बालक के विकास को प्रभावित करने वाले कारक

बालक के विकास को प्रभावित करने वाले कारक, factors affecting of child growth-दोस्तों बाल मनोविज्ञान की शुरुआत बाल विकास के सिद्धान्तों तथा विकास को प्रभावित करने वाले कारकों से ही होती है। हमे शुरुआत में ही इस टॉपिक को पढ़ना होता है। इसीलिए आज हम आपको हमारी वेबसाइट hindiamrit.com के माध्यम से इस टॉपिक की विधिवत जानकारी देगें।


Contents

बाल विकास के सिद्धान्त

बालक पर वंशानुक्रम तथा वातावरण का प्रभाव

बालक के विकास को प्रभावित करने वाले कारक factors affecting of child growth

इसके अंतर्गत दो कारक होते हैं-

(1) आंतरिक कारक (internal factors of child growth)

इसके अन्तर्गत निम्न कारक आते है-

(i) वंशानुगत कारक
(ii) शारीरिक कारक
(iii) बुद्धि
(iv)  संवेगात्मक कारक
(v) सामाजिक प्रकृति

(2) बाह्य कारक (external factors of child gowrth)

इसमें निम्न कारक आते है-

(i) भौतिक वातावरण
(ii) सामाजिक -आर्थिक स्थिति
(iii) गर्भावस्था के दौरान माता का स्वास्थ्य एवं परिवेश


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बालक के  विकास को प्रभावित करने वाले कारक (आंतरिक) (internal factors affecting of child growth)

(1) शारीरिक कारक

जो बालक जन्म से ही दुबले-पतले, कमजोर,बीमार तथा किसी प्रकार की शारीरिक बाधा से पीड़ित रहते हैं।
उनकी तुलना में सामान्य एवं स्वस्थ बच्चे का विकास अधिक होना स्वाभाविक ही है।

शारीरिक कमियों का स्वास्थ्य ही नहीं वृद्धि एवं विकास पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

असंतुलित शरीर, मोटापा, कम उँचाई ,शारीरिक असुंदरता इत्यादि बालक के असामान्य व्यवहार के कारण होते हैं।

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कई बार किसी दुर्घटना के कारण भी शरीर को क्षति पहुंचती है और इस क्षति का बालक के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।


(2) वंशानुगत कारक

बालक के रंग-रूप, आकार, शारीरिक गठन,ऊंचाई इत्यादि के निर्धारण में उसके आनुवंशिक गुणों का महत्वपूर्ण हाथ होता है।

बालक के आनुवांशिक  गुण उसकी वृद्धि और विकास को भी प्रभावित करते हैं।

यदि बालक के माता-पिता गोरे हैं तो उनका बच्चा गोरा ही होगा किंतु यदि माता-पिता काले हैं तो उनके बच्चे काले होंगे।

इस प्रकार माता-पिता के अन्य गुण भी बच्चों में अनुवांशिक रूप से चले जाते हैं।

इसके कारण कोई बच्चा आती प्रतिभाशाली एवं सुंदर हो सकता है तथा कोई अन्य बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर भी हो सकता है।



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(3) बुद्धि

बुद्धि को अधिगम की योग्यता, समायोजन,योग्यता, निर्णय लेने की क्षमता इत्यादि के रूप में परिभाषित किया जाता है।

जिस प्रकार बालक के सीखने की गति अधिक होती है उसका मानसिक विकास भी तीव्र गति से होगा।

बालक अपने परिवार समाज में विद्यालय में अपने आप को किस तरह समायोजित करता है? उसकी बुद्धि पर निर्भर करता है।


(4) संवेगात्मक कारक

बालक में जिस प्रकार के संवेगों का जिस रूप में विकास होगा वह उसके सामाजिक, मानसिक, नैतिक,शारीरिक तथा भाषा संबंधी विकास को पूरी तरह प्रभावित करने की क्षमता रखता है।

यदि बालक अत्यधिक क्रोधित या भयभीत रहता है अथवा यदि उसमें ईर्ष्या एवं वैमनस्यता की भावना अधिक होती है तो उसके विकास की प्रक्रिया पर इन सब का प्रतिकूल प्रभाव पड़ना स्वाभाविक ही है।

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संवेगात्मक रूप से असंतुलित बालक पढ़ाई में या किसी अन्य गंभीर कार्यों में ध्यान नहीं दे पाते फलस्वरुप उनका मानसिक विकास भी प्रभावित होता है।


(5) सामाजिक प्रकृति

बच्चा जितना अधिक सामाजिक रूप से संतुलित होगा उसका प्रभाव उसके शारीरिक, मानसिक ,संवेगात्मक,भौतिक तथा भाषा संबंधी विकास पर भी उतना ही अनुकूल पड़ेगा।

सामाजिक दृष्टि से कुशल बालक अपने वातावरण से दूसरों की अपेक्षा अधिक सीखता है।

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बालक के  विकास को प्रभावित करने वाले कारक (बाह्य) (external factors affecting of child growth)

(1) गर्भावस्था के दौरान माता का स्वास्थ्य एवं परिवेश

गर्भावस्था में माता को अच्छा मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य बनाए रखने की सलाह इसलिए दी जाती है,उससे न केवल गर्भ के अंदर बालक के विकास पर असर पड़ता है, बल्कि आगे के विकास की बुनियाद भी मजबूत होती है।

यदि माता का स्वास्थ्य अच्छा ना हो तो उसके बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य की आशा कैसे की जा सकती है? 

यह बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा ना होगा तो उसके विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना स्वाभाविक ही है।



(2) जीवन की घटनाएं

जीवन की घटनाओं का बालक के जीवन पर प्रभाव पड़ता है।

यदि बालक के साथ अच्छा व्यवहार हुआ है, तो उसके विकास की गति सही होगी, अन्यथा उसके विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

जिस बच्चे को उसकी माता ने बचपन में ही छोड़ दिया हो वह मां के प्यार के लिए तरसेगा ही।

ऐसी स्थिति में उसका सर्वागीण विकास के बारे में कैसे सोचा जा सकता है। जीवन की किसी दुर्घटना का भी बालक के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।


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(3) भौतिक वातावरण

बालक का जन्म किस परिवेश में हुआ?,वह किस परिवेश में किन लोगों के साथ रह रहा है ?, इन सब का प्रभाव उसके विकास पर पड़ता है।

परिवेश की कमियों,प्रदूषणों, भौतिक सुविधाओं का अभाव इत्यादि कारणों से भी बालक का विकास प्रतिकूल रूप से प्रभावित होता है।


(4) सामाजिक – आर्थिक स्थिति

बालक की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति का प्रभाव भी उसके विकास पर पड़ता है।

निर्धन परिवार के बच्चे को विकास के अधिक अवसर उपलब्ध नहीं होते, अच्छे विद्यालय में पढ़ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने इत्यादि का अवसर गरीब बच्चों को नहीं मिलता इसके कारण उनका विकास संतुलित नहीं होता।

शहर के अमीर बच्चों को गांवों के गरीब बच्चों की तुलना में बेहतर एवं सामाजिक एवं सांस्कृतिक वातावरण मिलता है। जिसके कारण उनका मानसिक एवं सामाजिक विकास स्वभाविक रूप से अधिक होता है।

खुद को जांचे

प्रश्न -1 – बालक के विकास को प्रभावित करने वाले बाह्य कारक कौन से है ?

प्रश्न – 2 – बच्चे का विकलांग पैदा होना विकास के कौन से कारक में आता है ?

प्रश्न – 3 – बच्चे के विकास में शारीरिक कारक कौन से है ?



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