब्ध हैं। इन सॉफ्टवेयर्स को एंटी वायरस प्रोग्राम (Anti Virus Programme) कहा जाता है। ये ‘एंटी वायरस प्रोग्राम’ अन्य कम्प्यूटर प्रोग्राम्स की भाँति ही होते हैं। प्रत्येक वायरस को पहचानने का एक विशेष तरीका होता है। जिन वायरसों को पहले पकड़ा जा चुका है, उनकी पहचान के तरीके इन ‘एंटी वायरस प्रोग्राम्स’ में रिकॉर्ड रहते हैं और यदि किसी भी कम्प्यूटर में, इन पहले से रिकार्ड किए गए पहचान चिन्हों में से किसी की भी उपस्थिति का संकेत मिलता है तो ये ‘एंटी वायरस प्रोग्राम’ आसानी से कम्प्यूटर में उस वायरस को ढूँढ लेते हैं।

प्रत्येक वायरस का अपना एक विशेष कार्यक्षेत्र होता है अर्थात् प्रत्येक वायरस के बारे में यह निश्चित होता है कि वह किस प्रकार की फाइल्स अथवा डेटा को क्षतिग्रस्त करेगा।

एक बार किसी वायरस को पहचानने के बाद, एंटी वायरस प्रोग्राम, न केवल उस वायरस को कम्प्यूटर से हटा देते हैं, बल्कि उनके कार्यक्षेत्रों के आधार पर, क्षतिग्रस्त किए गए डेटा अथवा फाइल्स को भी, कभी-कभी पूर्ण रूप से और कभी-कभी आंशिक रूप से सही कर देते हैं। एंटी वायरस प्रोग्राम्स में वायरस की संरचना के आधार पर अनेक ऐसे वायरसों की जाँच करने की भी व्यवस्था होती है जिनके विषय में एंटी वायरस प्रोग्राम’ में कोई सूचना रिकॉर्ड नहीं होती। इस प्रकार के ‘एंटी वायरस प्रोग्राम्स’ को ‘स्मार्ट एंटी वायरस प्रोग्राम्स’ कहा जाता है।

किसी भी एंटी वायरस प्रोग्राम को खरीदते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए-

(1) एंटी वायरस प्रोग्राम को कम्प्यूटर में स्थापित करना तथा प्रयोग करना सरल हो-एंटी वायरस प्रोग्राम को कम्प्यूटर में लोड (Load) करना तथा अपनी आवश्यकताओं के अनुसार व्यवस्थित (Configure) करना सरल होना चाहिए। अनेक एंटी वायरस प्रोग्राम इस प्रकार के हैं कि उन्हें एक सामान्य प्रयोगकर्ता के लिए कम्प्यूटर में स्थापित (Install) करना अत्यन्त कठिन होता है। आपका एंटी वायरस प्रोग्राम (AVP) ऐसा होना चाहिए कि एक सामान्य प्रयोगकर्ता भी जब चाहे उसे मैमोरी रेजीडेन्ट (Memory Resident) बना सके और जब चाहे मैमोरी से हटा सके।

(2) एंटी वायरस प्रोग्राम के साथ आवश्यक जानकरियाँ हों तथा उसका अपग्रेडेशन करना सरल हो-एंटी वायरस प्रोग्राम की सहायता से वायरसों को खोजने तथा कम्प्यूटर को मिटाने के लिए आवश्यक कमाण्ड्स आदि के बारे में कोई लिखित सामग्री ही ले लेनी चाहिए, ताकि आप अपने खरीदे गए AVP के सभी कमाण्ड को सुविधा से समझ सकें।

(3) एंटी वायरस प्रोग्राम आवश्यकता होने पर TSR की भाँति कार्य कर सके- जब आप कम्प्यूटर में बार-बार ऐसी फ्लॉपीज का प्रयोग कर रहे हों जिनमें वायरस होने की सम्भावना हो अथवा जिनके वायरस मुक्त होने के बारे में आप निश्चत न हों अथवा इन्टरनेट पर कार्य कर रहे हों, जिससे वायरस आने का खतरा रहता है, ऐसे में AVP इसके लिए सक्षम होना चाहिए कि वह TSR की भाँति कार्य कर सके।

(4) एंटी वायरस प्रोग्राम बूट सेक्टर तथा मास्टर बूट रिकॉर्ड की जाँच करने में सक्षम हो-अनेक खतरनाक वायरस डेटा के अतिरिक्त बूट सेक्टर तथा मास्टर बूट रिकॉर्ड (MBR) को भी क्षतिग्रस्त कर सकते हैं, जैसे-CSH वायरस, अतः AVP वायरस बूट सेक्टर तथा मास्टर बूट रिकॉर्ड में भी वायरस की जाँच करने में सक्षम होना चाहिए।

(5) एंटी वायरस प्रोग्राम को स्मार्ट एंटी वायरस प्रोग्राम होना चाहिए-आपकाएंटी वायरस प्रोग्राम ऐसा होना चाहिए कि वह पहले से ज्ञात ऐसे वायरसों, जिनके बारे में अधिक जानकारियाँ नहीं हैं, की भी जाँच कर सके।

एंटीवायरसों की उपलब्धता
(Availability of Antivirus)

आजकल बाजार में अनेक अच्छे एंटी वायरस प्रोग्राम उपलब्ध हैं, जैसे-नॉर्टन एंटी वायरस (Norton Anti Virus)| डॉ, सोलोमन टूल किट, ए.वी. जी., ईसेट आदि। ये सभी एंटी वायरस प्रोग्राम्स उपरोक्त तथ्यों को पूरा करते हैं। इन्टरनेट पर उपलब्ध बेहतर फ्री एन्टी वायरस प्रोग्राम्स Avast और AVG हैं।

(1) Avast ! Home Edition को आपके डेटा और प्रोग्राम्स को सुरक्षित रखने के लिए डिजाइन किया गया है, साथ ही यह स्वयं को इन्टरनेट से अपडेट भी रखता है। Avast Home Edition के अन्तर्गत Anti-Spyware, Protection और Anti-Root Kit Detection को सम्मिलित किया गया है।

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AVG के तीन वर्जन इस समय बाजार में उपलब्ध हैं AVG Antivurus Free Edition, AVG Antivirus at AVG Internet Security | AVG Antivirus Free Edition में Antivirus, Anti-Spyware और Safe Search विशेषताएँ सम्मिलित की गई हैं। व्यक्तिगत प्रयोग के लिए यह एक अच्छा एन्टी वायरस है। AVG Antivirus में Antivirus, Anti-Spyware, Sare Search, Anti-Rootkit, Safe Download, Safe Instant Messaging, Safe Surf और Free Support विशेषताएँ सम्मिलित की गई हैं। यह एक शक्तिशाली एन्टी वायरस है, जिसका प्रयोग नेटवर्क पर भी किया जा सकता है।

(2) Anti-Rookit, उन छुपी हुई आशंकाओं (Threats) से
सुरक्षा प्रदान करता है, जो कुछ विचलित तथ्यों को Deliver करते रहते हैं।

(3) Anti-Spam, ई-मेल से जुड़ी हुई आशंकाओं (Threats), जैसे-धोखा (Fraud), कचरा (Spam), इत्यादि से सुरक्षा प्रदान करता है।

(4) Norton एन्टी वायरस एक प्रसिद्ध और प्रचलित एन्टी वायरस है। यह एन्टी वायरस कम्प्यूटर की ज्यादा मेमोरी भी नहीं लेता है, जिससे हमारे सिस्टम की परफॉरमेन्स पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है। यह एन्टी वायरस Antivirus, Anti-Spyware और Anti-Rootkit सुविधाएँ प्रदान करता है।

(5) Kaspersky एन्टी वायरस विशेष रूप से विन्डोज के लिए डिजाइन किया गया था। यह एन्टी वायरस रीयल टाइम सिक्यूरिटी प्रोटेक्शन उपलब्ध कराता है। यह एन्टी वायरस Antivirus, Anti-Spyware, Anti-Adware और Anti Rootkit सुविधाएँ प्रदान करता है।

(6) McAfee वायरस स्कैन भी एक प्रसिद्ध एन्टी वायरस सॉफ्टवेयर है। यह एन्टी वायरस Free Wall और Anti-Spyware सुविधाएँ प्रदान कराता है।

(7) ClamWin एक ओपन सोर्स कार्ड (Open Source Chord) एन्टी वायरस है, जो वायरस और स्पाईवेयर्स से सुरक्षा प्रदान करता है। यह एन्टीवायरस On Access रीयल टाइम वायरस स्कैनिंग की सुविधा प्रदान नहीं करता है, इसलिए हमें स्वतः ही इसकी स्कैनिंग करनी होती है।

एन्टीवायरसों की डाउनलोडिंग प्रक्रिया
(Downloading Process of Antivirus)

वर्तमान में सभी एन्टीवायरस निर्माता कम्पनियाँ अपने एन्टीवायरस का फ्री ट्राइल वर्जन सम्बन्धित वेबसाइट पर उपलब्ध करा रही हैं। व्यक्ति को एन्टीवायरस सम्बन्धित देबसाइट को ओपन करना होता है, जैसे ही साइट का वेबपेज ओपन होता है फ्री-ट्राइल वर्जन एन्टीवारसों की लिस्ट ओपन हो जाती है व्यक्ति अपनी इच्छा से किसी एक को क्लिक करके उसे सलैक्ट कर सकता है। सलैक्ट होने के पश्चात् उसके नीचे या दाईं तरफ डाउनलोड का ऑप्शन दिया गया होता है। उस पर क्लिक करने से फ्री ट्राइल वर्जन का सैट-अप आपके सिस्टम में सेव हो जाता है। इसके पश्चात् आप उस सेट-अप को रन करके उसे चालू कर सकते हैं। विशेष-फ्रो ट्राइल एन्टीवायरस की कार्य अवधि 30 दिन यानि एक महीन होती है।

एन्टीवायरस की इन्सटॉलेशन प्रक्रिया
(Installation Process of Antivirus)

एन्टीवायरस की इन्सटॉलेशन प्रक्रिया को उदाहरण स्वरूप दिए जा रहे Avast।एन्टीवायरस के इन्सटॉलेशन द्वारा समझा जा सकता है। अपने में फ्री ट्रायल Avast एन्टीवायरस स्थापित करने की चरण कम्प्यूटर प्रक्रिया निम्नानुसार है-

1. सर्वप्रथम इन्टरनेट की सहायता से Avast फ्री ट्राइल वर्जन को डाउनलोड किया जाता है।

2. आपके सिस्टम में सुरक्षित (डाउनलोड किया हुआ) Avast का सैटअप ऑपन किया जाता है।

3. आपके स्क्रीन पर विण्डो ऑपन होगी जिसमें इन्सटॉलेशन की भाषा सलेक्ट करके Next पर क्लिक करें।

4. यूजर नेम व लाइसेन्स डाक्यूमेन्ट सम्बन्धी विण्डो प्रदर्शित होगी उस पर Next क्लिक करें।

5. इन्सटॉलेशन प्रोसेसिंग प्रारम्भ हो जाएगी।

6. इन्सटॉलेशन पूर्ण होने पर Finish ऑप्शन पर क्लिक करें। Avast एन्टीवायरस आपके सिस्टम में स्थापित हो जायेगा।

एन्टीवायरस का अपडेशन
(Updation of Antivirus)

एन्टीवायरस की अपडेटिंग प्रक्रिया भी लगभग किसी भी सॉफ्टवेयर के अपडेटिंग प्रोग्राम की तरह ही होती है। इसमें भी सिस्टम पर जिसमें एन्टीवायरस अपडेट करना है इन्टरनेट सेवा का चालू होना अति आवश्यक या यूँ कहें कि जरूरी ही है। बिना इन्टरनेट सेवा के इसे अपडेट नहीं किया जा सकता है। किसी भी एन्टीवायरस को अपडेट करने के लिए उसे क्लिक करके ओपन किया जाता है। तत्पश्चात् आपको अपडेट का ऑप्शन प्राप्त होगा, उस पर क्लिक करें। अपडेटिंग प्रक्रिया शुरू हो जाएगी तथा पूर्ण होने पर स्वतः ही आपका एन्टीवायरस अपडेट हो जाएगा।

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