वाक् या वाणी बाधित बालकों की पहचान,विशेषताएं,प्रकार,कारण / वाणी बाधित बालकों की शिक्षा एवं शिक्षण सामग्री

बीटीसी एवं सुपरटेट की परीक्षा में शामिल शिक्षण कौशल के विषय समावेशी शिक्षा में सम्मिलित चैप्टर वाक् या वाणी बाधित बालकों की पहचान,विशेषताएं,प्रकार,कारण / वाणी बाधित बालकों की शिक्षा एवं शिक्षण सामग्री आज हमारी वेबसाइट hindiamrit.com का टॉपिक हैं।

Contents

वाक् या वाणी बाधित बालकों की पहचान,विशेषताएं,प्रकार,कारण / वाणी बाधित बालकों की शिक्षा एवं शिक्षण सामग्री

वाक् या वाणी बाधित बालकों की पहचान,विशेषताएं,प्रकार,कारण / वाणी बाधित बालकों की शिक्षा एवं शिक्षण सामग्री
वाक् या वाणी बाधित बालकों की पहचान,विशेषताएं,प्रकार,कारण / वाणी बाधित बालकों की शिक्षा एवं शिक्षण सामग्री


(Speaking Defect child )वाक् या वाणी बाधित बालकों की पहचान, विशेषताएं, प्रकार,कारण

Tags  – वाणी बाधित बच्चों की शिक्षा,वाणी बाधित बच्चों की पहचान,वाणी बाधित बच्चों के लक्षण,वाणी बाधित का अर्थ,वाणी बाधित बालक के प्रकार होते हैं,वाणी बाधिता के कारण,meaning of Voice Impairment or voice Defect child,वाणी बाधित के प्रकार,वाणी बाधित बालक वाणी बाधित भी होते हैं,वाणी बाधित बालक से आप क्या समझते हैं,वाणी बाधित बालकों की शिक्षा व्यवस्था पर प्रकाश डालिए,वाणी बाधित बच्चों की शिक्षा,वाणी बाधित बालकों की शिक्षा व्यवस्था,वाणी हीनता के कारण,वाणी बाधित बालकों की पहचान,वाणी बाधित बालकों का वर्गीकरण,वाणी बाधित बच्चों को पढ़ाने के लिए क्या प्रयुक्त की जाती है,वाणी बाधित छात्रों के लिए शिक्षण विधियों,वाणी बाधित बालकों के लिये शैक्षिक उपकरण,वाक् या वाणी बाधित बालकों की पहचान,विशेषताएं,प्रकार,कारण / वाणी बाधित बालकों की शिक्षा एवं शिक्षण सामग्री


वाक् या वाणी-बाधित बालक (Voice Impairment or Speaking Defect)

विकलांग बालकों में वाणी-दोष वाले बालक भी बहुत होते हैं। वाणी-दोष वाले बालक या तो ठीक प्रकार से बोल नहीं पाते या उनके द्वारा बोली गयी बात को श्रोता भली-भाँति समझ नहीं पाते अथवा देर से समझते हैं ।

वाक् या वाणी दोष के प्रकार / वाणी बाधित बालक के प्रकार

बोलने के या वाणी के दोष प्रमुख रूप से निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-

1. उच्चारण सम्बन्धी दोष-इस दोष के अन्तर्गत बालक कुछ ध्वनियाँ नहीं निकाल पाते। वे एक शब्द के एक दो अक्षर बोल देते हैं और शेष नहीं बोल पाते अथवा किसी एक ध्वनि हेतु दूसरी ध्वनि का प्रयोग करते हैं; जैसे-त को ट कहना। अधिकांश वाणी-दोष ऐसे ही होते हैं।

ये भी पढ़ें-  पठन के उद्देश्य / पठन शिक्षण के उद्देश्य

2. हकलाना-हकलाने वाले बालक धारा प्रवाह नहीं बोल पाते, कुछ ध्वनि या शब्दों की बार-बार पुनरावृत्ति करते हैं और वे कुछ वर्णों पर बोलते हुए भी रुक जाते हैं।

3. ओष्ठ विकृति-ओष्ठ विकृति जन्म के समय या इसके थोड़े समय बाद ही प्रारम्भ हो जाती है। इसका शल्य चिकित्सा (सर्जरी) द्वारा उपचार किया जा सकता है।

4. आवाज (ध्वनि) की समस्या-कुछ बालक धीरे या ऊँचा बोलते हैं इससे भी उनका स्वर दोषपूर्ण हो जाता है। कुछ बालक नाक के स्वर में बोलते हैं अथवा साँस ले-लेकर बोलते हैं। कुछ बालकों की आवाज में भारीपन अथवा कसैलापन होता है।

5. श्रवण विकृति-जो बालक भली-भाँति सुन नहीं पाते, वे प्रायः बोल भी सही नहीं सकते क्योंकि वे किसी ध्वनि को सुन सकने की क्षमता नहीं रखते।

वाणी-दोष के कारण

बोलने तथा वाणी-दोष के निम्नलिखित कारण हैं-
(1) श्रवण-दोष के कारण वाणी-दोष हो जाना । (2) जन्म के समय विकारयुक्त ओष्ठ हो जाना (3) बालक के मानसिक रूप से तनावग्रस्त रहने पर तुतलाना अथवा हकलाना (4) दाँतों का ऊबड़-खाबड़, टेड़ा-मेड़ा या ऊपर-नीचे होना भी वाणी-दोष का कारण है। (5) मस्तिष्क सम्बन्धी दोष एवं दोषपूर्ण ग्रन्थियों के कारण भी वाणी-दोष आ जाते हैं।

वाक् दोष वाले बालकों की शिक्षा / वाणी बाधित बालकों की शिक्षा / वाणी अक्षम बालकों की शिक्षा

वाणी-दोष वाले बालकों की ओर यदि सही ध्यान दिया जाय तो उनका यथोचित उपचार हो सकता है, साथ ही उनके शैक्षिक कार्यकलापों में भी सुधार हो सकता है। प्रमुख रूप से इनकी शिक्षा एवं उपचार के सम्बन्ध में ध्यान रखने योग्य बातें निम्नलिखित हैं-

(1) बालकों में वाणी सुधार के लिये आत्मविश्वास विकसित करना चाहिये, उन्हें निराश एवं हतोत्साहित नहीं करना चाहिये। (2) वाणी सुधार हेतु बालकों को अधिकाधिक प्रेरणा देनी चाहिये। (3) ऐसे बालकों को निरन्तर बोलने का अभ्यास कराना चाहिये। इस अभ्यास के समय सही एवं त्रुटिपूर्ण उच्चारणों का अन्तर बताना चाहिये। (4) ऐसे बालकों को चिन्ता, लज्जा तथा ग्लानि (भग्नाशा) आदि संवेगों से बचाना चाहिये। (5) ऐसे बालकों के लिये आमोद-प्रमोद के साधन उपलब्ध कराये जाने चाहिये और उनका सामाजिक समायोजन भली-भाँति हो सके, इसका विशेष रूप से ध्यान रखा जाना चाहिये। (6) बालकों के आंगिक दोष को दूर करने हेतु कला विशेषज्ञ एवं मनोचिकित्सकों से भी समय-समय पर परामर्श लिया जाना चाहिये।

ये भी पढ़ें-  व्यक्तित्व के प्रकार || types of personality

(7) माता-पिता एवं अभिभावकों को भी अपने ऐसे बालकों की शिक्षा के प्रति जागरूक रहना चाहिये। (8) इनके शिक्षण में इस बात का ध्यान रखना अति आवश्यक है कि शिक्षक श्यामपट्ट की सहायता से सही एवं गलत उच्चारण वाले शब्दों को बालकों के सम्मुख बोलकर बतायें। (9) सामान्य वाणी सुधार भाषा के अध्यापक द्वारा किया जा सकता है। यह वाणी सुधार कार्यक्रम प्रशिक्षित अध्यापकोंद्वारा की किया जाना चाहिये। (10) ऐसी परिस्थितियों को नियन्त्रण एवं कम करने का प्रयास करना चाहिये कि उनके बोलने में बाधक हैं अथवा उन्हें बोलने में निरुत्साहित करती हैं। समय-समय पर बालकों की प्रशंसा की जानी चाहिये। (11) समय-समय पर अध्यापकों को अल्पकालीन पाठ्यक्रम के द्वारा भी वाक् सुधार की शिक्षा दी जानी चाहिये। अमेरिका में वाणी सुधार कार्यक्रम का पाठ्यक्रम शिक्षण प्रशिक्षण से जुड़ा है।

(12) वाक् विकलांगता का प्रमुख कारण शारीरिक कम और मनोवैज्ञानिक अधिक होता है इसलिये उनकी मनोवैज्ञानिक तरीके से चिकित्सा की जानी चाहिये। ऐसे बालकों के समायोजन का प्रयास भी किया जाना चाहिये। ये समाज में भली-भाँति समायोजन कर सकें,ऐसा प्रयास होना चाहिये। (13) मूक बधिक बालकों की शिक्षण व्यवस्था में शैक्षिक यात्राएँ करायी जायें, यात्राएँ उपयोगी सिद्ध होंगी। (14) इनके लिये सहायक साधनों-दूरदर्शन, वी.सी.आर, मॉडल, चित्र एवं मानचित्र आदि का अधिकाधिक प्रयोग किया जाय। इससे बालक स्वयं अनुभव करके सीख सकते हैं।

(15) माता-पिता एवं शिक्षक को कठोर अनुशासन एवं लापरवाही से बचना चाहिये। अन्यथा यह दोष और विकृत हो सकता है। हकलाने का कारण विशेष रूप से संवेगात्मक होता है। (16) ऐसे बालकों को सन्तुलित आहार दिया जाये और उनके आराम तथा खेलने की उचित व्यवस्था की जाय । (17) बालकों को अच्छी वस्तुओं का अनुकरण करने के लिये प्रोत्साहित किया जाय। इससे सद्प्रेरणा जागृत होगी। (18) यदि सम्भव हो सके तो शल्य-क्रिया (Surgical operation) द्वारा शारीरिक दोष दूर किया जाये।

ये भी पढ़ें-  लेखन अक्षमता या अयोग्यता (डिसग्राफिया) / लेखन अक्षमता या डिसग्राफिया के कारण एवं उपचार

आपके लिए महत्वपूर्ण लिंक

टेट / सुपरटेट सम्पूर्ण हिंदी कोर्स

टेट / सुपरटेट सम्पूर्ण बाल मनोविज्ञान कोर्स

50 मुख्य टॉपिक पर  निबंध पढ़िए

Final word

आपको यह टॉपिक कैसा लगा हमे कॉमेंट करके जरूर बताइए । और इस टॉपिक वाक् या वाणी बाधित बालकों की पहचान,विशेषताएं,प्रकार,कारण / वाणी बाधित बालकों की शिक्षा एवं शिक्षण सामग्री को अपने मित्रों के साथ शेयर भी कीजिये ।

Tags   – वाक् या वाणी बाधित बालक के प्रकार,वाक् या वाणी बाधित बालकों का वर्गीकरण,वाक् या वाणी बाधित बालकों की शिक्षा,Voice Impairment child,वाक् या वाणी बाधित बालकों के कारण बताइए,वाक् या वाणी बाधित बालक का अर्थ,वाक् या वाणी बाधित बालकों के कारण,वाक् या वाणी बाधित बालकों की विशेषताएं, Voice Defect child,वाक् या वाणी-दोष वाले बालकों की पहचान,वाणी-दोष के कारण,वाणी बाधित बालकों की पहचान,वाणी बाधित बालकों की समस्या,Vani badhit balak ki paribhasha,वाणी बाधित क्या है,वाणी बाधित की परिभाषा,वाणी बाधिता के कारण,वाणी बाधित बच्चों की शिक्षा,वाणी बाधित बच्चों की पहचान,वाणी बाधित बच्चों के लक्षण,वाणी बाधित का अर्थ,वाणी बाधित बालक के प्रकार होते हैं,वाणी बाधिता के कारण,

meaning of Voice Impairment or voice Defect child,वाणी बाधित के प्रकार,वाणी बाधित बालक वाणी बाधित भी होते हैं,वाणी बाधित बालक से आप क्या समझते हैं,वाणी बाधित बालकों की शिक्षा व्यवस्था पर प्रकाश डालिए,वाणी बाधित बच्चों की शिक्षा,वाणी बाधित बालकों की शिक्षा व्यवस्था,वाणी हीनता के कारण,वाणी बाधित बालकों की पहचान,वाणी बाधित बालकों का वर्गीकरण,वाणी बाधित बच्चों को पढ़ाने के लिए क्या प्रयुक्त की जाती है,वाणी बाधित छात्रों के लिए शिक्षण विधियों,वाणी बाधित बालकों के लिये शैक्षिक उपकरण,वाक् या वाणी बाधित बालकों की पहचान,विशेषताएं,प्रकार,कारण / वाणी बाधित बालकों की शिक्षा एवं शिक्षण सामग्री

Leave a Comment