बीटीसी एवं सुपरटेट की परीक्षा में शामिल शिक्षण कौशल के विषय समावेशी शिक्षा में सम्मिलित चैप्टर जिला एवं प्रशिक्षण संस्थान ( डायट) के कार्य एवं उद्देश्य / डायट ( DIET) के विभाग आज हमारी वेबसाइट hindiamrit.com का टॉपिक हैं।
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जिला एवं प्रशिक्षण संस्थान ( डायट) के कार्य एवं उद्देश्य / डायट ( DIET) के विभाग
डायट के कार्य एवं उद्देश्य / डायट ( DIET) के विभाग
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जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान
District Institute of Education and Training – DIET
शिक्षक का महत्त्वपूर्ण आधार प्रशिक्षण है। प्रशिक्षण शिक्षा को प्रभावी बनाता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में प्राथमिक शिक्षा में नवीन्मेष के लिये दो पहलुओं पर विशेष बल दिया गया है- (1) चौदह वर्ष की आयु तक के बालक-बालिकओं का सार्वजनिक नामांकन एवं सार्वजनिक ठहराव तथा (2) शिक्षा की गुणवत्ता में ठोस सुधार। शिक्षक प्रशिक्षण एक निरन्तर प्रक्रिया है और इसके सेवापूर्ण एवं सेवारत अंग पृथक् नहीं किये जा सकते। अत: दूसरे पहलू की क्रियान्विति के लिये राष्ट्रीय शिक्षा नीति की कार्य योजनान्तर्गत प्रत्येक जिले स्तर पर शिक्षक प्रशिक्षण विद्यालय को ‘जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान’ (डाइट) का एक अंग स्वीकार कर संस्थान की स्थापना की गयी। नयी शिक्षा नीति 1986 में प्राथमिक स्तर की शिक्षा के विकास तथा अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा के क्रियान्वयन हेतु 1988 में जिला स्तरीय या मण्डलीय शिक्षा तथा प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना की गयी है।
इसकी संकल्पना 1986 की नयी शिक्षा नीति तथा क्रियान्वयन के कार्यक्रम में की गयी थी। डाइट (DIET) के माध्यम से प्राथमिक विद्यालय के अध्यापकों, औपचारिकेत्तर तथा प्रौढ़ शिक्षा के कार्यकर्ताओं को उनके शैक्षिक उत्तरदायित्व के प्रति जागरूक करना है। ग्राम तथा नगर में शिक्षा से सम्बन्धित व्यक्तियों को शैक्षिक पाठ्यक्रम शिक्षण-विधि तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हो रही प्रगति से परिचित कराना है। प्राथमिक शिक्षा को सार्वजनिक बनाने तथा शिक्षकों में आत्म-विश्वास,स्वाभिमान एवं व्यवसाय के प्रति निष्ठा का भाव उत्पन्न करने में डाइट का महत्त्वपूर्ण योगदान है। प्राथमिक स्तर हेतु अनुमोदित जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) राज्य के विभिन्न जनपदों में स्थापित की गयी है। उनकी स्थापना से निम्न स्तर की प्रशिक्षण संस्थाएँ धीरे-धीरे समाप्त कर दी गयीं।
इन संस्थानों के प्रधान का सामाजिक स्तर डिग्री कॉलेज अथवा बी.एड. कॉलेज के प्राचार्य (जिला शिक्षा अधिकारी) के समकक्ष होगा। शिक्षक शिक्षा के लिये विभिन्न अनेक प्रकार के अभिकरणों की संकल्पना की गयी है। प्राथमिक स्कूल के शिक्षकों तथा औपचारिक एवं प्रौढ़ शिक्षा में कार्यरत कार्मिक के लिये पूर्व-सेवा एवं सेवारत पाठ्यक्रमों के आयोजन हेतु जिला स्तर पर जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) स्थापित किये गये हैं। माध्यमिक स्तर पर शिक्षक शिक्षा में अपेक्षित सुधार लाने की दृष्टि से चुनी हुई माध्यमिक शिक्षक प्रशिक्षण संस्थाओं को राज्य शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण संस्थाओं के कार्यों को सम्पादित करने के लिये उन्नत किया जायेगा। इसके साथ ही 50 शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों में एडवांस स्टडी इन एज्यूकेशन (आई.ए.एस.ई.) में सुविधाओं के विस्तार के लिये कार्यक्रम निर्धारित था।
डाइट का संगठन (Organisation of DIET)
डाइट’ का पूरा नाम जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (District Institute of Education and Training) है। डाइट की योजना ‘नयी शिक्षा नीति’ 1986 के क्रियान्वयन की एक महत्त्वपूर्ण योजना है। इसके अन्तर्गत सातवीं योजना (1990-95) के अन्त तक प्रत्येक जिले में अनिवार्य रूप से डाइट खोले जाने की योजना बनायी गयी थी। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) में आठ प्रभाग हैं, जो इस प्रकार हैं-(1) सेवा पूर्व प्राथमिक शिक्षा शिक्षक प्रशिक्षण प्रभाग (P.S.T.E.) (2) सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण क्षेत्र अन्तक्रिया, नवाचार समन्वय (I.E.I.C) (3) अनौपचारिक शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा एवं जिला सन्दर्भ इकाई प्रभाग (D.R.U.) (4) योजना एवं प्रबन्ध प्रभाग (5) शैक्षिक प्रौद्योगिकी प्रभाग (E.T.)। (6) कार्यानुभव प्रभाग (W.E.) (7) पाठ्यक्रम शिक्षण सामग्री विकास एवं मूल्यांकन (C.M.D.E.) (8) प्रशासनिक शाखा प्रभाग (Administrative)।
प्रत्येक जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में एक प्रधानाचार्य एवं उप प्रधानाचार्य, छ: वरिष्ठ व्याख्याता, 13 व्याख्याता (प्राध्यापक), एक पुस्तकालयाध्यक्ष, एक लेखाकार, दो वरिष्ठ लिपिक एवं पाँच कनिष्ठ लिपिक तथा तकनीशियन आदि का स्टॉफ निश्चित किया गया। इसका कार्य शिक्षक प्रशिक्षण के अतिरिक्त पूरे जिले के लिये शिक्षा के लक्ष्य निर्धारित करना, उसके लिये आवश्यक साधन जुटाना, जिला स्तर पर शैक्षिक आँकड़ों का एकत्रीकरण, विश्लेषण एवं निष्कर्ष निकालना, पाठ्यक्रम एवं कार्यानुभव मूल्यांकन करके उनमें आवश्यक सुधार करना आदि।
प्राथमिक शिक्षा में विशिष्टीकरण रखने वाले योग्य शिक्षक का विधिवत् चयन इस पद के लिये किया जायेगा। आधुनिकतम तकनीकी सम्बन्धी समस्त साधन सुविधाएँ उपलब्ध होंगी, जैसे- कम्प्यूटर आधारित अधिगम, वी.सी.आर., टी.वी. आदि प्रशिक्षणार्थियों से आशा की जायेगी कि वह अपने उपयोग हेतु श्रव्य-दृश्य सामग्री, जिनमें कैसेट भी सम्मिलित होंगे, तैयार कर सकने में सक्षम होंगे। शिक्षण की विभिन्न विधाओं तथा नवीन व्यूह रचनाओं का उपयोग करते हुए इसको प्रभावी बना सकेंगे।
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) के उद्देश्य
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 की कार्य योजना में डाइट के उद्देश्य निम्नलिखित निर्धारित किये गये-
(1) प्राथमिक शिक्षा के सार्वजनीकरण के कार्यक्रम एवं व्यूह रचना के लिये प्राथमिक स्तर पर अकादमिक तथा सन्दर्भ व्यक्तियों को तैयार करना। (2) आदर्श शिक्षा प्रशिक्षण केन्द्र के रूप में प्राथमिक शिक्षा का गुणात्मक सुधार करना। (3) शैक्षिक प्रशासन एवं शैक्षिक सुधारों का विकेन्द्रीकरण करना। (4) जिला स्तर की शैक्षिक योजनाओं का निर्माण करना। (5) विद्यालय संकुल एवं जिला शिक्षा बोर्ड को शैक्षिक सहयोग देना। (6) शिक्षा संस्थाओं, जिला शिक्षा बोर्ड, विद्यालय संगम (संकुल) आदि को शैक्षिक सलाह एवं मार्ग निर्देशन देना।
(7) प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय, अनौपचारिक शिक्षा एवं प्रौढ़ शिक्षा केन्द्रों हेतु मूल्यांकन केन्द्र स्थापित करना। (8) अनौपचारिक एवं प्रौढ़ शिक्षा के अनुदेशकों एवं पर्यवेक्षकों की कार्यारम्भ प्रशिक्षण एवं पुनर्वचन का आयोजन करना। (9) प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्तर की शिक्षा संस्थाओं के प्रधानों का प्रशिक्षण एवं अभिनवन तथा सूक्ष्म स्तर योजना की क्रियान्विति करना। (10) सन्दर्भ एवं अधिगम केन्द्र के रूप में प्रसार सेवा कार्यक्रम आयोजन करना। (11) औपचारिक विद्यालय निकाय के अध्यापकों की सेवापूर्व एवं सेवारत शिक्षा तथा प्रशिक्षण व्यवस्था करना। (12) प्राथमिक एवं प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम के प्रभावी रूप से संचालन में जिला शिक्षा प्रशासन का सहयोग करना आदि।
इस प्रकार पहली कक्षा से आठवीं कक्षा तक सेवा पूर्व (Pre-service) तथा सेवारत (In service) अध्यापकों के प्रशिक्षण तथा शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे परिवर्तनों से परिचित कराने का कार्य डाइट का दायित्व होगा। यह आवासीय संस्था होगी जहाँ रहकर अध्यापकगण साहित्यिक, सामाजिक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों एवं व्यायाम तथा खेलों में भाग लेकर सामूहिक सहयोग तथा स्वस्थ प्रतियोगिता की भावना का विकास कर राकेंगे। मण्डलीय शिक्षा तथा प्रशिक्षण संस्थान में अध्यापक शिक्षा तथा प्रशिक्षण कार्य के साथ ही शिक्षण सामग्री निर्माण, शैक्षिक प्रौद्योगिकी तथा शैक्षिक प्रयोग एव अनुसन्धान का कार्य भी होगा।
इस संस्थान द्वारा विभिन्न विषयों के लिये पाठ्यक्रम की रचना तथा मूल्याकन की पद्धतियों का निर्धारण करने में भी अध्यापक की सहायता की जायेगी। औपचारिक तथा प्रौढ़ शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे अध्यापकों की आवश्यकता के अनुरूप कार्यक्रम, पाठ्यचर्चा तथा शिक्षण सामग्री के प्रयोग आदि के प्रशिक्षण हेतु कार्य गोष्ठियों का संचालन भी डाइट के विशेषज्ञ करेंगे।
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के विभाग (Sections of DIET)
जला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के निम्नलिखित विभाग हैं-
1. प्रशासनिक शाखा प्रभाग-इसके निम्नलिखित कार्यक्षेत्र हैं-(1) संस्थान के समस्त क्रियाकलापों की क्रियान्विति हेतु पहल करना। (2) प्रशासन सम्बन्धी गतिविधियों का संचालन करना । (3) संस्थान से सम्बद्ध अभिकरणों से सहयोग, मार्गदर्शन का आदान-प्रदान करना।
2. योजना एवं प्रबन्ध-इसके अन्तर्गत निम्नलिखित कार्यक्षेत्र हैं-
(1) प्रधानाध्यापकों, शाला संगम अध्यक्षों एवं ब्लॉक स्तर के शिक्षा अधिकारियों का प्रशिक्षण। (2) स्कूल मैपिंग, माइक्रो-प्लानिंग में अधिकारियों का सहयोग प्रदान करना। (3) शैक्षिक दत्त संकलन करना। (4) पिछड़े क्षेत्रों का शैक्षिक दृष्टि से आकलन करना।
3. पाठ्यक्रम, शिक्षण-सामग्री विकास एवं मूल्यांकन-इसके अन्तर्गत निम्नलिखित कार्यक्षेत्र हैं-(1) पाठ्यक्रम विकसित करना। (2) मूल्यांकन विधाओं पर कार्यशाला आयोजित करना। (3) शिक्षण-तकनीक कार्यक्रम। (4) जिला सन्दर्भ इकाई प्रभाग के कार्यक्रम में सहयोग प्रदान करना।
4. सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण क्षेत्र अन्तःक्रिया, नवाचार समन्वय-इसके निम्नलिखित कार्यक्षेत्र हैं-(1) सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण/अभिनवन कार्यक्रम आयोजित करना। (2) जिला शिक्षा प्रशासन को जिला शैक्षिक योजना। (3) क्रियानुसन्धान द्वारा शैक्षिक समस्याओं के समाधान खोजना। (4) नवीन शिक्षण तकनीक का प्रभावी उपयोग करना।
5. शैक्षिक प्रौद्योगिकी-इसके अन्तर्गत निम्नलिखित कार्यक्षेत्र हैं-(1) कम लागत (अल्पव्ययी) की शिक्षण सामग्री तैयार करना। (2) कम्प्यूटर लैब, श्रव्य-दृश्य सामग्री का रखरखाव, उपयोग तथा प्रदर्शन। (3) विडियो/ओडियो कैसेट्स संग्रह, स्लाइट्स कैसेट्स, फिल्मस का आदान-प्रदान एवं प्रभावी शिक्षण में उपयोग।
6. जिला सन्दर्भ इकाई प्रौढ़/अनौपचारिक शिक्षा-इसके अन्तर्गत जिला के प्रौढ़/अनौपचारिक शिक्षा कार्यक्रम का समन्वय करना, अनुदेशकों/पर्यवेक्षकों को प्रशिक्षित करना आदि कार्यक्षेत्र आते हैं।
7. सेवापूर्व शिक्षक प्रशिक्षण-इस प्रभाग के अन्तर्गत प्राथमिक स्तर के अध्यापकों के लिये सेवापूर्व प्रशिक्षण (एस.टी.सी) आदि कार्यक्षेत्र आते हैं।
8. कार्यानुभव-इसके अन्तर्गत अनलिखित कार्यक्षेत्र आते हैं-
(1) शिक्षण-अधिगम सामग्री तैयार करना। (2) कार्यानुभव कार्यक्रम में प्राथमिक विद्यालय/उच्च प्राथमिक विद्यालय एवं प्रौढ़ शिक्षा/अनौपचारिक शिक्षा केन्द्रों को सहयोग प्रदान करना। (3) सामुदायिक सेवा कार्यक्रम आयोजित करना।
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के कार्य (Functions of DIET)
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के कार्य निम्नलिखित हैं-
(1) औपचारिक एवं अनौपचारिक शिक्षा के बीच की दूरी घटाकर इनमें एकात्मकता स्थापित करना। (2) शाला प्रधानों, स्वायत्ती संस्थाओं (ऐच्छिक संगठनों), ब्लॉक स्तरीय शिक्षाधिकारियों, ग्राम शिक्षा समितियों के सदस्यों एवं सामुदायिक नेताओं के अभिनवीकरण एवं प्रशिक्षण की व्यवस्था करना। (3) शिक्षण अधिगम-सामग्री का विकास करना। (4) नवीन प्रविधियों की क्षेत्र की शिक्षकों को जानकारी देना। (5) शोध प्रसार सेवाओं तथा प्रयोग-प्रशिक्षणों का आयोजन करना। (6) शिक्षकों, अनुदेशकों के लिये एक ‘संसाधन एवं अधिगम केन्द्र के रूप में कार्य करते हुए परामर्श देना। प्राथमिक एवं प्रौढ़ शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति में आने वाली बाधाओं का अध्ययन एवं क्रियानुसन्धान कार्य करना तथा प्रयोगात्मक कार्य को बढ़ावा देना।
(7) जिला शिक्षा बोर्ड (DEE), शाला सम्भागों (संकुलों) तथा संस्थागत योजना एवं प्रबन्ध के प्रति संस्था प्रधानों को प्रशिक्षण एवं शैक्षिक सहयोग और सुझाव देना । (8) प्राथमिक/उच्च प्राथमिक/औपचारिक शिक्षा प्रणाली शिक्षकों की सेवापूर्व एवं सेवारत प्रशिक्षण की व्यवस्था करना (प्रति पाँच वर्ष बाद प्रत्येक सेवारत शिक्षक के लिये प्रशिक्षण का प्रावधान है। तथा शिक्षकों को शैक्षिक गुणवत्ता में वृद्धि करने हेतु समय-समय पर उनके लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना। (9) राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् (NCTE) से मार्गदर्शन प्राप्त करना।
(10) विद्यालय में संचालित पाठ्यक्रम एवं कार्यानुभव/समाजोपयोगी उत्पादक कार्य(SUPW) का मूल्यांकन करके उनमें आवश्यक सुधार करना । (11) जिला शिक्षा प्रशासन के सहयोग के लिये अकादमिक एवं सन्दर्भ व्यक्तियों को केन्द्र बनाना। (12) जिले के शैक्षिक नवाचारों को प्रोत्साहित करना। (13) जिले में शैक्षिक प्रौद्योगिक संगण (कम्प्यूटर) शिक्षा प्रावधान करना। (14) प्राथमिक/उच्च प्राथमिक विद्यालयों तथा अनौपचारिक एवं प्रौढ़ शिक्षा केन्द्रों पर मूल्यांकन के रूप में कार्य करना। (15) अनौपचारिक एवं प्रौढ़ शिक्षा के अनुदेशकों-पर्यवेक्षकों/सुविधादाताओं/प्रेरकों का आधारभूत तथा सतत् प्रशिक्षण करना और उन्हें सामान्य संसाधन प्रदान करना।
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान हेतु प्रशिक्षण के लिये प्रस्तावित कार्यक्रम में योजना एवं मूल्यांकन, विस्तार सेवा कार्यक्रम,सामुदायिक कार्यकर्ता एवं नवयुवक प्रशिक्षण, विद्यालय संगम (संकुल) प्रशिक्षण आदि अन्य प्रशिक्षण दिये जाते हैं।
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