दोस्तों विज्ञान की श्रृंखला में आज हमारी वेबसाइट hindiamrit.com का टॉपिक महावर्ग मत्स्य : सामान्य लक्षण एवं इसके प्रमुख जंतु / information of pisces superclass in hindi है। हम आशा करते हैं कि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपकी इस टॉपिक से जुड़ी सभी समस्याएं खत्म हो जाएगी ।
Contents
महावर्ग मत्स्य : सामान्य लक्षण एवं इसके प्रमुख जंतु
information of pisces superclass in hindi
Tags – मत्स्य वर्ग के लक्षण,मत्स्य वर्ग की विशेषताएं, मत्स्य वर्ग के प्रमुख जंतु, मत्स्य वर्ग के प्रमुख लक्षण,मत्स्य वर्ग के जंतुओं के लक्षण,मत्स्य वर्ग के जंतुओं की विशेषताएं,Characteristics of pisces superclass in hindi,मत्स्य वर्ग के उपवर्ग,मत्स्य वर्ग के प्रकार,महावर्ग मत्स्य : सामान्य लक्षण एवं इसके प्रमुख जंतु / information of pisces superclass in hindi
महावर्ग-मत्स्य Super-class-Pisces
मत्स्य वर्ग के सामान्य लक्षण General Characteristics of pisces in hindi
(i) ये पूर्णतया जलीय होते हैं, जो स्वच्छ व समुद्री दोनों जल में मिलते हैं। इस वर्ग के जन्तुओं को सत्य मछली (True fish) मानते हैं।
(ii) इनके शरीर के ऊपर कन्टकों एवं शल्क का बना बाह्य कंकाल पाया जाता है।
(iii) इनमें युग्मित उपांग (पखों के रूप में) पाए जाते हैं, जो चलन में सहायता करते हैं।
(iv) ये क्लोमों द्वारा श्वसन करते हैं, जो पानी में घुलनशील ऑक्सीजन लेते है।
(v) इनमें वायु थैली अथवा वाताश्य होती है, जो जल दाब नियन्त्रित करती है। तथा जल की गहराई में मछलियों की रक्षा करती है।
(vi) इसमें हृदय द्विवेश्मी होता है अर्थात् उसमें एक आलिन्द (Auricle) तथा एक निलय (Ventricle) होता है। उसमें सदैव अनॉक्सीकृत (Deoxygenated) रुधिर बहता है। इसलिए इस हृदय को शिराका हृदय (Venous heart) भी कहते हैं।
(vii) ये अनियततापी (Cold-blooded) जन्तु होते हैं; उदाहरण-मेडेरियन मछली (Synchirpus splendidus), एंग्लर मछली (Caulophyryne jordant), लायन मछली (Pterois volitans), विद्युत रे (Torpedo), स्टिंग रे (Sting ray), डॉग फिश (Scoliodon), रोहू (Labeo rohita), समुद्री घोड़ा (Nale hippocampus), एनाबास (Climbing perch), कैट मछली (Mangur)
मत्स्य वर्ग का वर्गीकरण
मत्स्य वर्ग को पुनः निम्न तीन वर्गों में विभाजित किया गया हैं
(a) वर्ग-प्लैकोडर्मी
ये विलुप्त हो चुके हैं; उदाहरण- क्लाइमैटियस।
(b) वर्ग-कॉण्ड्रिक्थीज
इनमें अधिकतर समुद्री या स्वच्छ जल में रहने वाली मछलियाँ आती हैं। शरीर पर प्लैकॉइड शल्क (Placoid scale) का बना बाह्य कंकाल होता है। साथ ही शरीर पर 5-7 क्लोम छिद्र होती हैं, जो श्वसन में सहायक होती हैं। बाह्य नासाछिद्र एवं मुख सिर के अधर तल (Ventral surface) पर होती है। शरीर पर क्लोम छिद्र के बाहर प्रच्छद ढ़ापन (Operculum) एवं वाताश्य का आभाव होता है। अन्तःकंकाल होता है। उदाहरण- स्कॉलियोडॉन (शार्क/डॉग फिश), प्रिस्टिस (सॉ फिश),
स्फाइर्ना (हैमर हैडीड फिश)।
मुख्य सदस्य – डॉग फिश या स्कोलियोडॉन (Dogfish or Scodiodon) यह भारतीय समुद्रों में पाई जाने वाली माँसाहारी मछली है। इसका शरीर 30-15 सेमी तक लम्बा होता है। इसके अगले सिरे से एक नुकीला तुंड (Snout) निकला रहता है, जो इसकी मुख्य पहचान है। सिर के निचली सतह पर मुख होता है। त्वचा पर प्लेकॉएड शल्क होते हैं, जिनके कारण यह खुरदरी होती है। नेत्रों के पीछे 5 जोड़ी क्लोम दरारें (Gill slits) होती हैं। नर व मादा अलग-अलग होते हैं तथा मादा जरायुज (Viviparous) होती है अर्थात् बच्चों को जन्म देती है।
विद्युत रे या टॉरपीडो (Electric ray or Torpedo) यह समुद्र के तल पर रेत में पाई जाती है। इनका शरीर चपटा तथा सिर चौड़ा व आगे से गोल होता है। सिर पर नेत्र एवं श्वासरन्ध्र होते हैं। अंश पख (Pectoral fins) सिर व धड़ के किनारे के साथ-साथ फैले रहते हैं। सिर पर दोनों ओर त्वचा के नीचे एक जोड़ी विद्युत अंग होते हैं। ये शत्रु को बिजली का झटका देने एवं शिकार को मारने के काम आते हैं, इसलिए इसे विद्युत मीन या विद्युत रे भी कहते हैं; जैसे- राजा (Raja) l
(c) वर्ग-ऑस्टिक्थीज
इस वर्ग को टीलिओस्टोमाई (Teleostomie) भी कहते हैं। इस वर्ग की मछलियाँ सबसे अधिक विकसित मानी जाती हैं। इनमें अन्तःकंकाल अस्थियों (Bones) का बना होता है। बाह्य कंकाल चक्राभ (Cycloid), टीनॉएड (Ctenoid) तथा गैनॉइड (Ganoid) शल्कों का बना होता है।
शरीर पर चार जोड़े क्लोम दरारें उपस्थित होती हैं, जोकि श्वसन में
सहायक होती हैं। ये क्लोम दरारें प्रच्छद ढ़ापन द्वारा ढ़की होती है। शरीर में वाताश्य उपस्थित है, जोकि प्लवन एवं द्रवस्थैतिक सन्तुलन बनाने में सहायक होता है। जनन जोड़े में तथा मादाएँ अण्डयुज (Oviparous) या अण्डजरायुज (Viviparous) होती हैं; उदाहरण-लेबियो (रोहू),कटला, हिप्पोकैम्पस (Sea horse), रिमोरा (Sucker fish), एनाबास (Climbing perch) |
मुख्य सदस्य – रोहू मछली Labeo rohita
यह तालाबों, नदियों, झीलों में पाई जाती है। इसका शरीर तर्कुनुमा होता है। यह लगभग 20 सेमी से 1 मीटर तक लम्बी होती है। इसके शरीर पर चक्राभ शल्क (Cycloid scales) पाए जाते हैं। शरीर के अग्रसिरे के अधरतल पर मुख पाया जाता है। देहगुहा में वायु आशय पाया जाता है।
समुद्री घोड़ा Hippocampus
इसका तुंड (Snout) लम्बा होकर रॉस्ट्रम (Rostrum) का निर्माण करता है। इसका मुख घोड़े के सिर की भाँति प्रतीत होता है इसलिए इसे समुद्री घोड़ा भी कहते हैं। इसका शरीर सिर, धड़ और पूँछ में विभाजित होता है। इसके धड़ और पूँछ पर मुद्राकार हड्डी की प्लेटों का सुरक्षात्मक आवरण पाया जाता है, जो इसका विशिष्ट लक्षण है। इसकी पूँछ परिग्राही (Prehensile) होती है। मैथुन के समय मादा अपने अण्डे नर के पेट पर लगी एक विशेष थैली भ्रूणधानी (Brood pouch) में रख देती है। यहीं पर अण्डों का निषेचन और परिवर्धन सम्पन्न होता है।
◆◆◆ निवेदन ◆◆◆
दोस्तों आपको हमारा यह आर्टिकल कैसा लगा हमे कॉमेंट करके जरूर बताएं ताकि हम आगे आपके लिए ऐसे ही आर्टिकल लाते रहे। अगर आपको महावर्ग मत्स्य : सामान्य लक्षण एवं इसके प्रमुख जंतु / information of pisces superclass in hindi पसंद आया हो तो इसे शेयर भी कर दे ।
Tags – मत्स्य वर्ग के लक्षण,मत्स्य वर्ग की विशेषताएं, मत्स्य वर्ग के प्रमुख जंतु, मत्स्य वर्ग के प्रमुख लक्षण,मत्स्य वर्ग के जंतुओं के लक्षण,मत्स्य वर्ग के जंतुओं की विशेषताएं,Characteristics of pisces superclass in hindi,मत्स्य वर्ग के उपवर्ग,मत्स्य वर्ग के प्रकार,महावर्ग मत्स्य : सामान्य लक्षण एवं इसके प्रमुख जंतु / information of pisces superclass in hindi