कम्प्यूटर की इनपुट और आउटपुट डिवाइस / input and output devices of computer in hindi

आज का युग कम्प्यूटर का युग है। आज के जीवन मे सभी को कम्प्यूटर की बेसिक जानकारी होनी चाहिए। बहुत सी प्रतियोगी परीक्षाओं में भी कम्प्यूटर से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। इसीलिए हमारी साइट hindiamrit.com कम्प्यूटर से जुड़ी समस्त महत्वपूर्ण टॉपिक की श्रृंखला पेश करती है,जो आपके लिए अति महत्वपूर्ण साबित होगी,ऐसी हमारी आशा है। अतः आज का हमारा टॉपिक कम्प्यूटर की इनपुट और आउटपुट डिवाइस / input and output devices of computer in hindi की जानकारी प्रदान करना है।

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कम्प्यूटर की इनपुट और आउटपुट डिवाइस / input and output devices of computer in hindi

कम्प्यूटर की इनपुट और आउटपुट डिवाइस / input and output devices of computer in hindi
कम्प्यूटर की इनपुट और आउटपुट डिवाइस / input and output devices of computer in hindi

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कंप्यूटर की निवेश युक्तियाँ (Input Devices of computer)

(1) कुंजी पटल (Key Board)

कुंजी पटल एक टाइपराइटर (Typewriter) के समान कुंजियों वाला एक उपकरण है। इसमें कुंजियों की संख्या टाइपराइटर से अधिक होती हैं सामान्यतः 101 कुंजी वाले प्रारूप का प्रयोग किया जाता है।

कुंजी पटल की सभी कुंजियों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है-
(a) एल्फान्यूमेरिक कुंजियाँ (Alphanumeric Keys),72
(b) न्यूमेरिक कुंजियाँ (Numeric Keys),17
(c) फंक्शन कुंजियाँ (Function Keys) 12

(A) एल्फान्यूमेरिक कुंजियाँ (Alphanumeric Keys)—यह कुंजी पटल का केन्द्रीय भाग होता है जिसमें वर्णमाला के अक्षर (A-Z या a-z) तथा अंकीय (Numbers) करेक्टर 9,0 से (a) तथा अन्य कुछ करेक्टर जैसे ?, #, $, @,!, &, %,{}. [](,), -, + * इत्यादि होते हैं। इनके अतिरिक्त Shift (शिफ्ट), Enter (ऐन्टर), Back space (बैक स्पेश), Tab (टैब), Esc (एस्केप), Alt (ऑल्ट) इत्यादि कुछ विशेष कुंजियाँ भी होती हैं।

(B) न्यूमेरिक कुंजियाँ (Numeric Keys)– यह कुंजी पटल पर दायें भाग में स्थित होता है व इसमें कुल 17 कुंजियाँ होती हैं जिसमें 0 से 9 तक के अंकों की कुंजियाँ होती हैं, जिसमें से चार कुंजियों पर दिशाएँ व्यक्त करने वाले तीर (Arrow) बने रहते हैं,बजो कर्सर को चलाने का काम भी करते हैं। इसके अलावा कुछ अन्य कुंजियाँ भी अंकित होती हैं; जैसे-Numlock,/, *, +, Home, Pg Up Pg Dn, Ins व Enter.

(C) फंक्शन कुंजियाँ (Function Keys)-कुंजी पटल के ऊपरी भाग में कुल 12, फंक्शन कुंजियाँ होती हैं जिन पर FI, F2, F3, F4………F12 तक अंकित रहता है। इन कुंजियों का विभिन्न अनुप्रयोगों (Applications) में अलग-अलग कार्य होता है।

(2) माउस (Mouse)

माउस एक अन्य निवेश युक्ति है जिसे हम अपने हाथ में पकड़कर कार्य करते हैं। समतल सतह पर माउस को हिलाने से इसमें लगी बॉल घूमती है। इसके घूमने से कम्प्यूटर स्क्रीन पर कर्सर भी घूमता है। माउस में दो या तीन से अधिक बटन होते हैं जिनके द्वारा विभिन्न कार्य किये जाते हैं। माउस के द्वारा हम चित्र आदि बना सकते हैं तथा कम्प्यूटर को निर्देश दे सकते हैं। 

(3) लाइट पैन (Light Pen)

लाइट पैन एक निवेश युक्ति है जिसमें एक स्मॉल (Small) विशिष्ट पैन में फोटो सैल होते हैं। पैन स्क्रीन अथवा स्क्रीन से सम्बन्धित युक्ति पर घूमता हुआ दिखता है तथा जब भी हम आदेश करते हैं, इमेज स्क्रीन में संकलित हो  जाती है जिसका प्रिण्ट तैयार किया जा सकता है। 

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(4) ट्रैक बॉल (Track Ball)

यह एक ऐसी युक्ति है जिसमें कुछ बटन व बॉल होते हैं जो स्क्रीन पर बने कर्सर को नियन्त्रित करते हैं। इसके अन्तर्गत अंगूठे से बॉल को दबाया जाता है जबकि अँगुली से बटन पर दबाव बनाया जाता है कर्सर को चलाने के लिए बॉल को दबाते हैं तथा घुमाते हैं इसके फलस्वरूप कर्सर स्क्रीन पर गति करता है। इसके लिए अधिक स्थान की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि इस पूरे यन्त्र को घुमाने की आवश्यकता नहीं होती केवल बॉल को ही घुमाते हैं। यह प्राय:  कम्प्यूटर प्रयुक्त होते हैं।

(5) स्कैनर (Scanner)

स्कैनर वस्तु या प्रालेख की आकृति को प्रत्येक बिन्दु से देखकर कम्प्यूटर में प्रविष्टि कर देते हैं। इस प्रिन्टिड आकृति को इलेक्ट्रॉनिक रूप में परिवर्तित करके कम्प्यूटर में संचय कर लेते हैं जिन्हें बाद में मिटाया जा सकता है। इसमें आकृति में वांछित बदलाव भी किये जा सकते हैं। इसके अन्तर्गत स्कैनर में माइक्रो कैमरा भी होता है जो आकृति को देखता है तथा प्रतिरूप समेट कर इलेक्ट्रॉन में परिवर्तित करके तरंगों को कम्प्यूटर में प्रवाहित कर देता है। जहाँ यह संचय हो जाता है।

(6) वेब कैमरा (Web Camera)

इसे पी. सी. कैम्स अथवा डेस्क टॉप डिजिटल वीडियो कैमरा भी कहते हैं। इसका वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के लिए उपयोग किया जाता है। कैमरा को सामान्य रूप से कम्प्यूटर मॉनीटर के ऊपर रखते हैं और वीडियो गति (Video Motion) को रिकॉर्ड करते हैं। यदि माइक्रोफोन उपलब्ध है तो आवाज को भी रिकॉर्ड कर लेते हैं। रिकॉर्ड किये गये डाटा को कम्पयूटर में स्टोर कर लेते हैं।

(7) मार्क सेन्स रीडर (Mark Sense Reader)

कागज पर अन्य सतहों पर यदि । बने चित्र इत्यादि को पढ़ने के लिए इनका प्रयोग किया जाता है। इसे विशेषतः प्रश्न पत्र अथवा इसी प्रकार के अन्य दस्तावेज पढ़ने हेतु प्रयोग किया जाता है। इसमें वर्गाकार खानों में ग्रेफाइट पेन्सिल से सही (V) या गलत (x) के चिह्न लगाये जाते हैं या बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए विकल्पों में से किसी एक को चुना जाता है। उससे सम्बन्धित खाने को ग्रेफाइट से भरकर इसकी जाँच हेतु फार्म को अथवा कार्ड को एक प्लेट पर रख दिया  जाता है जिसमें दो विद्युताग्र होते हैं। ग्रेफाइट विद्युत का संचालक है। अत: जहाँ चिह्न होते हैं वहीं विद्युताग्र बन जाता है इससे कार्ड जाँच लिया जाता है।

(8) टैच स्क्रीन (Touch Screen)

जहाँ पर कम मात्रा में आँकड़े या निर्देश देने हो दिये गये विकल्पों चुनना हो वहाँ इस युक्ति का प्रयोग किया जाता है। इसके अन्तर्गत कम्प्यूटर में अथवा इसके आस-पास सेन्सर्स का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा दबाव पद्धति का भी प्रयोग किया जाता है। इसमें कम्प्यूटर स्क्रीन जो कि सेन्सटिव होती है, पर विकल्प (आँकड़े, निर्देश) दिये होते हैं, जिन्हें दबाव के द्वारा प्रेषित कर दिया जाता है। इनको विक्रय स्थान पर भुगतान अथवा ए, टी. एम. (ATM) का प्रयोग किया जाता है।

कंप्यूटर की निर्गत युक्तियाँ (Output Devices of computer)

(1) मॉनीटर (Monitor)

कम्प्यूटर की समस्त सूचनायें (परिणाम) देखने के लिए मॉनीटर का प्रयोग किया जाता है। यह एक टी. वी. के समान परदे (Screen) वाला उपकरण होता है। इसकी स्क्रीन एक कैथोड रे ट्यूब (Cathode Ray Tube) होती है। मॉनीटर पर बनी आकृति बहुत-से छोटे-छोटे बिन्दुओं से मिलकर बनती है, जिन्हें “पिक्सेल’ (Pixel) कहा जाता है। मॉनीटर मुख्यत: दो प्रकार का होते हैं- (क) श्वेत-श्याम मॉनीटर (Monochrome Monitor),(ख) रंगीन मॉनीटर (Colour Monitor)।

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रंगीन मॉनीटर रेड, ग्रीन, ब्लू (Red, Green,Blue) RGB प्रकार का होता है। कम्प्यूटर में पर्याप्त रैम उपलब्ध होने पर मॉनीटर 8 से 16 मिलियन रंगों को डिस्पले कर सकता है।

(2) प्रिन्टर (Printer)

प्रिन्टर एक प्रकार की इलेक्ट्रो मैकेनिकल युक्ति है जो बाइनरी कोड में आँकड़े प्राप्त करती है तथा इसको कागज पर छापती (Print) है। नई-नई खोजों ने प्रिण्टर के रूप ही बदल दिया है। इलेक्ट्रॉनिक तथा मशीनी तकनीक में नई खोजों के कारण बड़े बड़े प्रिण्टरों का स्थान डेस्कटॉप प्रिन्टरों ने ले लिया प्रिन्टर मुख्यत: दो किस्म के होते हैं।

(क ) इम्पैक्ट प्रिन्टर (Impact Printer)–इम्पैक्ट प्रिन्टर वे प्रिन्टर होते हैं जो कि मशीन के सम्पर्क तथा स्याही लगे रिबन के माध्यम से कागज पर आकृति तैयार करते हैं। विभिन्न प्रकार के इम्पैक्ट प्रिन्टर प्रयोग किये जाते हैं।

(ख) नॉन इम्पैक्ट प्रिन्टर (Non Impact Printer) – ये प्रिन्टर एक प्रकार के इलेक्ट्रोस्टेट की तरह के होते हैं तथा इसी तरह कार्य करते हैं। इसमें कागज पर मशीन अथवा रिबन का कोई सम्पर्क नहीं होता है, अपितु मशीन द्वारा इस पर किरणें डालकर आकृति बनायी जाती है। 

(3) स्पीकर (Speaker)

सिस्टम यूनिट में प्राप्त ध्वनि संगीत आदि को सुनाने का कार्य स्पीकर करते हैं।

(4) नेटवर्क कार्ड (Network Card)

नेटवर्क इन्टरफेस कार्ड (NIC) द्वारा हर नेटवर्क पर क्लाइन्ट तथा सर्वर जुड़ा रहता है। इसे दो कम्प्यूटरों के बीच जोड़ने वाले साधन के रूप में उपयोग किया जाता है। साधारण-सा एयर नेट कार्ड इन्टरफेस कार्ड का प्रमुख प्रकार है। एथरनेट टोपोलोजियों को एथरनेट के विभिन्न प्रकार के रूप में जाना जाता है। साधारण रूप में हल्के से मध्यम टैफिक नेटवर्क पर एथरनेट का उपयोग किया जाता है तथा यह बेहतर कार्य करता है जब डाटा ट्रैफिक प्रसारण में छोटे ब्रस्ट नेटवर्क का उपयोग होता है।

(5) मॉडम (Modem)

हम जानते हैं कि मॉडम, मॉडयुलेटर तथा डि-मॉडयुलेटर उपकरण का आधुनिक रूप है। यह मॉडयुलेशन तथा डि-मॉडयुलेशन दोनों प्रकार की प्रक्रिया कर सकता है। इस कार्य प्रणाली को नीचे दिये गये चित्र द्वारा सरलता से समझा जा सकता है- मॉडम का मुख्य कार्य सिग्नलों का प्रारूप परिवर्तन है। इसके अतिरिक्त उच्च तकनीक के मॉडम आँकड़ों के संचार में सिग्नलों की शुद्धता सम्बन्धी परीक्षण करते हैं तथा एक से अधिक आँकड़ों के संचरण की दर को भी नियन्त्रित कर सकते हैं। कुछ उच्चस्तरीय मॉडम में माइक्रो प्रोसेसर भी लगाया जाता है। जिसका उपयोग विषय परिस्थितियों में कार्य करने में किया जाता है। इस प्रकार के मॉडम को ‘स्मार्ट मॉडम’ कहते हैं। मॉडम के द्वारा एक सेकण्ड में बदली गयी सिग्नल को आवृत्ति को ‘बाउड’ (Boud) कहते हैं। उपयोग तथा क्षमता के आधार पर मॉडल दो प्रकार के होते हैं-

बाह्य मॉडम (External Modem)

इस प्रकार के मॉडम को कम्प्यूटर की मुख्य इकाई से डाटा केबिल के द्वारा जोड़ा जाता है। यह कम्प्यूटर से अलग स्थापित होता है। अत: इसे बाह्य माडम कहते हैं। इस प्रकार के मॉडम में होने वाली गतिविधियाँ उस पर स्थित सूचकों के द्वारा संकेतों के रूप में दिखायी देती हैं। इस प्रकार के मॉडम को एक कम्प्यूटर से हटाकर दूसरे कम्प्यूटर पर आसानी से जोड़ा जा सकता है।

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आन्तरिक मॉडम (Internal Modem)

इस प्रकार के मॉडम को कम्प्यूटर की मुख्य इकाई में स्थित मदरबोर्ड (Mother Board) पर स्थापित किया जाता है। इसकी स्थिति मुख्य इकाई के अंदर होने के कारण इसे आन्तरिक मॉडल कहा जाता है। इसे PCMCIA (Personal Computer and Memory Card International Associ- ation) के नाम से भी जाना जाता है। यह इलेक्ट्रॉनिक सर्किट बोर्ड के समान दिखायी देता है।

मॉडम को स्थापित करना (Installation of Modem)

मॉडम को इन्स्टॉल करने के लिए स्टार्ट मैन्यू के ‘स्टार्ट’ बटन की सहायता से Setting पर जाते हैं तथा इसके अन्तर्गत Control Panel (कण्ट्रोल पैनल) विकल्प पर क्लिक करते हैं। इससे स्क्रीन पर कण्ट्रोल पैनल की विण्डो खुल जाती है। कण्ट्रोल पैनल के मॉडम आइकन पर दो बार क्लिक करने से “Install New Modem” एक डायलॉग बॉक्स स्क्रीन पर प्रदर्शित होता है। स्क्रीन पर प्रदर्शित सन्देश ‘Don’ : detect my modem, I will select it from a list’ को माउस से चुनने के पश्चात् Next बटन पर क्लिक करते हैं। क्लिक करने पर मॉडम के निर्माता एवं मॉडम की सूची स्क्रीन पर प्रदर्शित हो जायेगी।

इसमें से आवश्यकतानुसार मॉडम का चुनाव करके पुन: Next बटन पर क्लिक करते हैं। नये चित्र में ‘Select the port to use with this modem’ के अनुसार कॉम पोर्ट । का चुनाव करते हैं तथा पोर्ट का चुनाव करने के बाद Next बटन पर पुन: क्लिक करते हैं इससे मॉडम स्थापित करने का अन्तिम डायलॉग बॉक्स प्रदर्शित होता है। इस डायलॉग बॉक्स में सेटअप को पूरा करने के लिए Finish बटन पर क्लिक करते हैं। इससे स्क्रीन पर एक नया डायलॉग बॉक्स ‘Modem Properties’ प्रदर्शित होगा। इसमें ‘General’ टैब शीट पर ‘Dailing Properties’ बटन क्लिक करते हैं। बॉक्स में से आवश्यकतानुसार क्षेत्र का कोड, देश का नाम आदि टाइप करके अंत में डायलॉग बॉक्स के OK बटन पर क्लिक करते हैं। इस प्रकार मॉडम कार्य करने के लिए तैयार हो जाता है।

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