ब्रूनर का संज्ञानात्मक अधिगम का सिद्धांत || brunerian cognitive learning theory|| bruner theory in hindi

दोस्तों आज का हमारा सबसे महत्वपूर्ण टॉपिक ब्रूनर का संज्ञानात्मक अधिगम का सिद्धांत है।जिस प्रकार पियाजे,वाइगोत्सकी,स्किनर,थार्नडाइक का सिद्धांत महत्वपूर्ण है। उसी प्रकार परीक्षाओं में ब्रूनर का सिद्धांत भी पूछा जाता है।

यदि आप UPTET/ SUPERTET/ KVS/ DSSB आज के एग्जाम देते हैं तो उनमें अधिगम के सिद्धांत से बहुत प्रश्न पूछे जाते हैं। तो अधिगम के सिद्धांत की श्रंखला में आज hindiamrit.com आपसे bruner ka sangyanatmak adhigam ka siddhant, ब्रूनर के सीखने का सिद्धांत,आदि के बारे में बात करेगा।


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ब्रूनर का संज्ञानात्मक अधिगम का सिद्धांत || brunerian cognitive learning theory|| bruner theory in hindi

ब्रूनर के सीखने के सिद्धांत के अनुसार पाठ योजना में सूचना प्रक्रिया मॉडल का लेखा-जोखा होता है।

इसमें सीखने की समस्या का समाधान तथा तथ्यों प्रतियों के बोध हेतु उद्दीपन तथा समुचित वातावरण को उत्पन्न किया जाता है।

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ब्रूनर का संज्ञानात्मक अधिगम का सिद्धांत || brunerian cognitive learning theory|| bruner theory in hindi

सीखने हेतु ब्रूनर द्वारा विकसित प्रतिमान मॉडल 1956 में प्रस्तुत किया गया।

जेरोम ब्रूनर का प्रयोग पाठ योजना संप्रेषण प्रत्यय निष्पत्ति प्रतिमान सूचना प्रकरण में प्रमुख स्रोत के रूप में किया जाता है।

जेरोम ब्रूनर तथा अन्य मनोवैज्ञानिकों ने अपने शोध के द्वारा यह जानने का प्रयत्न किया। कि मानव अपने प्रत्ययों की रचना कैसे करता है।

और उसके अनुसार पर्यावरण में वस्तुओं के परस्पर संबंधों तथा सादृश्य को किस प्रकार देखता है।

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ब्रूनर का पीपीटी मॉडल || ब्रूनर का संज्ञानात्मक अधिगम सिद्धांत के अंग

इनके सीखने के सिद्धांत प्रमुख रूप से चार प्रतिमान के अवयवों का प्रयोग किया जाता है।

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(1) वस्तुओं,व्यक्तियों एवं घटनाओं की पहचान

(2) उचित रचना कौशलों का विश्लेषण करना

(3) प्रत्ययों का विश्लेषण करना

(4) अभ्यास

(1) वस्तुओं,व्यक्तियों एवं घटनाओं की पहचान 

इस प्रतिमान का पहला अवयव है।

आधार सामग्री को प्रस्तुत कर प्रतियों का बोध कराने के उद्देश्य से रोचक क्रियाओं के द्वारा वस्तुओं, व्यक्तियों या घटनाओं की पहचान करना।

(2) उचित रचना कौशलों का विश्लेषण करना 

पाठ योजना में प्रयुक्त इस प्रतिमान का दूसरा अवयव है।

आधार सामग्री का विशेष अध्ययन करने के लिए प्रयुक्त किए जाने योग्य रचना कौशलों का विश्लेषण करना।

(3) प्रतियों का विश्लेषण करना

तीसरा अवयय विवरण, वार्ता तथा लिखित सामग्री में मिलने वाले प्रत्ययों का विश्लेषण करना।

(4) अभ्यास

इसका चौथा अवयव है- अभ्यास। अभ्यास में छात्रों को प्रत्ययों की रचना करने के लिए कहा जाता है।

छात्रों को अवसर दिया जाता है कि वे इन प्रत्ययों को परिभाषित तथा परिष्कृत करें।

ब्रूनर के सिद्धांत में निर्मित पाठ योजना के प्रमुख सिद्धांत

पाठ योजना में ब्रूनर द्वारा निर्मित यह सिद्धांत प्रतिमान के रूप में अधिक उपयोगी है।

ब्रूनर ने अपने कार्य पर उपागम का निर्माण उपरोक्त मॉडल के प्रयोग के साथ निम्नलिखित सिद्धांतों को पाठ योजना का प्रमुख बिंदु माना है।

(1) अभिप्रेरणा (motivation)

(2) संरचना (structure)

(3) अनुक्रम (sequence)

(4) पुनर्बलन (reinforcement)

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ब्रूनर के संज्ञानात्मक अधिगम सिद्धांत की उपयोगिता

ब्रूनर का अधिगम का सिद्धांत अध्यापक एवं अधिगमकर्ता के लिए निम्नलिखित रूप से उपयोगी है।

(1) शिक्षण में संपत्तियों की अधिगम को विशेष महत्व दिया गया है।

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(2) कक्षा में शिक्षक को एक कुशल नियंत्रक की भूमिका निभानी पड़ती है।

विषय वस्तु के चयन से लेकर उसके प्रस्तुतीकरण एवं विश्लेषण तक उसका सजग रहना छात्रों के प्रभावशाली अधिगम के लिए आवश्यक है।

(3) आत्मसातीकरण हेतु शिक्षक को अधिकाधिक उदाहरण देने पड़ते हैं। उदाहरणों का विश्लेषण एवं अवबोध कराना भी आवश्यक है।

(4) कक्षा शिक्षण में अनुक्रियात्मक एवं सामाजिक संदर्भ का अपना महत्व होता है।
छात्र अपने प्रत्यय तथा व्यूह रचना का विश्लेषण आरंभ कर देते हैं।

छात्र सबसे सरल एवं प्रभावशाली रचना कौशलों को प्रयुक्त करते हैं ताकि नवीन प्रतियों का बोध हो सके।

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