विद्यालयी अभिलेख के प्रकार / विद्यालय में कुल पंजिकाओं के प्रकार

बीटीसी एवं सुपरटेट की परीक्षा में शामिल शिक्षण कौशल के विषय शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशासन में सम्मिलित चैप्टर विद्यालयी अभिलेख के प्रकार / विद्यालय में कुल पंजिकाओं के प्रकार आज हमारी वेबसाइट hindiamrit.com का टॉपिक हैं।

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विद्यालयी अभिलेख के प्रकार / विद्यालय में कुल पंजिकाओं के प्रकार

विद्यालयी अभिलेख के प्रकार / विद्यालय में कुल पंजिकाओं के प्रकार
विद्यालयी अभिलेख के प्रकार / विद्यालय में कुल पंजिकाओं के प्रकार


Types of School Register / विद्यालय में कुल पंजिकाओं के प्रकार

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सूचना एवं अभिलेखों का प्रबन्धन
Management of Informations and Records

सूचनाओं  का क्षेत्र व्यापक है। इसलिये इनके प्रबन्धन की आवश्यकता अनुभव की गयी है। वर्तमान समय में सूचनाओं को उनकी उपयोगिता एवं आवश्यकता के आधार पर एकत्रित किया जाता है। इस प्रकार से सूचनाओं को इस प्रकार व्यवस्थित किया जाता है कि आवश्यकता पड़ने पर इनका उपयोग किया जा सके। इसे एक उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है। छात्रों की परीक्षा सम्बन्धी समस्त सूचनाओं को प्रतिवर्ष एक रजिस्टर में व्यवस्थित रूप में लिखा जाता है। इसमें प्रथम श्रेणी, द्वितीय श्रेणी एवं तृतीय श्रेणी के छात्रों की समस्त उपलब्धियों को क्रमबद्ध एवं सुसंगठित रूप में लिखा जाता है। आवश्यकता पड़ने पर किसी भी वर्ष के छात्रों से सम्बन्धित परीक्षा सम्बन्धी सूचना प्राप्त करनी हो तो इन रजिस्टरों से प्राप्त की जाती है। इस प्रकार की प्रक्रिया सूचनाओं के प्रबन्धन में आती है।

विद्यालयी अभिलेख के प्रकार
Types of School Register

भिन्न-भिन्न अभिलेखों का वर्गीकरण निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है-

1. सामान्य अभिलेख

विद्यालयों में सामान्य अभिलेख निम्नलिखित प्रकार हैं-
(1) प्रवेश पंजिकाएँ (Admission register) (2) नाम पृथक पंजिका (Withdrawal register) (3) दर्शन पंजिका (Visitors register) (4) अध्यापक अनुवर्तन पुस्तिका (Service book) (5) आदेश पुस्तिका (Order book) (6) कार्य दैनिकी (Log-book)  (7) विद्यालय नियमावली (School calender) (8) स्थानान्तरण पत्रक पंजिका (Transfer certificate register) (9) नामांकन पत्रक (Enrolment Cards) (10) भवन-सम्बन्धी ऋणों का रजिस्टर (Register of loans of building)  (11) शिक्षा अधिकारियों के आदेशों से सम्बन्धित रजिस्टर (Educational authority register) (12) अवकाश रजिस्टर (Leaveregister) (13) पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओं का रजिस्टर (Co-curricular activities register)

2. शैक्षिक अभिलेख

विद्यालयों में शैक्षिक अभिलेख निम्नलिखित प्रकार हैं-
(1) वर्ग-उपस्थिति पंजिका (Class-aftendance register) (2) अध्यापक उपस्थिति पंजिका (Teacher attendance register) (3) वर्ग समय-सारिणी (Class time table) (4) अध्यापक समय-सारिणी (Teacher’s time table) (5) सामान्य समय-सारिणी (General time table)  (6) विद्यार्थी परीक्षण पंजिका (Student test register)  (7) अध्यापक सभा पंजिका (Teacher’smeetings register)  (8) मासिक प्रगति पंजिका (Monthly progress register) (9) प्रधानाध्यापक पर्यवेक्षक पंजिका (Principal’s supervision register) (10) अध्यापक-विवरण पंजिका (Teacher’s diary)  (11) शारीरिकदण्ड पंजिका (Physical tutionregister)  (12) अध्यापक ट्यूशन पंजिका (Teacher tutionregister)  (13) संचित अभिलेख (Cumulative records)

3. वित्तीय अभिलेख

विद्यालयों में वित्तीय अभिलेख निम्नलिखित प्रकार हैं-
(1) वेतन-पंजिका (Acquitance roll register) (2) आकस्मिक पुस्तिका (Contingent book) (3) शुल्क पंजिका (Fees register) (4) आय-व्यय पंजिका (Receipts and expenditure register)  (5) देयक पुस्तिका (Bill register)  (6) दान पंजिका (Register of donations)  (7) छात्रवृत्ति पंजिका (Scholarship register) (8) रोकड़ पुस्तिका (Cash book)  (9) वार्षिक निवर्तन पुस्तिका (Returns book)  (10) कोष चालन पुस्तिका (Treasury Book)  (11) पारितोषक पंजिका (Rewards book)  (12) प्रॉविडेण्ट फण्ड रजिस्टर (Provident fund register)

4. उपकरण सम्बन्धी अभिलेख

विद्यालयों में उपकरण अभिलेख निम्नलिखित प्रकार है-
(1) कार्यभार पुस्तिका (Charge book) (2) पुस्तकालय अनुसूची (Library catalogue) (3) पुस्तक अभिवृद्धि पंजिका (Accession register) (4) पुस्तक निष्कासन पंजिका (Book issue register)  (5) फर्नीचर संचय पंजिका (Furniture stock register) (6) क्रीड़ा उपकरण संचय पंजिका (Sportsmaterials register)  (7) क्रीड़ा उपकरण पंजिका (Games equipment register) (8) व्यावहारिक प्रशिक्षण के समय उपलब्ध सामग्री की पंजिका (Practical instruction register) (9) व्यावहारिक प्रशिक्षण हेतु कच्चे माल की पंजिका (Register for raw material) (10) विद्यालय सम्पत्ति पंजिका (School capital

5. पत्र-व्यवहार सम्बन्धी अभिलेख

विद्यालयों में पत्र-व्यवहार सम्बन्धी अभिलेख निम्नलिखित प्रकार हैं-
(1) विभागीय आदेश पंजिका (Departmental order register) (2) अध्यापक आकस्मिक अवकाश पुस्तिका (Casual leave book) (3) स्मृति पत्र पुस्तिका (Memo book) (4) शिक्षा-विभागीय या विश्वविद्यालय परीक्षा पंजिका (Department university exam register)  (5) पत्रवाहक पंजिका (Peon book)  (6) पत्र व्यवहार या पत्र प्राप्ति एवं पत्र भेजने का रजिस्टर (“From’ and ‘To register)

महत्वपूर्ण नोट – वर्तमान में विद्यालय में केवल अब 14 पंजिकाओं को ही सम्मिलित किया गया है। किंतु आवश्यकता के अनुसार कुछ अलग से पंजिकाओं का निर्माण करना पड़ता है।

विद्यालय में कुल अभिलेख के प्रकार
Types of School Register

1. अध्यापक उपस्थिति पंजिका (Teacher Attendance Register)

विद्यालय में शिक्षक उपस्थिति रजिस्टर का होना नितान्त आवश्यक है। इसे प्रधानाध्यापक कक्ष में रखा जाना चाहिये। शिक्षकों को विद्यालय में आते समय इस रजिस्टर में अपने हस्ताक्षर करने चाहिये एवं प्रधानाध्यापक को इस रजिस्टर का प्रतिदिन निरीक्षण करना चाहिये। इसमें शिक्षकों के विभिन्न प्रकार के अवकाशों का उल्लेख रहता है।

2. छात्र उपस्थिति पंजिका (Student Attendance Register)

विद्यालय में प्रत्येक कक्षा के लिये एक उपस्थिति रजिस्टर होता है। इसमें विद्यालय प्रारम्भ होते समय तथा छुट्टी के पश्चात् छात्रों की दैनिक उपस्थिति अंकित की जाती है।

3. पत्रव्यवहार पंजिका (Letter Dispatch Register)

पत्र व्यवहार पंजिका विद्यालय अभिलेखों में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। इसमें विविध प्रकार के शासकीय पत्रों का अंकन किया जाता है तथा उस कार्य को नम्बर प्रदान किया जाता है। इसमें प्रधानाध्यापक द्वारा नवीन अध्यापकों को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी एवं खण्ड शिक्षा अधिकारी के पत्र के आधार पर कार्यभार ग्रहण कराया जाता है। इसमें पत्रांक संख्या को लिखा जाता है। तथा जिस अध्यापक को प्रथम कार्यभार ग्रहण सम्बन्धी पत्र दिया जाता है।

उस पर इस पत्र व्यवहार की संख्या अंकित की जाती है। इसी प्रकार जब कोई अध्यापक स्थानान्तरित होकर दूसरे विद्यालय में जाता है तो उसको कार्य मुक्ति प्रमाण-पत्र दिया जाता है, उसमें भी पत्र व्यवहार में स्थानान्तरण आदेश का वर्णन करते हुए उस अध्यापक को कार्यमुक्त किया जाता है जिस अध्यापक का स्थानान्तरण किया जाता है। अन्त में पत्र व्यवहार की संख्या को अंकित करते हुए सूचना दी जाती है। इसी प्रकार पत्र व्यवहार में सहायक अध्यापकों के अवकाश सम्बन्धी एवं चिकित्सकीय अवकाश सम्बन्धी पत्रों को भी चढ़ाया जाता है। इस प्रकार पत्रों के आदान-प्रदान की समस्त दोनों के ही हस्ताक्षर कराये जाते हैं।

4. विद्यालय प्रबन्ध समिति (एस.एम.सी.) पंजिका School Management Committee (S.M.C.) Register

विद्यालय प्रबन्ध समिति के रजिस्टर का प्रारम्भ सभी अधिकारियों के नाम एवं फोन नम्बर से होता है। प्रथम पृष्ठ पर प्राकृतिक आपदाओं एवं दुर्घटना से बचने के लिये या उनमें सहायक प्राप्त करने के लिये विद्यालय से सम्बन्धित व्यक्तियों के नाम एवं नम्बर होने चाहिये।  इस पजिका में सामान्य रूप से पंचायत भवन, ग्राम प्रधान, गाँव के निजी वाहन चलाने वालों के नाम,समीप की पुलिस चौकी या थाने का विवरण,समीप के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का नाम,खण्ड विकास अधिकारी का नाम,उपजिलाधिकारी का नाम,जिला चिकित्सालय का विवरण, जिला पुलिस कन्ट्रोल रूम का विवरण, फायर स्टेशन,पुलिस अधीक्षक, जिलाधिकारी, एम्बुलेंस, अग्निशमन सेवा,जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आदि का सम्पूर्ण विवरण उपलब्ध होता है।

5.विद्यालय प्रबन्ध समिति (आय-व्यय) पंजिका School Management Committee (Income-Expenditure) Register

विद्यालय प्रबन्ध समिति का जब से गठन हुआ है तब से विद्यालय में ग्राम शिक्षा निधि से सम्बन्धित कुछ धनराशियों को विद्यालय प्रबन्ध समिति के खातों में भेज दिया जाता है, जैसे- 5000 रुपये तक रंगाई-पुताई की धनराशि, 5000 रुपये तक की टूट-फूट सम्बन्धी धनराशि, छात्रों के गणवेष सम्बन्धी धनराशि एवं शिक्षण अधिगम सामग्री धनराशि आदि । वर्तमान समय में ग्राम शिक्षा निधि के खातों का प्रयोग नगण्य हो गया है तथा विद्यालय प्रबन्ध समिति के खातों का उपयोग व्यापक रूप से हो रहा है।

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सरकारी निर्देशों के अनुसार धनराशि किसी भी खाते में आ सकती है। विद्यालय प्रबन्ध समिति के खाते का संचालन अध्यक्ष एवं सचिव (प्रधानाध्यापक) द्वारा किया जाता है। अध्यक्ष का चुनाव अभिभावकों के द्वारा आपस में से ही किया जाता है।
चैक पर अध्यक्ष एवं सचिव दोनों के संयुक्त हस्ताक्षर होते हैं तथा दोनों ही प्रत्येक आय व्यय के लिये उत्तरदायी होते हैं। सामान्य रूप से इस धनराशि का उपयोग एकाउण्ट पेयी चैक के माध्यम से करने का दिशा-निर्देश दिया जाता है जिससे धनराशि का सही विवरण प्राप्त हो सके। विद्यालय प्रबन्ध समिति (आय-व्यय) पंजिका के दो स्वरूप प्रचलित होते हैं। इनका वर्णन निम्नलिखित रूप में किया जा सकता है-
(1) सामान्य विद्यालय प्रबन्ध समिति (आय-व्यय) पंजिका
(2) बहीखाता आधारित विद्यालय प्रबन्ध समिति (आय-व्यय) पंजिका

(1) सामान्य विद्यालय प्रबन्ध समिति (आय-व्यय) पंजिका

सामान्य विद्यालय प्रबन्ध समिति रजिस्टर का निर्माण प्रधानाध्यापक द्वारा स्वयं की आवश्यकता या सरकारी निर्देश के आधार पर किया जाता है। इसके सामान्य रजिस्टर पर ग्यारह कॉलम बना लिये लाते हैं जिसमें प्राप्त धनराशि एवं उपयोग की गयी धनराशि का विवरण होता है। जिस मद में जो धनराशि दी जाती है उस धनराशि के व्यय सम्बन्धी बिल भी उस पृष्ठ पर चिपका दिये जाते हैं। जो भी चैक काटे जाते हैं उनकी फोटोस्टेट भी उस पृष्ठ पर चिपका दी जाती है। इसमें वर्ष की सम्पूर्ण धनराशि का विवरण होता है।

(2) बहीखाता आधारित विद्यालय प्रबन्ध समिति (आय-व्यय) पंजिका

बहीखाता आधारित आय-व्यय पंजिका का निर्माण वर्तमान समय में विद्यालयों में किया जाता है क्योंकि जो धनराशि का ऑडिट करने आते हैं उनकी मांग होती है कि लेजर भी तैयार किया जाय। इसके साथ एक फाइल भी तैयार की जाती है जिसमें चैकों की फोटोस्टेट तथा बिलों को लगाया जाता है जिसका विवरण लेजर में किया जाता है। लेजर में फाइल या रजिस्टर की पृष्ठ संख्या देखकर उस धनराशि का विवरण रजिस्टर या फाइल से प्राप्त किया जा सकता है।

6. ग्राम शिक्षा निधि (आय-व्यय) पंजिका
Village Education Fund (Income-Expenditure) Register

ग्राम शिक्षा समिति को विद्यालय के प्रबन्धन में पूर्ण अधिकार प्राप्त थे जो वर्तमान समय में विद्यालय प्रबन्ध समिति के पास चले गये। विद्यालय में ग्राम शिक्षा समिति की अहम् भूमिका होती है। इसकी वित्तीय सहायता करने के लिये प्रत्येक विद्यालय का बैंक में खाता खोला जाता है। इस खाते को संयुक्त रूप से संचालित किया जाता है। इसे विद्यालय के प्रधानाध्यापक या कार्यकारी प्रधानाध्यापक द्वारा तथा प्रधान द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया जाता है।

इसमें विद्यालय विकास अनुदान की धनराशि आती है जो कि सामान्य रूप से 5000 रुपये तक की होती है। इसके साथ रंगाई-पुताई की धनराशि भी 5000 रुपये होती है। विद्यालय भवन के आकार एवं विद्यालय की आवश्यकता के अनुरूप इस धनराशि में परिवर्तन किया जाता है अर्थात् इसे अधिक कर दिया जाता है।
ग्राम शिक्षा निधि आय-व्यय पंजिका को दो प्रकार से प्रस्तुत किया जा सकता है- (1) सामान्य ग्राम शिक्षा निधि ( आय-व्यय) पंजिका
(2) बहीखाता आधारित ग्राम शिक्षा निधि (आय-व्यय) पंजिका

(1) सामान्य ग्राम शिक्षा निधि(आय-व्यय) पंजिका

सामान्य ग्राम शिक्षा निधि आय-व्यय पंजिका में एक सामान्य रजिस्टर लिया जाता है। इसमें आवश्यकता के अनुसार कॉलम बना लिये जाते हैं तथा तथा आय व्यय का विवरण अंकित कर दिया जाता है। इसमें काटे गये चैकों की फोटोस्टेट लगायी जाती है तथा विद्यालय के लिये खरीदे गये सामान्य के बिल भी पेज पर चिपका दिये जाते हैं। इस खाते में अधिक आय-व्यय का भार नहीं होता क्योंकि इसमें सीमित धनराशि ही आती है। यदि इसमें भवन निर्माण सम्बन्धी धनराशि अर्थात् अतिरिक्त कक्ष या चहारदीवारी सम्बन्धी धनराशि आती है तो उसके लिये पृथक से रजिस्टर का निर्माण कराया जाता है।

(2) बहीखाता आधारित ग्राम शिक्षा निधि(आय-व्यय) रजिस्टर

कुछ विद्यालय में बहीखाता आधारित पंजिका को महत्त्व प्रदान किया जाता है। इसमें लेजर तैयार करके आय-व्यय का विवरण दिया जाता है तथा दूसरा रजिस्टर तैयार करके उस पर बिल रसीद एवं चैक आदि की फोटोस्टेट चिपका दी जाती है। उस रजिस्टर की पृष्ठ संख्या लिख दी जाती है तो जिस आय-व्यय का विवरण हमको देखना होता है।

7.ग्राम शिक्षा समिति बैठक पंजिका
Village Education Committee Meeting Register

ग्राम शिक्षा समिति बैठक पंजिका में ग्राम शिक्षा समिति सम्बन्धी बैठकों का विवरण रहता है। इस पंजिका में बैठकों में लिये गये निर्णयों का उल्लेख किया जाता है जिससे भविष्य में उन्हें प्रभावी रूप से क्रियान्वित किया जा सके। इस पंजिका के माध्यम से ग्राम शिक्षा समिति और विद्यालय समिति द्वारा की गयी कार्यवाहियों का विवरण भी रखा जाता है जिससे विद्यालय से सम्बन्धित सभी व्यक्तियों को इसकी जानकारी हो सके।

8. मातृ-शिक्षक संघ पंजिका
Mother-Teacher Association Register

मातृ शिक्षक संघ विद्यालय का एक महत्त्वपूर्ण संगठन माना जाता है। इसलिये इस संघ के क्रियाकलापों और गतिविधियों का विवरण रखना आवश्यक होता है। इसके लिये मातृ शिक्षक रूप पलिका बनायी जाती है। इस पंजिका में मात शिक्षक संघ बैठक के निर्णयों को सम्मिलित किया जाता है। संघ की बैठक कब होगी, इसमें किस-किस को आमन्त्रित किया जायेगा, कौन-कौन से बिन्दुओं पर विमर्श किया जायेगा सभी बातों का उल्लेख किया जाता है। साथ ही पूर्व में लिये गये निर्णयों के मूल्यांकन के प्रतिवेदन को भी इस पंजिका में अंकित किया जाता है जिससे भविष्य की योजनाओं और कार्यक्रमों को सार्थक रूप दिया जा सके।

9.अभिभावक-शिक्षक संघपंजिका
Parents-Teacher Association Register

मातृ शिक्षक संघ के समान अभिभावक शिक्षक संघ पंजिका को भी व्यवस्थित किया जाता है जिसमें अभिभावक शिक्षक संघ की गतिविधियों, कार्यक्रमों एवं निर्णयों का उल्लेख रहता है। इसमें शिक्षक द्वारा समुदाय में जाने के दिनांक और उद्देश्य लिखे जाते हैं। साथ ही विद्यालय में छात्रों के अभिभावकों के आगमन को भी इस पंजिका में सम्मिलित किया जाता है। निर्धारित समय पर कौन-कौन से शिक्षकों एवं अभिभावकों ने संघ की बैठक में भाग लिया और इसमें क्या निर्णय लिये गये इन सभी की जानकारी अंकित करने के लिये ही शिक्षक अभिभावक संघ पंजिका का निर्माण किया जाता है।

10. शिक्षण अधिगमसामग्री पंजिका
Teaching-Learning Material Register

शिक्षण अधिगम सामग्री पंजिका जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है शिक्षण अधिगम सामग्री का विवरण रखने के लिये तैयार की जाती है। विद्यालय में कौन-कौन सी सामग्री उपस्थित है और यह किस प्रकार एवं कब उपलब्ध हुई है, किस शिक्षण अधिगम सामग्री का विद्यालय में अभाव है तथा उसकी पूर्ति किस प्रकार की जायेगी आदि शिक्षण अधिगम सामग्री सम्बन्धित समस्त बातों का विवरण इसमें व्यवस्थित रूप से रखा जाता है जिससे शिक्षण अधिगम सामग्री
का निर्माण एवं प्रयोग प्रभावशाली तरीके से व्यवस्थित रूप में किया जा सके।

11. स्टॉक पंजिका
Stock Register

विद्यालय में शिक्षण अधिगम सामग्री के अतिरिक्त अन्य प्रकार की सामग्री भी महत्त्वपूर्ण होती है, जैसे- फर्नीचर, खेल का सामान, गणवेश, कापियाँ, पाठ्य-पुस्तकें आदि। विद्यालय सम्बन्धी समस्त प्रकार के सामान का व्यवस्थित विवरण रखने के लिये स्टॉक पंजिका निर्मित. की जाती है। इस पंजिका में विद्यालय स्टॉक के समस्त सामान के बारे में विवरण लिखा जाता है।

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12. निःशुल्क पुस्तक वितरण पंजिका
Free Book Distribution Register

निःशुल्क पुस्तक वितरण पंजिका का प्रचलन उस समय से बेसिक शिक्षा में हो गया है जब से सरकार द्वारा नि:शुल्क पुस्तक वितरण योजना का प्रारम्भ किया गया है। इसमें प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्तर पर पुस्तक वितरण की नि:शुल्क व्यवस्था की गयी है।

13 निःशुल्क गणवेश वितरण पंजिका
Free Uniform Distribution Register

निःशुल्क गणवेश वितरण पंजिका का प्रावधान सरकारी विद्यालयों में कुछ समय पूर्व जब प्रारम्भ हुआ जब सरकार द्वारा गणवेश वितरण की व्यवस्था की गयी। यह व्यवस्था कुछ समय के लिये ही अनुसूचित जाति के छात्र एवं छात्राओं के लिये थी परन्तु बाद में इसे सभी जाति की छात्राओं के लिये कर दिया। कुछ समय बाद सभी जाति के छात्र एवं छात्राओं के लिये निःशुल्क गणवेश वितरित करने की व्यवस्था कर दी गयी।

सरकार धन की उपलब्धता के आधार पर विभिन्न नियम निर्धारित करते हुए छात्र-छात्राओं को गणवेश वितरित कराती है। इसका अभिलेख को पंजिकाएँ तैयार की जाती हैं। एक स्टॉक पंजिका होती है, दूसरी छात्रों को नाप की पंजिका तथा तृतीय वितरण सम्बन्धी पलिका होती है वर्तमान तैयार करने के लिये वर्तमान में तीन प्रकार की पंजिकाए तैयार की जाती है । एक स्टाफ पंजिका होती है , दूसरी छात्रों की नाप की पंजिका तथा तृतीय वितरण सम्बन्धी पंजिका होती है वर्तमान  समय में सरकार द्वारा टैण्डर की पंजिका भी तैयार किये जाने के निर्देश हैं।

14. बाल गणना/परिवार सर्वेक्षण पंजिका
Child Counting/Family Survey Register

वर्तमान समय में सरकार की नवीन योजनाओं के परिणामस्वरूप सत्र प्रारम्भ होने से पूर्व बाल गणनी या परिवार सर्वेक्षण कराया जाता है। यह कार्य अध्यापकों के माध्यम से ही सम्पन्न होता है। इसम अध्यापक प्रत्येक घर में जाकर बालकों की संख्या एवं उनकी शैक्षिक स्थिति के बारे में सूचना प्राप्त करता है। इस सर्वेक्षण का प्रमुख उद्देश्य वालकों का विद्यालय में नामांकन करना है तथा जो बालक गृहकार्य में लगे होते हैं उन्हें गृहकार्य से रोक कर विद्यालय में ले जाना इसके साथ-साथ बालगणना के आंकड़ों के आधार पर सरकार द्वारा भीशैक्षिक एवं विकासात्मक है। बालश्रम को रोकना तथा शत प्रतिशत नामाकन की स्थिति बनाना इसका प्रमुख उद्देश्य है।

15. छात्रों के जन्मदिन की पंजिका
Register of Birthday of Students

सामान्य रूप से विद्यालयों में अनेक प्रकार के महापुरुषों की जयन्ती मनायी जाती है। इन जयन्तियों पर उन महापुरुषों के कार्यों को याद किया जाता है। इसी क्रम में छात्रों के जन्मदिन मनाने की परम्परा विद्यालयों में होनी चाहिये। इस आधार पर छात्रों की जन्मदिवस सम्बन्धी पंजिका तैयार की जाती है। इस पजिका का प्रमुख उद्देश्य छात्रों को जन्मदिवस मनाने के तरीके सिखाना होता है, जैसे-छात्र प्रत्येक महापुरुष के जन्मदिवस से कुछ न कुछ शिक्षा ग्रहण करते ठीक उसी प्रकार अपने जन्मदिवस पर भी छात्र कुछन कुछ नवीन कार्य करने की प्रतिज्ञा कर इससे छात्रों में शुभकामनाएँ प्रदान करने की योग्यता का विकास होता है। इसके साथ-साथ जन्मदिवस पर छात्र एक-दूसरे को शुभ कामनाएँ प्रदान करते हैं। इससे छात्रों में प्रेम, सहयोग एवं सद्गुणों का विकास होता है।

16. स्वास्थ्य परीक्षण पंजिका
Health Testing Register

वर्तमान समय में सरकार बालकों के स्वास्थ्य के प्रति पूर्ण सचेत है। इसलिये विद्यालय प्रबन्ध समिति में ए.एन.एम. को सदस्य के रूप में रखा जाता है जिस वह प्रत्येक विद्यालय के छात्रों को स्वास्थ्य सम्बन्ध दिशा-निर्देश प्रदान कर सकें। इसी क्रम में प्रत्येक विद्यालय में स्वास्थ्य परीक्षण योजनाएँ भी संचालित होती है। इसके लिये छात्रों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है तथा उनके रोगों का परीक्षण किया जाता है। इसके साथ-साथ उनकी शारीरिक विकास की स्थिति की समीक्षा की जाती है। इस पंजिका में प्रत्येक छात्र के लिये एक कार्ड का निर्माण किया जाता है जो कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध कराया जाना है। इसमें छात्रों को दी जाने वाली प्रत्येक दवा का वर्णन किया जाता है।

17.छात्रवृत्ति वितरण पंजिका
Scholarship Distribution Register

विद्यालयों में प्रत्येक प्रकार के छात्र अध्ययन के लिये आते हैं। इनमें से कुछ निर्धन एवं पिछड़े परिवारों से भी होते हैं। सरकार द्वारा विद्यालयी व्यवस्था के माध्यम से ऐसे छात्रों के लिए समय समय पर छात्रवृत्ति प्रदान करने का प्रबन्ध किया जाता है। छात्र-छात्राओं को छात्रवृति मिले और छात्रवृत्ति वितरण में किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो इसके लिये छात्रवृत्ति वितरण पंजिका रखी जाती है। इस पंजिका में छात्रवृत्ति वितरण सम्बन्धी निर्णयों एवं प्रक्रिया का अंकन किया जाता है जिससे जब भी आवश्यकता हो विद्यालय की छात्रवृत्ति वितरण व्यवस्था के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सके।

18. अनुश्रवण या निरीक्षण पंजिका
Monitoring or Inspection Register

वर्तमान समय में छात्रों के सर्वांगीण विकास की प्रक्रिया का कार्य विद्यालयों में ही सम्भव होता है। इसलिये विद्यालयों में शिक्षा विभाग से सम्बद्ध विभिन्न अधिकारियों एवं शिक्षा विशेषज्ञों द्वारा निरीक्षण एवं अनुश्रवण का कार्य किया जाता है; जैसे-प्राथमिक विद्यालय में एनपी आर. सी.सी. का भ्रमण कम से कम दो बार होना चाहिये। इसमें एन.पी.आर.सी.सी.द्वार शिक्षकों एवं प्रधानाध्यापकों को शिक्षण अधिगम प्रक्रिया सम्बन्धी दिशा-निर्देश प्रदान कि संसाधन केन्द्र समन्वयक द्वारा इस कार्य को निरीक्षण एवं अनुश्रवण पंजिका में अंकित करना चाहिये।

इसके साथ अगले निरीक्षण में यह समीक्षा करनी चाहिये कि उस पर प्रधानाध्यापक द्वारा कार्य किया गया या नहीं। एन पी आर.सी.सी. द्वारा स्वयं कक्षाओं में पढ़ाकर प्रदर्शन करना चाहिये कि किस प्रकार छात्रों को शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को उपयोगी एवं सार्थक बनाया जाता है। निरीक्षण पंजिका के साथ-साथ प्रधानाध्यापक को क्रियान्वयन पंजिका भी बनानी चाहिये। निरीक्षण पंजिका में जो भी सुझाव विद्यालयी व्यवस्था से सम्बन्धित होते हैं उन पर प्रधानाध्यापक द्वारा क्या कार्य किया गया उसका उल्लेख होना। चाहिये, जैसे-खण्ड शिक्षा अधिकारी अपने निरीक्षण के समय प्रधानाध्यापक को सुझाव देकर आते हैं कि उनको अनुपस्थित छात्रों के घर जाकर सम्पर्क करना चाहिये जिससे विद्यालय में छात्र उपस्थिति में वृद्धि हो सके। इसके उपरान्त प्रधानाध्यापक द्वारा मध्यान्तर या विद्यालय समय के बाद जिन छात्रों के अभिभावकों से सम्पर्क किया जाता है।

19.शिक्षक डायरी (Teacher Diary)

डायरी या दैनन्दिनी लेखन की अवधारणा प्राचीनकाल से ही समाज में रही है। इस प्रथा के परिणामस्वरूप अनेक महान् पुरुषों के विचारों एवं कार्यों का विवरण हमको प्राप्त होता है। महात्मा गाँधी ने अपने जीवन की अनेक घटनाओं का वर्णन अपनी आत्मकथाओं में किया है। इसी प्रकार दैनन्दिनी लेखन के द्वारा व्यक्ति विविध विचारों की समीक्षा कर सकता है। ये विचार स्वयं के भी हो सकते हैं तथा इसके साथ-साथ व्यक्ति दूलरों के अच्छे विचारों का भी उसमें समावेश कर सकता है। डायरी लेखन के अन्तर्गत व्यक्ति अपने स्वयं के विचारों एवं कार्यों की समीक्षा करता है।

अनेक अवसरों पर व्यक्ति अनेक त्रुटिपूर्ण कार्य कर देता है जो कि उसको नहीं करने चाहिये या कुछ समय बाद उसको अपनी त्रुटियों का ज्ञान होता है। इस प्रकार की त्रुटियों की समीक्षा डायरी में की जा सकती है। जैसे-एक शिक्षक से कक्षा में छात्र प्रश्न पूछ रहा है छात्र को प्रश्न का उत्तर न देने की स्थिति में शिक्षक छात्र को डाँटकर चुप करा देता है। इसके बाद शिक्षक को अपनी त्रुटि का अनुभव होता है। वह इसका वर्णन दैनन्दिनी में करते हुए लिखता है कि उसको छात्र को डाँटना नहीं चाहिये वरन् सत्यता को स्वीकार करना चाहिये। इस प्रकार के अनेक विचारों, स्वयं से सम्बन्धित घटनाओं एवं स्वयं के कार्य व्यवहार की समीक्षा डायरी या दैनन्दिनी में की जा सकती है।

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20.बुक बैंक पंजिका (Book Bank Ragister)

वर्तमान समय में सरकार द्वारा प्रत्येक विद्यालय में विभिन्न प्रकार की नैतिक, मनोरंजक एवं कहानी सम्बन्धी पुस्तकों के लिये धन उपलब्ध कराया जाता है। इसके साथ कुछ अतिरिक्त पुस्तकें प्रदान करके बुक बैंक के रूप में सुरक्षित रखा जाता है। कुछ छात्रों की पुस्तकें जो कि उनको निःशुल्क प्रदान की गयी है, यदि खो जाती है या किसी कारण नष्ट हो जाती है तो बुक बैंक के द्वारा उनको प्रदान की जाती हैं। बुक बैंक एवं पुस्तकालय का मिश्रित स्वरूप प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में देखने को मिलता है। पाठ्यक्रम के अतिरिक्त जो भी पुस्तकें हैं वह भी छात्रों को दी जाती हैं। उनको कम समय में ही वापिस लिया जाता है। इस प्रकार बुक बैंक एवं पुस्तकालय का कार्य एक ही अभिलेख या पंजिका द्वारा सम्पन्न किया जाता है। 

21. मध्याह्न भोजन परिवर्तन व्यय लागत एवं खाद्यान्न पंजिका MDM Conversion Cost and Food Grain Register

मध्याह्न भोजन वितरण पंजिका के साथ-साथ मध्याह्न भोजन परिवर्तन लागत एवं खाद्यान्न पंजिका का निर्माण पृथक् रूप से किया जाता है। कभी-कभी इन दोनों का विवरण पृथक्-पृथक् पृष्ठ पर एक ही पंजिका में कर दिया जाता है। इस पंजिका का प्रमुख उद्देश्य खाद्यान्न एवं परिवर्तन लागत के बारे में प्रतिमाह सूचना प्रदान करना है।

जिससे सरकार द्वारा आवश्यकता के अनुसार खाद्यान्न एवं परिवर्तन लागत भेजी जा सके तथा विद्यालयों में भोजन तैयार करने एवं वितरण करने में किसी प्रकार की कठिनाई न हो । सामान्यत: रसोइया मानदेय 1500 रुपये प्रति माह होता है जोकि अब बढ़कर 2000 रुपये हो गया है।  तथा 3.97 रुपये प्रति छात्र की दर से भोजन करने वाले छात्रों की संख्या में गुणा करके धनराशि आहरित की जाती है। बच्चों के फल हेतु 4 रुपये / छात्र की दर से धनराशि आहरित होती है। फल का प्रावधान हफ्ते में प्रत्येक सोमवार को और महीने के अंतिम गुरुवार को है अर्थात महीने में 5 दिन फल का प्रावधान है।

22. कोटेशन रख रखाव पंजिका Quotation Maintenance Register

सामान्यत: विद्यालयी व्यवस्था में कुछ कार्य ऐसे प्रारम्भ हो गये हैं जिसमें कोटेशन की आवश्यकता होती है। जैसे-वर्तमान में विद्यालय में नि:शुल्क गणवेश वितरण की प्रणाली है। इसमें सरकार द्वारा यह प्रस्तावित किया है कि जिन विद्यालयों में 20000 रुपये से नीचे का बजट गणवेश वितरण के लिये आता है वहाँ पर गणवेश तैयार करने के लिये फर्मों से कोटेशन माँग जार्य तथा जिन विद्यालयों का बजट 20000 से ऊपर का है। उन विद्यालयों में गणवेश वितरण के लिये टेण्डर माँग जायें।

इस प्रक्रिया के आधार पर कोटेशन की प्रणाली प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों से प्रारम्भ कर दी गयी है। इसके लिये भी एक पंजिका तैयार की जाती है। इस पंजिका के लिये प्रत्येक फर्म से कोटेशन प्राप्त किये जाते हैं। इन कोटेशन में जिस फर्म का कोटेशन सबसे सस्ता और अच्छा होता है उसे स्वीकार कर लिया जाता है। इसमें प्रधानाध्यापक द्वारा विद्यालय प्रबन्ध समिति की स्वीकृति ली जाती है। इस स्वीकृति के आधार पर कोटेशन स्वीकार किया जाता है।

23.टैण्डर प्रक्रिया सम्बन्धी पंजिका ( Tender Process Related Process )

टैण्डर का अर्थ अनुमानित व्यय से होता है। वर्तमान समय में सरकारी नीतियों की अनुपालना शिक्षक एवं प्रधानाध्यापक को करनी होती है। वर्तमान समय में गणवेश वितरण में 2000 रुपये से अधिक के बजट के लिये प्रधानाध्यापक को टैण्डर का प्रयोग करना होता है। ऐसे विद्यालयों की संख्या बहुत कम होती है परन्तु किसी भी प्रधानाध्यापक का स्थानान्तरण किसी भी ऐसे विद्यालय में हो सकता है जहाँ गणवेश का बजट 20000 रुपये से ऊपर का हो। इसलिये प्रत्येक अध्यापक को टैण्डर संबंधी प्रक्रिया एवं पंजी का निर्माण का ज्ञान होना चाहिए।  टेंडर की प्रक्रिया में सर्वप्रथम स्थानीय समाचार पत्र में टेंडर आमंत्रित किए जाते हैं तथा उसमें से एक निर्धारित तिथि का उल्लेख होता है ।

24.आवागमन पंजिका
Transmigration Register

वर्तमान समय में विद्यालयों में आवागमन पंजिका की आवश्यकता भी होती है। आवागमन पंजिका में सामान्य रूप से उस स्थिति का वर्णन किया जाता है जिसमें विद्यालय समय में कोई भी शिक्षक या प्रधानाध्यापक किसी भी कारण से कहीं जाता है। अनेक अवसरों पर प्रधानाध्यापक बैठकों में भाग लेने के लिये न्याय पंचायत या खण्ड संसाधन केन्द्र पर जाते हैं। इसके पीछे कोई अधिकारी उपस्थित होता है तो शिक्षकों द्वारा आवागमन पंजिका को प्रस्तुत किया जाता है। इसमें विद्यालय समय में अनुपस्थित सभी शिक्षकों का विवरण होता है। इससे अधिकारी को यह पता चल जाता है कि कौन-सा शिक्षक किस कार्य से बाहर गया हुआ है। वर्तमान समय में शिक्षकों को विविध प्रकार के कार्यों में लगाया जाता है।

25.आदेश पंजिका
Order Book

वर्तमान समय में प्रत्येक विद्यालय में आदेश पंजिका पायी जाती है। आदेश पंजिका का प्रमुख उद्देश्य विद्यालय सम्बन्धी समस्त आदेशों एवं दिशा-निर्देशों को कर्मचारी एवं छात्रों तक पहुंचाना है तथा इसके माध्यम से प्रधानाध्यापक अपने दायित्व से मुक्त हो जाता है। आदेश से अवगत होने पर यदि कोई छात्र या शिक्षक उस आदेश की अनुपालना नहीं करता तो उसको दण्डित किया जा सकता है। इस स्थिति में वह शिक्षक या कर्मचारी यह नहीं कह सकता कि उसको आदेश के बारे में पता नहीं था क्योंकि उस कर्मचारी या शिक्षक के उस आदेश पर हस्ताक्षर होते हैं। इस प्रकार विद्यालयी व्यवस्था में अनुशासन बनाये रखने के लिये आदेश निकाले जाने हैं। इनका लिखित प्रमाण आदेश पंजिका में पाया जाता है।

26. मध्याह्न भोजन वितरण पंजिका
Mid-Day Meal Distribution Register

वर्तमान समय में मध्याह्न भोजन योजना केन्द्र सरकार की सबसे महत्त्वपूर्ण योजना है। जिसका संचालन प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्तरीय सरकारी विद्यालयों में व्यापक रूप से किया जा रहा है। वर्तमान समय में मध्याह्न भोजन पंजिका के कारण विद्यालयों में शत-प्रतिशत नामांकन के लक्ष्य एव छात्रों का विद्यालय में पूर्ण समय तक ठहराव निश्चित किया गया है। माध्यान्ह योजना के अन्तर्गत प्रतिदिन छात्रों को विभिन्न प्रकार का पका हुआ भोजन प्रदान किया जाता है। इसमें मध्याह्न भोजन पंजिका के आधार पर वितरण व्यवस्था का अंकन होता है। वर्ष 2015  में नवीन पंजिका को सरकार द्वारा प्रेषित किया गया है जिसमें प्रतिदिन का मध्याह्न भोजन वितरण लिखा जाता है।


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